नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शुक्रवार को लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) और जांच आयोग को खारिज किया और कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे 18 अक्टूबर को राष्ट्रव्यापी 'रेल रोको' प्रदर्शन का आह्वान करेंगे.
एसकेएम तीन अक्टूबर को हुई लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को हटाए जाने और उनके बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है. मोर्चा ने एक बयान में कहा कि अगर 11 अक्टूबर तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे 18 अक्टूबर को देशव्यापी 'रेल रोको' प्रदर्शन का आह्वान करेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता योगेंद्र यादव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि अजय मिश्रा को भी सरकार से हटाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने यह साजिश शुरू की और मामले में दोषियों को भी बचा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मोर्चा इस हिंसा के विरोध में 15 अक्टूबर को दशहरा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का पुतला फूंकेगा.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई इस घटना में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
किसान नेता दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह घटना एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा थी और हमलावरों ने किसानों को आतंकित करने की कोशिश की.
किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने दावा किया कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के खिलाफ हिंसक रुख अपनाया है. उन्होंने कहा, हम हिंसा की राह पर नहीं जाएंगे.
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रविवार को हुई हिंसा में मारे गए आठ लोगों में से चार किसान थे, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं को ले जा रहे एक वाहन ने कथित तौर पर टक्कर मार दी थी. अन्य मृतकों में भाजपा के दो कार्यकर्ता और उनका चालक शामिल था.
किसानों ने दावा किया कि आशीष मिश्रा इन वाहनों में से एक में थे. हालांकि आशीष मिश्रा ने इस आरोप से इनकार किया है. उनके पिता ने कहा कि वे यह साबित करने के लिए सबूत पेश कर सकते हैं कि वह उस समय एक कार्यक्रम में थे.
उगराहां ने कहा, हमारी मांग है कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे आशीष को गिरफ्तार किया जाए.
बयान में कहा गया कि मोर्चा लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) और जांच आयोग को खारिज करता है. मोर्चे ने इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने और इसकी निगरानी सीधे उच्चततम न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा किए जाने की मांग उठायी.
(पीटीआई-भाषा)