ग्वालियर: महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. फिर चाहे फाइटर जेट उड़ाने की बात हो या सीमा पर देश की पहरेदारी की. बस मौका मिलने की देर है. महिलाओं को ऐसा ही मौका आज से 57 साल पहले मिला था जब ग्वालियर में महिलाओं के लिए एनसीसी कॉलेज फॉर वुमन की शुरुआत हुई थी. तब से इस इमारत में बहुत कुछ बदल गया है.
10 जुलाई 1964 को हुई थी शुरुआत
देश की एक मात्र महिला एनसीसी ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी हमेशा से प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी ग्वालियर का नाम रोशन करती रही है. एनसीसी ट्रेनिंग अकादमी में महिलाओं को सशक्त बनाने में अहम योगदान रखती है. अब तक ट्रेनिंग अकादमी हजारों महिलाओं को ऑफिसर बना चुकी है. ग्वालियर एनसीसी अकादमी की स्थापना 10 जुलाई 1964 में हुई थी.
देश का गौरव बढ़ा रही है महिला एनसीसी ट्रेनिंग अकादमी
यहां हजारों की संख्या में महिलाएं ट्रेनिंग लेकर अधिकारी बनती हैं. एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी में देश के हर कोने से महिलाएं आकर ट्रेंनिंग लेती हैं. उसके बाद यहां से बाहर निकलकर ऑफिसर बनती हैं. कड़ी मेहनत के बाद महिलाएं यहां अपने आपको तैयार करती हैं.
1964 में हुई थी एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी की शुरुआतदेश की एकमात्र एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी की शुरुआत एनसीसी कॉलेज ऑफ वूमेन के तौर पर सन् 1964 में हुई थी. यह देश की पहली एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी है. एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी में सन् 1965 में महिला का पहला बैच पास आऊट हुआ था. 1982 में रीडिजाइन कर ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल बनाया गया.
देश का सबसे बड़ा युवा बल
बता दें कि एनसीसी देश का सबसे बड़ा युवा बल है. आज देश में लगभग 18 लाख तक एनसीसी कैडेट्स हैं. आगे आने वाले समय में इनकी संख्या 25 लाख तक हो जाएगी. ग्वालियर की इस अकादमी में ट्रेनिंग सैन्य बलों की तरह होती है. यहां कैडेट्स को हथियार चलाने से लेकर युद्ध का प्रशिक्षण तक दिया जाता है.
ट्रेनिंग सेंटर में महिला कैडेट्स को घंटों जंगलों में पैदल चलाया जाता है. इसके साथ ही बंदूकें और बड़े हथियार चलवाए जाते हैं. यह प्रैक्टिस कोई एक दिन की नहीं होती, बल्कि महीनों चलती है. तीन महीने तक लंबी चलने वाले इस प्रशिक्षण में महिला कैडेट्स को बतौर एनसीसी अफसर कमीशन मिलता है. इसके बाद यह एनसीसी अफसर देश के अन्य कॉलेजों में जाकर नए कैडेट तैयार करते हैं.
खास है एनसीसी महिला प्रशिक्षण अकादमी की इमारत
मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित महिला एनसीसी ट्रेनिंग अकादमी की इमारत आजादी से पहले होटल ग्रांड कहलाती थी. जिसे सिंधिया राजवंश के महाराज माधौराव द्वितीय ने बनवाया था. विदेशी आर्किटेक्ट लेक और हेरिस ने इसे डिजाइन किया था. 60 कमरों का ये होटल ग्वालियर रेलवे स्टेशन के सामने है जिसके कारण नामी-गिरामी मेहमान यहां ठहरते थे.
मराठा और राजपूत शैली में बना ये इस होटल में शानदार कलाकारी और नक्काशी देखने को मिलती है. कहते हैं कि आजादी के बाद इसे सेना के हवाले कर दिया गया था. इससे पहले एनसीसी में महिलाओं को ट्रेनिंग राजपूत रेजीमेंट दिल्ली में दी जाती थी. बाद में महिला एनसीसी अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए अलग सेंट्र स्थापित करना तय हुआ और एकेडमी को ग्वालियर के इसी भवन में शिफ्ट कर दिया गया जिसे कभी होटल ग्रांड के नाम से जाना जाता था.
बदलते रहे नाम
कभी ग्रांड होटल के नाम से मशहूर इस इमारत में अक्टूबर 1964 में एनसीसी कॉलेज फॉर वुमन की शुरुआत हुई. वर्ष 1965 में यहां से पहला बैच पास आउट हुआ. एनसीसी कॉलेज फॉर वुमन को 1982 में रीडिजाइन कर इसे वुमंस ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (WOTS) बनाया गया. नवंबर 2002 में फिर बदलाव कर इसे ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) नाम दिया गया.
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