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Matchstick Eiffel Tower : 50 साल में 75 हजार तीलियों के सहारे खड़ा किया 'एफिल टावर'

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Published : Feb 27, 2023, 10:05 PM IST

मेरठ के 72 वर्षीय सुरेंद्र जैन माचिस की तीलियाें से एफिल टावर तैयार करना चाहते थे. अपने इस मकसद काे मंजिल तक पहुंचाने के लिए उन्होंने विदेश की यात्रा भी की. कई साल के प्रयास के बाद अब जाकर उन्हें सफलता मिली है.

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माचिस की तीलियाें के एफिल टावर पर ईटीवी भारत संवाददाता की खास रिपोर्ट.

मेरठ : जिले के रहने वाले सुरेंद्र जैन ने 72 साल की उम्र में 75 हजार माचिस की तीलियाें से अनाेखा एफिल टावर तैयार किया है. अपने इस अनाेखे शौक काे मुकाम तक पहुंचाने के लिए उन्हें 50 साल का वक्त लग गया. इसके लिए उन्हाेंने फ्रांस की यात्रा भी की. पेरिस पहुंचने के बाद वह 2 दिन तक लगातार एफिल टावर के पास बैठकर उसे निहारते रहे. माचिस की तीलियाें से हूबहू इसे बनाने का ताना-बाना बुनते रहे. अब जाकर उन्हें सफलता मिली है.

माचिस की तीलियाें का एफिल टावर
माचिस की तीलियाें का एफिल टावर

जिले के रेलवे राेड निवासी सुरेंद्र जैन व्यवसायी हैं. परतापुर में उनकी फ्लाेर मिल है. ईटीवी भारत से बातचीत में सुरेंद्र जैन ने बताया कि पढ़ाई के दौरान मां ने कहा था कि कुछ अलग करो, इसके बाद मैंने माचिस की तीलियाें से एफिल टावर तैयार करने का फैसला ले लिया. एफिल टावर उन्हें बार-बार आकर्षित करता था. सात अजूबों में से एफिल टावर भी एक अजूबा है. वह व्यवसाय के बीच समय निकाल कर माचिस की तीलियाें से एफिल टावर बनाने का प्रयास करने लगे.

माचिस की तीलियाें का एफिल टावर
माचिस की तीलियाें का एफिल टावर

शरीर में कंपन्न के बावजूद नहीं खाेया हौसला : सुरेंद्र जैन बताते हैं कि पिछले 50 साल से वह लगातार इसे हूबहू बनाने के लिए कोशिश करते रहे हैं. माचिस की तीलियाें से एफिल टावर बनाने में कई परेशानियाें का सामना करना पड़ा. हर बार प्रयास फेल हाेते रहे. 2019 में पूरी गंभीरता से वह जुट गए. बढ़ती उम्र की वजह से उनके शरीर में कंपन्न की समस्या रहने लगी. हाथ कांपने से संतुलन बनाने में परेशानी आने लगी. इस पर उन्हाेंने याेग का सहारा लिया. समस्या कम हुई ताे फिर से जुट गए.

2013 में की फ्रांस की यात्रा : सुरेंद्र जैन ने बताया कि तीलियाें से एफिल टावर बनाने की धुन कुछ इस कदर सवार थी कि वह 2013 में फ्रांस पहुंच गए. पेरिस पहुंचे तो दो दिन तक वह टावर के नजदीक बैठकर उसे ही देखते रहे. सुरेंद्र ने बताया कि वहां रहकर उन्हें और ज्यादा प्रेरणा मिली. इसके बाद वापस आकर फिर इसे बनाने में जुट गए. असफल हाेते रहे लेकिन सफल हाेने की जिद जारी रही. 2019 में वह पूरी गंभीरता से जुट गए.

माचिस की तीलियाें का एफिल टावर
माचिस की तीलियाें का एफिल टावर

सुरेंद्र बताते हैं कि पेरिस का एफिल टावर करीब 1100 फीट ऊंचा है. उन्होंने उसकी लंबाई, चौड़ाई आदि की भी जानकारी जुटाई. उसी तरह से पूरा एक मैप तैयार किया. एफिल टावर की तरह ही 5 फिट का टावर उसी शेप में हूबहू बनाने का निर्णय लिया. एक- एक तीली को चिपकाना और तब तक पकड़े रहना जब तक कि वह सही ढंग से चिपक न जाए, यह काफी मुश्किल था, लेकिन उन्हाेंने हिम्मत नहीं हारी.

खास कमरे में किया तैयार : सुरेंद्र बताते हैं अब यह बनकर तैयार हाे चुका है. लाेग इसे देखने भी आ रहे हैं. सबसे ज्यादा समय इसका बेस बनाने में लगा. न जाने कितनी ही बार असफल रहे लेकिर कभी हिम्मत नहीं हारी. सुरेंद्र जैन ने एफिल टावर को एक खास कमरे में तैयार किया है. उस कमरे में ज्यादा हवा न जाए और वह गंदा न हो इसके लिए उन्होंने खास इंतजाम भी किए हैं.

सुरेंद्र का दावा है कि देश भर में कहीं दूसरा माचिस की तीलियाें से तैयार एफिल टावर नहीं है. अब वह चाहते हैं कि इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स , लिमका बुक ऑफ रिकार्डस, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स आदि के लिए आगे आवेदन करें. वह कहते हैं कि भले ही कितने भी व्यस्त हम क्यों न हों, लेकिन अपने शौक जरूर पूरे करने चाहिए.

यह भी पढ़ें : फूटी कौड़ी से लेकर हजार रुपए तक के सिक्के, अनाेखे संग्रह ने अजय गोयल काे दी नई पहचान

माचिस की तीलियाें के एफिल टावर पर ईटीवी भारत संवाददाता की खास रिपोर्ट.

मेरठ : जिले के रहने वाले सुरेंद्र जैन ने 72 साल की उम्र में 75 हजार माचिस की तीलियाें से अनाेखा एफिल टावर तैयार किया है. अपने इस अनाेखे शौक काे मुकाम तक पहुंचाने के लिए उन्हें 50 साल का वक्त लग गया. इसके लिए उन्हाेंने फ्रांस की यात्रा भी की. पेरिस पहुंचने के बाद वह 2 दिन तक लगातार एफिल टावर के पास बैठकर उसे निहारते रहे. माचिस की तीलियाें से हूबहू इसे बनाने का ताना-बाना बुनते रहे. अब जाकर उन्हें सफलता मिली है.

माचिस की तीलियाें का एफिल टावर
माचिस की तीलियाें का एफिल टावर

जिले के रेलवे राेड निवासी सुरेंद्र जैन व्यवसायी हैं. परतापुर में उनकी फ्लाेर मिल है. ईटीवी भारत से बातचीत में सुरेंद्र जैन ने बताया कि पढ़ाई के दौरान मां ने कहा था कि कुछ अलग करो, इसके बाद मैंने माचिस की तीलियाें से एफिल टावर तैयार करने का फैसला ले लिया. एफिल टावर उन्हें बार-बार आकर्षित करता था. सात अजूबों में से एफिल टावर भी एक अजूबा है. वह व्यवसाय के बीच समय निकाल कर माचिस की तीलियाें से एफिल टावर बनाने का प्रयास करने लगे.

माचिस की तीलियाें का एफिल टावर
माचिस की तीलियाें का एफिल टावर

शरीर में कंपन्न के बावजूद नहीं खाेया हौसला : सुरेंद्र जैन बताते हैं कि पिछले 50 साल से वह लगातार इसे हूबहू बनाने के लिए कोशिश करते रहे हैं. माचिस की तीलियाें से एफिल टावर बनाने में कई परेशानियाें का सामना करना पड़ा. हर बार प्रयास फेल हाेते रहे. 2019 में पूरी गंभीरता से वह जुट गए. बढ़ती उम्र की वजह से उनके शरीर में कंपन्न की समस्या रहने लगी. हाथ कांपने से संतुलन बनाने में परेशानी आने लगी. इस पर उन्हाेंने याेग का सहारा लिया. समस्या कम हुई ताे फिर से जुट गए.

2013 में की फ्रांस की यात्रा : सुरेंद्र जैन ने बताया कि तीलियाें से एफिल टावर बनाने की धुन कुछ इस कदर सवार थी कि वह 2013 में फ्रांस पहुंच गए. पेरिस पहुंचे तो दो दिन तक वह टावर के नजदीक बैठकर उसे ही देखते रहे. सुरेंद्र ने बताया कि वहां रहकर उन्हें और ज्यादा प्रेरणा मिली. इसके बाद वापस आकर फिर इसे बनाने में जुट गए. असफल हाेते रहे लेकिन सफल हाेने की जिद जारी रही. 2019 में वह पूरी गंभीरता से जुट गए.

माचिस की तीलियाें का एफिल टावर
माचिस की तीलियाें का एफिल टावर

सुरेंद्र बताते हैं कि पेरिस का एफिल टावर करीब 1100 फीट ऊंचा है. उन्होंने उसकी लंबाई, चौड़ाई आदि की भी जानकारी जुटाई. उसी तरह से पूरा एक मैप तैयार किया. एफिल टावर की तरह ही 5 फिट का टावर उसी शेप में हूबहू बनाने का निर्णय लिया. एक- एक तीली को चिपकाना और तब तक पकड़े रहना जब तक कि वह सही ढंग से चिपक न जाए, यह काफी मुश्किल था, लेकिन उन्हाेंने हिम्मत नहीं हारी.

खास कमरे में किया तैयार : सुरेंद्र बताते हैं अब यह बनकर तैयार हाे चुका है. लाेग इसे देखने भी आ रहे हैं. सबसे ज्यादा समय इसका बेस बनाने में लगा. न जाने कितनी ही बार असफल रहे लेकिर कभी हिम्मत नहीं हारी. सुरेंद्र जैन ने एफिल टावर को एक खास कमरे में तैयार किया है. उस कमरे में ज्यादा हवा न जाए और वह गंदा न हो इसके लिए उन्होंने खास इंतजाम भी किए हैं.

सुरेंद्र का दावा है कि देश भर में कहीं दूसरा माचिस की तीलियाें से तैयार एफिल टावर नहीं है. अब वह चाहते हैं कि इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स , लिमका बुक ऑफ रिकार्डस, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स आदि के लिए आगे आवेदन करें. वह कहते हैं कि भले ही कितने भी व्यस्त हम क्यों न हों, लेकिन अपने शौक जरूर पूरे करने चाहिए.

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