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सोनपुर मेला : इन्हें शौक ने बना दिया 'डांसर', दर्द भरी है थियेटर की इन लड़कियों की कहानी

सोनपुर मेले में इस बार रंगीन थियेटरों में देश के कोने-कोने से आने वाली डांसर लड़कियों ने स्टेज के पीछे की अपनी लाइफ स्टोरी ईटीवी भारत से शेयर की है. कोई अपने छोटे भाई बहन को पढ़ाने तो किसी के जिम्मे अपने परिवार की जिम्मेदारी है. इन सब के बीच शायद ही ऐसी कोई लड़की मिले जो शौकिया इस पेशे में आईं (Bar girls dance in sonepur mela theatre) हों. पढ़ें सोनपुर मेले से रंजित कुमार की ये खास रिपोर्ट

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Published : Nov 17, 2022, 10:39 PM IST

सोनपुर: एशिया का सबसे बड़ा सोनपुर पशु मेला.. कहा जाता है कि इस मेले में कभी सबकुछ बिकता था, इंसान भी. लेकिन अब जानवरों की बिक्री के लिए मशहूर मेले में आने वाले लोगों की खास दिलचस्पी, यहां होने वाले थिएटर्स में होती (Story Of Girls In Theaters of Sonpur Mela) है. थियेटर में कैबरे डांस के नाम पर अश्लीलता परोशी जाती है. यहां आने वाली डांसर एक दिन में हजारों रुपए कमा लेती हैं. इस बार बिहार के सोनपुर मेले में पांच थियेटर लगे हैं. ऐसे में थियेटर कम है, लेकिन टिकट खिड़की पर भीड़ इतनी की, अगर लोग पहुंच जाएं, कुर्सियां बढ़ा दी जाती है.

इसे भी पढ़ेंः सोनपुर मेला में लोकगीत झूमर की प्रस्तुति ने बांधा समां, लोगों ने जमकर उठाया लुत्फ

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स्टेज पर जाती डांसर.

5 थियेटर.. 500 लड़कियां, यहां रंगीन कर रहीं शाम : 'आ रही है दिलों की धड़कन बढ़ाने ...तो साहेबान मेहरबान कदरदान.. तैयार हो जाइये.' शाम के पांच बज चुके है. मेले में उमड़ी भीड़ थियेटर खिड़की की तरफ बढ़ते जा रहे है. इस अनाउंसमेंट के साथ ही स्टेज पर भड़कीली रोशनी में लड़कियां नजर आती हैं.

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स्टेज पर इस तरह थिड़कती हैं लड़कियां.

इसे भी पढ़ेंः 'अंगुली में डसले बिया नगिनिया रे हे ननदी दियारा जला द', सोनपुर मेले में देवी ने बांधा समां

डांस के शौक ने बना दिया 'बार बाला' : पांच थियेटर में करीब 500 लड़कियां है, जो यूपी, एमपी, महाराष्ट्र और दूसरे प्रदेश से लोगों का दिल बहलाने सोनपुर आई है. गहरी लिपस्टिक और लाली-पावडर की मोटी परत के नीचे दर्द की बेहद स्याह कहानियां छिपी होती हैं.


दर्द भरी है इन लड़कियों की कहानी : लड़कियों की इस भीड़ एक अवनी चौधरी (22) भी है. अवनी उत्तर प्रदेश से आई है. भाई-बहनों की पढ़ाई और घर परिवार की जिम्मेवारी अवनी के कंधे पर ही है. हंसते हुए अवनी बताती है कि आज डांस के शौक ने उसे सहारा दिया है. लेकिन, मेरा जो भी गम है वो मेरे अंदर रहे, वो किसी के सामने न आये.

अवनी चौधरी
मेकअप करतीं कलाकार अवनी चौधरी.

"घर में मैं सबसे बड़ी बेटी हूं, मम्मी पापा है, मुझसे छोटे चार बहन और एक भाई हैं. पापा मेरे किसान हैं. हर किसी की अपनी मजबूरी होती है. मैं भी कुछ सोच कर के इस लाइन में आई थी लेकिन अब यह मेरा प्रोफेशन हो गया है. मुझे अपने भाई बहनों को पढ़ाना लिखाना था. इसलिए मैंने इस जिम्मेवारी को अपने कंधों पर उठा लिया. लेकिन, अब मजबूरी मेरा शौक बन चुका है." - अवनी चौधरी, डांसर, यूपी (बुलंदशहर)

डांस के बीच कोई स्टेज पर चढ़ आता है, तो कोई.. : थियेटर में बदनामी के सवाल पर अवनी ने कहा कि बदनामी हर जगह जुड़ा हुआ है. हर काम में बदनामी होती है. घर से लेकर ऑफिस तक में बदनामी होती है. आप ठीक हैं तो सब कुछ ठीक है. वहीं पहली बार सिलीगुड़ी से सोनपुर मेले में आई नैना भी एक कोने में सजती संवरती नजर आई. नैना बताती हैं कि कोई डांस के बीच स्टेज पर चढ़ आता है. कोई कमर पकड़ता है, लेकिन शांति से सब मैनेज करना पड़ता है. हमें इन सबकी आदत हो गई है.

सिलिगुड़ी की डांसर नैना
सिलिगुड़ी की डांसर नैना

''भोजपुरी भड़कीले गानों पर नाचना और कपड़े भी भड़कीले पहनना शुरू-शुरू में घबराहट होती थी. अब आदत हो गई है. थियेटर में काम करने वाली लड़कियों को गलत नजरों से देखा जाता है. थियेटर आर्टिस्टों को बार बाला का नाम दिया जाता है. लेकिन ये कोई समझना नहीं चाहता कि, घर की जिम्मेदारी उठाने के लिए मैंने थियेटर ज्वॉइन किया.'' - नैना, डांसर, सिलिगुड़ी बंगाल

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स्टेज पर अपनी अदा बिखेरती बार बालाएं.

यकीनन डांसरों पर दबाव रहता है कि वो भड़कीले भोजपुरी गानों पर नाचें और कपड़े भी बदन-दिखाऊ ही पहनें. शुरू-शुरू में सब घबराती हैं, फिर आदत हो जाती है. फिलहाल, सोनपुर मेले में लगने वाले थियेटरों के कारण ही पूरी रात मेला गुलजार रहता है. बिहार के कोने-कोने से लोग हुस्न का दीदार करने, थियेटर का मजा लेने सोनपुर मेला पहुंचते हैं.

सोनपुर: एशिया का सबसे बड़ा सोनपुर पशु मेला.. कहा जाता है कि इस मेले में कभी सबकुछ बिकता था, इंसान भी. लेकिन अब जानवरों की बिक्री के लिए मशहूर मेले में आने वाले लोगों की खास दिलचस्पी, यहां होने वाले थिएटर्स में होती (Story Of Girls In Theaters of Sonpur Mela) है. थियेटर में कैबरे डांस के नाम पर अश्लीलता परोशी जाती है. यहां आने वाली डांसर एक दिन में हजारों रुपए कमा लेती हैं. इस बार बिहार के सोनपुर मेले में पांच थियेटर लगे हैं. ऐसे में थियेटर कम है, लेकिन टिकट खिड़की पर भीड़ इतनी की, अगर लोग पहुंच जाएं, कुर्सियां बढ़ा दी जाती है.

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स्टेज पर जाती डांसर.

5 थियेटर.. 500 लड़कियां, यहां रंगीन कर रहीं शाम : 'आ रही है दिलों की धड़कन बढ़ाने ...तो साहेबान मेहरबान कदरदान.. तैयार हो जाइये.' शाम के पांच बज चुके है. मेले में उमड़ी भीड़ थियेटर खिड़की की तरफ बढ़ते जा रहे है. इस अनाउंसमेंट के साथ ही स्टेज पर भड़कीली रोशनी में लड़कियां नजर आती हैं.

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स्टेज पर इस तरह थिड़कती हैं लड़कियां.

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डांस के शौक ने बना दिया 'बार बाला' : पांच थियेटर में करीब 500 लड़कियां है, जो यूपी, एमपी, महाराष्ट्र और दूसरे प्रदेश से लोगों का दिल बहलाने सोनपुर आई है. गहरी लिपस्टिक और लाली-पावडर की मोटी परत के नीचे दर्द की बेहद स्याह कहानियां छिपी होती हैं.


दर्द भरी है इन लड़कियों की कहानी : लड़कियों की इस भीड़ एक अवनी चौधरी (22) भी है. अवनी उत्तर प्रदेश से आई है. भाई-बहनों की पढ़ाई और घर परिवार की जिम्मेवारी अवनी के कंधे पर ही है. हंसते हुए अवनी बताती है कि आज डांस के शौक ने उसे सहारा दिया है. लेकिन, मेरा जो भी गम है वो मेरे अंदर रहे, वो किसी के सामने न आये.

अवनी चौधरी
मेकअप करतीं कलाकार अवनी चौधरी.

"घर में मैं सबसे बड़ी बेटी हूं, मम्मी पापा है, मुझसे छोटे चार बहन और एक भाई हैं. पापा मेरे किसान हैं. हर किसी की अपनी मजबूरी होती है. मैं भी कुछ सोच कर के इस लाइन में आई थी लेकिन अब यह मेरा प्रोफेशन हो गया है. मुझे अपने भाई बहनों को पढ़ाना लिखाना था. इसलिए मैंने इस जिम्मेवारी को अपने कंधों पर उठा लिया. लेकिन, अब मजबूरी मेरा शौक बन चुका है." - अवनी चौधरी, डांसर, यूपी (बुलंदशहर)

डांस के बीच कोई स्टेज पर चढ़ आता है, तो कोई.. : थियेटर में बदनामी के सवाल पर अवनी ने कहा कि बदनामी हर जगह जुड़ा हुआ है. हर काम में बदनामी होती है. घर से लेकर ऑफिस तक में बदनामी होती है. आप ठीक हैं तो सब कुछ ठीक है. वहीं पहली बार सिलीगुड़ी से सोनपुर मेले में आई नैना भी एक कोने में सजती संवरती नजर आई. नैना बताती हैं कि कोई डांस के बीच स्टेज पर चढ़ आता है. कोई कमर पकड़ता है, लेकिन शांति से सब मैनेज करना पड़ता है. हमें इन सबकी आदत हो गई है.

सिलिगुड़ी की डांसर नैना
सिलिगुड़ी की डांसर नैना

''भोजपुरी भड़कीले गानों पर नाचना और कपड़े भी भड़कीले पहनना शुरू-शुरू में घबराहट होती थी. अब आदत हो गई है. थियेटर में काम करने वाली लड़कियों को गलत नजरों से देखा जाता है. थियेटर आर्टिस्टों को बार बाला का नाम दिया जाता है. लेकिन ये कोई समझना नहीं चाहता कि, घर की जिम्मेदारी उठाने के लिए मैंने थियेटर ज्वॉइन किया.'' - नैना, डांसर, सिलिगुड़ी बंगाल

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स्टेज पर अपनी अदा बिखेरती बार बालाएं.

यकीनन डांसरों पर दबाव रहता है कि वो भड़कीले भोजपुरी गानों पर नाचें और कपड़े भी बदन-दिखाऊ ही पहनें. शुरू-शुरू में सब घबराती हैं, फिर आदत हो जाती है. फिलहाल, सोनपुर मेले में लगने वाले थियेटरों के कारण ही पूरी रात मेला गुलजार रहता है. बिहार के कोने-कोने से लोग हुस्न का दीदार करने, थियेटर का मजा लेने सोनपुर मेला पहुंचते हैं.

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