नई दिल्ली : गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरनेम केस में सूरत के सेशन्स कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया. राहुल गांधी ने इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट के समक्ष सूरत सेशन्स कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. शुक्रवार को गुजरात कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की चुनावी राजनीति के भविष्य खतरा जस का तस बरकरार रहा. हालांकि, अभी भी उनके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है.
कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर फिरा पानी
गुजरात हाईकोर्ट के फैसले से पहले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि गुजरात हाई कोर्ट से राहुल को राहत मिलेगी. जिसके बाद उनकी सांसदी भी वापस बहाल हो जायेगी और वह 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ सकेंगे. शुक्रवार को गुजरात हाई ने कांग्रेस और उनके नेताओं की उम्मीद पर यह कहते हुए पानी फेर दिया कि राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने का कोई ठोस आधार उन्हें नजर नहीं आता. उच्च न्यायालय ने कहा कि गांधी की याचिका बिल्कुल अस्तित्वहीन आधार पर थी, क्योंकि उनके खिलाफ विभिन्न स्थानों पर 10 आपराधिक मामले लंबित हैं. अदालत ने कहा कि एक जन प्रतिनिधि को स्पष्ट चरित्र वाला व्यक्ति होना चाहिए. अदालत ने वीर सावरकर के पोते द्वारा दायर शिकायत का भी हवाला दिया.
क्या होगा इस फैसले का असर
इस फैसले के बाद फिलहाल ना तो राहुल गांधी की संसद सदस्यता फिर से बहाल होगी और ना ही वह अगले छह वर्षों तक कोई चुनाव लड़ सकेंगे. हालांकि, अभी भी यदि राहुल गांधी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर मानहानि के केस में सूरत सेशन्स कोर्ट के फैसले पर रोक लगा देती है तो राहुल गांधी के चुनावी राजनीति पर छाये संकट के बादल छट सकते हैं.
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राहुल गांधी के पास क्या हैं विकल्प : कानूनी जानकारों के मुताबिक, राहुल गांधी अभी सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले गुजरात हाईकोर्ट में भी डबल बेंच के समक्ष हाईकोर्ट के आज के फैसले को चुनौता देते हुए याचिका दाखिल कर सकते हैं. हालांकि, अब राहुल गांधी के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प भी खुल गया है.