पटना : बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya) के नैली पंचायत के दुबहल गांव सहित आसपास के गांवों में सैकड़ों परिवारों ने कथित तौर पर धर्म परिवर्तन (Religion Conversion) कर लिया है. यहां के लोग महादलित से ईसाई बन गए हैं. ग्रामीणों ने दावा किया कि उनकी मर्जी से धर्मांतरण हो रहा है और किसी ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर या लालच नहीं दिया है. अब महादलित से ईसाई बने लोगों की 'घर वापसी' करने का प्रयास एक संगठन द्वारा किया जा रहा है.
हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि गांव में दलितों का जीवन कठिन है. आज भी उनके साथ भेदभाव होता है. उन्हें मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया जाता. वहीं ईसाई धर्म में भेद-भाव नहीं होता है. सभी को चर्च में प्रवेश करने की अनुमति होती है. इसलिए लोग धर्म परिवर्तन कर लेते हैं.
हिन्दू जागरण मंच (Hindu Jagran Manch) ने ईसाई बने लोगों को भगवान बजरंगबली का लॉकेट पहनाया और उनके बीच हनुमान चालीसा बांटा है. भगवान हनुमान का लॉकेट पहनाने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
दरअसल, गया शहर से सटे गांवों के दलित बस्तियों में 15 सालों से धर्मांतरण किया जा रहा है. ईटीवी भारत की टीम मामले की पड़ताल के लिए वहां पहुंची. वहां देखा गया कि अंधविश्वास की आड़ में ईसाई धर्म के लोगों द्वारा धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है.
हाल ही में गया के दुबहल गांव में इसका खुलासा हुआ. इसके बाद आरएसएस (RSS) से जुड़े हिन्दू संगठन लगातार घर वापसी के लिए इन गांवों का दौरा कर रहे हैं. इसी के तहत हिन्दू जागरण मंच के सदस्यों ने ईसाई बने लोगों को भगवान हनुमान का लॉकेट पहनाया और हनुमान चालीसा दिया.
हिंदू जागरण मंच के दक्षिण प्रांत के प्रांत अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने बताया कि दुबहल गांव के आसपास के दलित बस्ती के लोगों के ईसाई धर्म अपने की सूचना हम लोगों को मिली. उसके बाद गांव में जाकर हिंदू धर्म के प्रति जन जागरण किया गया. वहां पर ईसाई बने लोगों को उनकी इच्छा से भगवान हनुमान का लॉकेट और हनुमान चालीसा दिया गया.
वहीं, 25 जुलाई को दर्जनों लोगों की घर वापसी होगी.
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धर्मांतरण का खुलासा धान रोपनी के पहले आषाढ़ी पूजा में हुआ था. उस पूजा को मांझी समाज के लोग करते हैं. जब इस साल पूजा नहीं हुई तो अन्य समाज के लोगों ने इसके बारे में जानकारी ली. तब पता चला कि मांझी परिवार के लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया है.
नोट: ईटीवी भारत वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता.