पटना: जन सुराज संयोजक व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर को अपनी जन स्वराज पदयात्रा का 1 साल पूरा कर चुके हैं. जिन जिलों से उन्होंने यात्रा की है, उसमें 15 से अधिक लोकसभा सीटें आती हैं. प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव में भले ही पार्टी नहीं बनाएंगे लेकिन जन सुराज से चुने हुए उम्मीदवार का समर्थन करेंगे और उसे जिताने में पूरी ताकत लगाएंगे. यहीं पर नीतीश लालू और बीजेपी की टेंशन बढ़ने वाली है.
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PK बढ़ाएंगे लालू-नीतीश के साथ ही बीजेपी की टेंशन: बिहार में 2 अक्टूबर 2022 को प्रशांत किशोर ने चंपारण से पदयात्रा की शुरुआत की थी. अब तक पूर्वी और पश्चिमी चंपारण , गोपालगंज, सिवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर दरभंगा और मधुबनी होते हुए सीतामढ़ी तक की यात्रा कर चुके हैं. प्रशांत किशोर की नजर जिन जिलों से यात्रा पूरी की है, उसकी 15 लोकसभा सीटों पर है.
JDU-RJD और BJP को दे सकते हैं झटका: वहीं उत्तर बिहार के कई सीटों पर जदयू को भी झटका दे सकते हैं. प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पार्टी नहीं बनाएंगे इसकी घोषणा कर चुके हैं. लेकिन जन सुराज से समर्थित उम्मीदवार का समर्थन करेंगे और उसे जीतने के लिए संसाधन से पूरी ताकत लगाएंगे. अब तक जिन जिलों की यात्रा की है, उनमें से अधिकांश जिलों में प्रशांत किशोर ने जन सुराज का संगठन भी तैयार कर लिया है.
बिहार में बयानबाजी: जन सुराज का यही संगठन चुनाव लड़ना है कि नहीं और उम्मीदवारों पर फैसला लेगा. प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों इस बात का खुलासा भी किया था. वहीं प्रशांत किशोर की राजनीति पर बिहार में बयानबाजी का दौर चल पड़ा है. जदयू राजद और बीजेपी की टेंशन साफ तौर पर दिख रही है.
"जिन जिलों से पदयात्रा हो गई है, वहां जो जन सुराज के पुरोधा या संस्थापक बन रहे हैं ये निर्णय उनको करना है कि चुनाव लड़ना है कि नहीं. उदाहरण के तौर पर पहले पांच जिलों में जब हमने पदयात्रा खत्म की तो एक एमएलसी का उपचुनाव हुआ. उन पांच जिलों के जो जन सुराज के साथी थे, उन्होंने उपचुनाव लड़ने का निर्णय लिया."- प्रशांत किशोर, संयोजक जन सुराज
"प्रशांत किशोर जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं लेकिन बिहार में जो जातीय गलबंदी है चाहे महागठबंधन के खेमे में या एनडीए खेमे में हो, उसमें मार्जिनल लाभ ही उन्हें मिलेगा. संभव है कि कुछ उम्मीदवार उनके जीत भी जाए."-एनके चौधरी, विशेषज्ञ
"हमने भी प्रशांत किशोर का फैसला सुना है. उन्होंने पैसे से भी मदद करने की बात कही है. आखिर उनको पैसा कहां से आ रहा है, यह बड़ा मामला है. कहां से पैसा ला रहे हैं? किसकी टीम में हैं? आपकी दुकान भी बंद हो चुकी है. लक्षण आपका गड़बड़ा गया है. ऐसे प्रशांत अभी राजनीति के किशोर हैं."- नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता
"लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने का अधिकार है. प्रशांत किशोर भी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में आंधी तो केवल नरेंद्र मोदी की ही चलेगी और उस आंधी में ना तो लालू टिक पाएंगे ना ही नीतीश कुमार और ना ही प्रशांत किशोर."- डॉ रामसागर सिंह, प्रवक्ता भाजपा
लोगों के संपर्क में PK: प्रशांत किशोर जिन जिलों से यात्रा कर चुके हैं, उन जिलों में हर प्रखंड में एक सभापति, एक अध्यक्ष और 10 सदस्यों की टीम बनाई गई है. जिला स्तर पर कार्यकारिणी समिति बनाई गई है. जन सुराज के सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है प्रशांत किशोर की ओर से लोगों से सीधा संपर्क बनाने के लिए कई तरह की रणनीति अपनाई जा रही है.
इस रणनीति के तहत जीत की होगी कोशिश: चुनावी रणनीतिकार पीके की रणनीति बन चुकी है और उसपर काम भी जारी है. ग्राम स्तर पर 18 से 20 साल के युवाओं को साधने के लिए क्लब बनाया जा रहा है. इसे क्लब कमेटी नाम दिया गया है. वहीं 20 साल से ऊपर के छात्रों को साधने के लिए युवा कमेटी बनाई गई है, जो विश्विद्यालय और कॉलेज में एक्टिव है. परीक्षा और बेरोजगारी का मुद्दा इन कमेटी को उठाने की जिम्मेदारी दी गई है.
महिलाओं की बुनियादी मुद्दे को उठाने के लिए ग्राम स्तर पर वुमेन कमेटी को भी सक्रिय किया गया है. पीके महिलाओं को साधने के लिए उसके बच्चे के भविष्य पर पदयात्रा में ज्यादा बात करते हैं. प्रशांत किशोर की सोशल मीडिया टीम सबसे ज्यादा सक्रिय है, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के रील्स बनाकर भी लगातार उन पर निशाना साधा जा रहा है.
पीके फॉर सीएम के 10 हजार पेज बनाने की तैयारी हो रही है. प्रशांत किशोर की नजर मुस्लिम दलित और अत्यंत पिछड़ा वोट बैंक है. प्रशांत किशोर की नजर युवा वोटों पर सबसे ज्यादा है. चुनाव आयोग के 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 40 साल से कम उम्र के करीब 4 करोड़ 29 लाख वोटर्स हैं. इनमें 18 से 19 वर्ष वाले 71 लाख वोटर्स, 20 से 29 वर्ष वाले 1 करोड़ 60 लाख वोटर्स और 30 से 39 वर्ष वाले 1 करोड़ 98 लाख वोटर्स हैं. प्रशांत किशोर 40 वर्ष से कम इन वोटरों को साधने में पूरी ताकत लगा रहे हैं.
उपचुनाव में जीत: लोकसभा चुनाव 2024 में प्रशांत किशोर पार्टी नहीं बनाएंगे यह तय है लेकिन 2025 में विधानसभा के चुनाव में प्रशांत किशोर पार्टी तैयार कर लेंगे और उससे पहले प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत आजमाना चाहते हैं. विधान परिषद के उपचुनाव में भी जन सुराज समर्थित एक उम्मीदवार को उन्होंने जीताने में कामयाबी हासिल की है.
लोकसभा के रिजल्ट के बाद विधानसभा पर फोकस: यही कारण है कि बिहार की प्रमुख दलों की परेशानी बढ़ी हुई है. प्रशांत किशोर जिस प्रकार से युवा वर्ग और महिलाओं पर विशेष फोकस कर रहे हैं नीतीश कुमार और तेजस्वी की परेशानी विशेष रूप से बढ़ी हुई है. ऐसे लोकसभा चुनाव में देखना होगा कि प्रशांत किशोर के पदयात्रा का कितना असर होता है. लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के आधार पर प्रशांत किशोर विधानसभा चुनाव की अपनी रणनीति भी तैयार करेंगे.