शिमला: देशभर में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इसलिए माता-पिता के साथ-साथ शिक्षक को भी भगवान का दर्जा दिया गया है. हर व्यक्ति के चरित्र निर्माण में एक शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान होता है. शिक्षक अपने छात्रों को इस लायक बनाते हैं कि वह अपने जीवन में सही पथ पर चल सके. गुरु न सिर्फ हमें किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि हमारे जीवन को भी सही दिशा और मार्गदर्शन देते हैं. आज शिक्षक दिवस पर हम एक ऐसी ही टीचर की बात कर रहे हैं, जिन्होंने बच्चें को शिक्षा देना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया.
निशा शर्मा बनीं दूसरों के लिए मिसाल: हमारे समाज में गुरु का बड़ा महत्व है. कहते है गुरु के बिना गति नहीं होती है. गुरु यदि चाहे तो किसी भी छात्र का वक्त बदल सकता है. ऐसे ही एक शिक्षिका की हम आज बता करने जा रहे हैं, जिन्होंने ने विपरीत हालात में भी बच्चों को शिक्षा देने का लक्ष्य कभी नहीं छोड़ा. कभी गांव के गौशाले में 3 छात्रों को पढ़ाने वाली निशा शर्मा आज दूसरे शिक्षकों के लिए मिसाल बन चुकी हैं. उन्होंने अपने अथक प्रयास से सरकारी स्कूल का कायाकल्प कर दिया.
गौशाले में 3 बच्चों के साथ शुरू हुई थी स्कूल: ये कहानी है शिमला जिला के कोटखाई के बगाहर प्राथमिक स्कूल की. जहां कभी बच्चों की संख्या न के बराबर होती थी. गांव में प्री-प्राइमरी स्कूल नहीं था. साल 2014 में निशा शर्मा की पोस्टिंग बगाहर प्राथमिक स्कूल में हुई. गांव वालों की मांग पर निशा ने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाना शुरू किया. गांव में प्री प्राइमरी स्कूल नहीं था, तभी निशा ने एक गौशाला में 3 बच्चो से प्री प्राइमरी स्कूल शुरू किया. अब 25 बच्चे प्री प्राइमरी में पढ़ रहे हैं.
सरकारी स्कूल में चल रहा स्मार्ट क्लास: कोटखाई के बगाहर में गौशाला में शुरू हुए प्राथमिक स्कूल में अब स्मार्ट क्लासेज में नौनिहालों को पढ़ाया जा रहा है. यहां किसी निजी स्कूल की नहीं, बल्कि सरकारी स्कूल की बात हो रही है. स्कूल की शिक्षिका निशा शर्मा ने स्कूल प्रबंधन कमेटी की मदद से तीन साल में इस स्कूल की कायापलट कर दी है. एक समय में जहां स्कूल में सात आठ बच्चे पढ़ते थे, वहीं, आज यहां 48 छात्र पढ़ रहे हैं. आलम यह है कि अब लोग निजी स्कूल छुड़वाकर अपने बच्चों का यहां दाखिला करा रहे हैं. प्रदेश में बंद होते सरकारी स्कूलों के बीच बगाहर स्कूल की इस अनूठी मिसाल पर एक डॉक्यूमेंटरी भी बनाई गई है. सोशल मीडिया और यूट्यूब पर ये डाक्यूमेंटरी खूब वायरल भी हो रही है. बगाहर गांव में ये स्कूल चार अप्रैल 2013 को खुला.
निशा की ज्वाइंनिंग स्कूल के लिए बनीं टर्निंग प्वाइंट: इस स्कूल में शुरू में सात-आठ बच्चे थे. कक्षाएं गांव के ब्रह्मानंद शर्मा की गोशाला में लगती थीं, क्योंकि स्कूल के लिए भवन नहीं था. मकान के एक ओर गाए बंधी होतीं तो दूसरी ओर गायों के लिए बनाए गए कमरे में कक्षाएं चलतीं थी. 6 फरवरी 2014 को निशा शर्मा ने बतौर जेबीटी शिक्षक इस स्कूल में पहली ज्वाइनिंग दी. निशा शर्मा और एसएमसी के प्रयासों से 28 मई 2016 को स्कूल भवन भी बन गया. एसएमसी के सहयोग से स्कूल में दो कंप्यूटरों का प्रबंध किया गया. वहीं, छात्रों की जरूरतों को देखते हुए बहुत सारा सामान निशा शर्मा अपने पैसे से भी लेकर आईं. अब यहां दो क्लास रूम, एक कार्यालय, एक किचन, विभाग के द्वारा बनाए गए दो शौचालय और एसजेवीएन के बनाए हुए दो अन्य शौचालय हैं. स्कूल में एसएमसी ने प्रस्ताव पारित कर नर्सरी और केजी कक्षाएं भी शुरू कर दी है.
अब स्कूल के बच्चे कर रहे टॉप: निशा शर्मा ने बताया कि उनके स्कूल के बच्चे हर तरह की स्पर्धा में ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर टॉप करने लगे हैं. कोटखाई के गुड़िया प्रकरण पर एकांकी पर भी बच्चे प्रदेश भर में अव्वल आए. 2021 में कोरोना काल में एक विद्यार्थी ने ऑनलाइन पोइट्री प्रतियोगिता में टॉप किया था. यहां के छात्र यूट्यूब, एनसाइक्लोपीडिया जैसे प्लेटफॉर्म से इंटरनेट पर भरपूर जानकारी ले रहे हैं. निशा मूल रूप से शिमला शहर के पास शोघी की रहने वाली हैं, लेकिन अब निशा का इस ग्रामीण स्कूल के बच्चों के जीवन को नई दिशा देने में मन रम गया है.
गरीब बच्चों को देख निशा ने शिक्षक बनने की ठानी: निशा शर्मा ने कहा जब वह छोटे गरीब बच्चों को भीख मांगते देखती या कचरा बीनते देखती थी तो, उनका दिल अंदर से दुखता था. वे सोचती थी कि इन लोगों के लिए मैं क्या कर सकती हूं. मेरे पढ़े लिखे होने का क्या फायदा. मैं राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान कैसे दूं. उन्होंने कहा चाणक्य का कहना था कि शिक्षक कभी साधारण नहीं होते. प्रलय और निर्माण दोनों उसकी गोद में बसते हैं. बस इसी ख्याल ने मुझे राष्ट्र निर्माण के कठिन और आनंदमयी रास्ते पर धकेल दिया. इसी का नतीजा है कि उन्होंने कठिन प्रयास के बदौलत आज बगाहर प्राथमिक स्कूल का कायाकल्प किया है. जहां आज प्राइवेट स्कूल जैसी स्मार्ट क्लासेज की सुविधा छात्रों को मिल रही है.
निशा शर्मा को 2018 में मिला राज्य स्तरीय शिक्षक अवार्ड: निशा शर्मा ने बताया कि उनके साथ शिक्षक डॉ. जगदीश बशैइक का भी इस स्कूल को मुख्य धारा में लाने में भरपूर सहयोग रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय तक ने इस स्कूल पर बनाई गई डॉक्यूमेंटरी को खूब सराहा है. निशा को शिक्षक की नौकरी करते हुए 4 साल ही हुए है और उन्होंने किसी अवार्ड के लिए अप्लाई भी नहीं किया था, लेकिन उन्हें जब राज्य स्तरीय शिक्षक अवार्ड के लिए फोन आया. तब वह हैरान रह गयी. आज भी निशा उसी स्कूल में है और बच्चों का भविष्य उज्ज्वल कर रही हैं.
गावं के विद्यालय में प्राइवेट स्कूल जैसी पढ़ाई: बगाहर स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. जगदीश ने बताया यह स्कूल मैडम निशा शर्मा के आने के बाद बहुत अच्छे से शुरू हुआ. उन्होंने कहा जब एक अध्यापक खुद इनिशिएटिव लेता है तो, सब संभव हो जाता है. अब गांव के सभी बच्चे इस स्कूल में पढ़ने आते है और अभिभावक बहुत खुश हैं कि उनके बच्चो को शहर जैसे पढ़ाई गांव के एक सरकारी स्कूल में मिल रही है. शुरू में इस इस स्कूल में 3 बच्चे थे, लेकिन 48 बच्चे हो गए हैं. सरकार की ओर से भवन बनाने की भी अनुमति मिल गई है. उनका कहना है कि निशा जैसे अध्यापक हर स्कूल में होने चाहिए, जिससे सरकारी स्कूल दुगनी तरक्की कर सके.
ये भी पढ़ें: Vishal Thakur: किराना दुकानदार के बेटों ने पेश की मिसाल, दोनों भाई बने जज, माता-पिता को किया गौरवान्वित