छपरा: बिहार में छपरा जहरीली शराब कांड (Chapra Hooch Tragedy) के बाद पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम ने संयुक्त छापेमारी अभियान चलाया है. इसी क्रम में छपरा में जेडीयू नेता के घर से शराब बरामद (Liquor recovered from JDU leader house in Chapra) की गई है. जिले के मढ़ौरा स्टेशन रोड स्थित जेडीयू नेता कामेश्वर सिह के मकान से पुलिस और एलटीएफ की टीम ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर भारी मात्रा में अंग्रेजी और देसी शराब की पाउच बरामद की है. इस मामले में एक महिला को भी गिरफ्तार किया गया है. बताया जाता है कि गिरफ्तार महिला किरायेदार की पत्नी है. जानकारी के मुताबिक कामेश्वर जेडीयू राज्य पार्षद के सदस्य हैं और मशरख के रहने वाले हैं. उनका एक मकान मढ़ौरा में है, जिसे उन्होंने किराये पर लगा रखा है.
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'मेरे नाम को बदनाम करने की साजिश': वहीं जेडीयू नेता कामेश्वर सिंह (JDU leader Kameshwar Singh) का कहना है कि मैं 32 सालों से वहां नहीं रह रहा हूं. मेरा मकान बिल्कुल ही जीर्ण शीर्ण अवस्था में है. मुझे और मेरी पार्टी जेडीयू को बदनाम करने की साजिश की जा रही है, जबकि मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है. मेरे घर की स्थिति यह है कि वहां पर दरवाजा और खिड़की तक नहीं है. मेरा घर और मेरे नाम को बदनाम करने की यह एक बड़ी साजिश है.
"मैं 32 सालों से वहां नहीं रह रहा हूं और मकान मेरा बिल्कुल ही जीर्ण शीर्ण अवस्था में है मुझे और मेरी पार्टी जेडीयू को बदनाम करने की साजिश की जा रही है, जबकि मेरा इसमें कोई भी लेना देना नहीं है मेरे घर की स्थिति यह है कि वहां पर दरवाजा और खिड़की तक नहीं है"- कामेश्वर सिंह, जेडीयू नेता
"जेडीयू नेता के इस मकान में सरोज महतो और पूजा देवी बतौर किराएदार रहते हैं. गुप्त सूचना मिली थी कि दोनों लोगों के द्वारा शराब का धंधा किया जा रहा है. सूचना के आधार पर छापेमारी की गई और छापेमारी में टेट्रा पैक शराब की 60 पैकेट और 3 बोतल विदेशी शराब के साथ 2 लीटर स्पिरिट भी बरामद किया गया है. इस मामले पूजा देवी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस फिलहाल उससे पूछताछ कर रही है"- राकेश कुमार सिंह, थानाध्यक्ष
शराबबंदी पर उठ रहे हैं सवाल: आपको बता दें कि छपरा में 76 लोगों की मौत की वजह से वहां मातम पसरा हुआ है. हालांकि प्रशासन की तरफ से आंकड़े की पुष्टि नहीं की गई है. मंत्री सुनील कुमार के मुताबिक सिर्फ 38 लोगों की ही जान गई है. गांव वाले कहते हैं कि यहां शराबबंदी का कोई असर नहीं दिखता. आए दिन लोगों को शराब में नशे में देखा जाता है. शराबबंदी के बावजूद लोग चोरी छिपे शराब पी ही रहे हैं.
बिहार में शराबबंदी कानून: दरअसल अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि जहरीली शराब से विभिन्न जिलों में लोगों की मौतें होती रहती हैं. यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी ही कैसे हो सकता है, जिन्हें शराब से मौत के मामले में अक्सर दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया जाता है.
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