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तो क्या नीतीश कुमार फिर आ रहे हैं भाजपा के करीब! जानिए पांच इंडिकेटर

भारतीय जनता पार्टी और जदयू के बीच प्रगाढ़ संबंध रहे हैं. हालांकि दो बार संबंध विच्छेद भी हुआ है. फिलहाल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जदयू इंडिया गठबंधन का हिस्सा है लेकिन ललन सिंह को किनारे लगाने के बाद से जदयू नेताओं के सुर बदलने लगे हैं. वैचारिक रूप से जदयू भाजपा के करीब आती दिख रही है.

Nitish Kumar Etv Bharat
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 30, 2023, 8:04 PM IST

Updated : Dec 30, 2023, 9:21 PM IST

देखें वीडियो.

पटना: नीतीश कुमार और भाजपा के बीच गहरे रिश्ते रहे हैं. लंबे अरसे तक नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी और अरुण जेटली से नीतीश कुमार का संबंध किसी से छुपा नहीं है. आज भी नीतीश कुमार स्वर्गीय अटल जी और अरुण जेटली की खूब तारीफ करते हैं. जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर नीतीश कुमार बड़े ही श्रद्धा के साथ पुष्प अर्पित करना नहीं भूलते हैं.

लालू से नजदीकी बनी मुसीबत!: नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा हैं. ललन सिंह को नीतीश कुमार ने पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था लेकिन ललन सिंह की नजदीकियां लालू प्रसाद यादव से बढ़ गई थीं. नीतीश कुमार को यह नागवार गुजर रहा था. आखिरकार नीतीश कुमार ने खुद जदयू की कमान संभाल ली. ढाई साल अध्यक्ष रहने के बाद ललन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा.

केसी त्यागी के बदले सुर: नीतीश कुमार के अध्यक्ष बनते ही जदयू नेताओं के सुर बदल गए हैं. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने अपने बयान से राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया. जदयू नेता ने भाजपा से पुराने रिश्तों का हवाला दिया और राजनीति को संभावनाओं का खेल बताया है.

पहला इंडिकेटर: लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले नेता ललन सिंह अध्यक्ष पद से हटा दिए गए हैं और नीतीश कुमार ने खुद जदयू की कमान संभाल रखी है. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को देखते हुए ललन सिंह को हटाना पहला इंडिकेटर है. ललन सिंह बाधक साबित हो रहे थे. ललन सिंह ने ही नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने के लिए प्रेरित किया था और ललन सिंह के अध्यक्ष रहते हुए नीतीश कुमार महागठबंधन में वापस आए थे.

दूसरा इंडिकेटर: नीतीश कुमार ने संकेत दिए हैं कि अयोध्या में उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे. केसी त्यागी ने कहा कि बीजेपी वाले हमारे मित्र हैं और राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम को लेकर भी जदयू नेता ने कहा कि अगर निमंत्रण मिला तो हमारे पार्टी से प्रतिनिधि शामिल होंगे. नीतीश कुमार भाजपा को लेकर आक्रामक नहीं है और सीधे-सीधे आक्रमण करने से बच रहे है.

"हमारे नेता नीतीश कुमार सभी धर्म का सम्मान करते हैं. अयोध्या शिलान्यास कार्यक्रम में जाने को लेकर भी हम लोग चर्चा करेंगे. हम इंडिया गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं और हमारे नेता उसके शिल्पकार हैं."- हिमराज राम,जदयू प्रवक्ता

तीसरा इंडिकेटर: वहीं जदयू ने कांग्रेस को लेकर दिखाई तल्खी और कहा कि कांग्रेस सीट शेयरिंग और महागठबंधन को लेकर गंभीर नहीं है उसे विचार करना चाहिए. इंडिया गठबंधन में उपेक्षित नीतीश अब कांग्रेस को सबक सिखाने के मूड में हैं.

चौथा इंडिकेटर: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले नीतीश कुमार के लिए लगातार सीबीआई और ईडी का नोटिस लालू यादव और तेजस्वी यादव को मिलना असहज कर रहा है.

पांचवां इंडिकेटर: 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदला और भाजपा के साथ हो लिए. उसी दौरान सीएम तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया था. दूसरी बार जब एनडीए में नीतीश कुमार लौटे थे, तब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार थे और अब एक बार फिर नीतीश कुमार ने जदयू की कमान संभाली है.

"भाजपा अयोध्या मसले का राजनीतिकरण कर रही है और उसका राजनीतिक लाभ भी लेना चाहती है. नीतीश कुमार जाने वाले हैं. कई और नेताओं को भी निमंत्रण मिला है, वह भी जा सकते हैं. केसी त्यागी ने जो सर्वमान्य सिद्धांत है उसके बारे में कहा था."- रामानुज प्रसाद, आरजेडी प्रवक्ता

"नीतीश कुमार सॉफ्ट हिंदुत्व का लाइन लेकर भाजपा की ओर झुकते दिख रहे हैं. इसके अलावा जदयू नेता ललन सिंह को किनारे कर ये संकेत दिया गया है कि अब भाजपा में जाने के रास्ते में कोई बाधा नहीं है. अयोध्या शिलान्यास कार्यक्रम में भी हिस्सा लेकर नीतीश कुमार भाजपा से नजदीकी बढ़ा सकते हैं."- डॉक्टर संजय कुमार,राजनीतिक विश्लेषक

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पटना: नीतीश कुमार और भाजपा के बीच गहरे रिश्ते रहे हैं. लंबे अरसे तक नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी और अरुण जेटली से नीतीश कुमार का संबंध किसी से छुपा नहीं है. आज भी नीतीश कुमार स्वर्गीय अटल जी और अरुण जेटली की खूब तारीफ करते हैं. जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर नीतीश कुमार बड़े ही श्रद्धा के साथ पुष्प अर्पित करना नहीं भूलते हैं.

लालू से नजदीकी बनी मुसीबत!: नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा हैं. ललन सिंह को नीतीश कुमार ने पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था लेकिन ललन सिंह की नजदीकियां लालू प्रसाद यादव से बढ़ गई थीं. नीतीश कुमार को यह नागवार गुजर रहा था. आखिरकार नीतीश कुमार ने खुद जदयू की कमान संभाल ली. ढाई साल अध्यक्ष रहने के बाद ललन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा.

केसी त्यागी के बदले सुर: नीतीश कुमार के अध्यक्ष बनते ही जदयू नेताओं के सुर बदल गए हैं. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने अपने बयान से राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया. जदयू नेता ने भाजपा से पुराने रिश्तों का हवाला दिया और राजनीति को संभावनाओं का खेल बताया है.

पहला इंडिकेटर: लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले नेता ललन सिंह अध्यक्ष पद से हटा दिए गए हैं और नीतीश कुमार ने खुद जदयू की कमान संभाल रखी है. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को देखते हुए ललन सिंह को हटाना पहला इंडिकेटर है. ललन सिंह बाधक साबित हो रहे थे. ललन सिंह ने ही नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने के लिए प्रेरित किया था और ललन सिंह के अध्यक्ष रहते हुए नीतीश कुमार महागठबंधन में वापस आए थे.

दूसरा इंडिकेटर: नीतीश कुमार ने संकेत दिए हैं कि अयोध्या में उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे. केसी त्यागी ने कहा कि बीजेपी वाले हमारे मित्र हैं और राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम को लेकर भी जदयू नेता ने कहा कि अगर निमंत्रण मिला तो हमारे पार्टी से प्रतिनिधि शामिल होंगे. नीतीश कुमार भाजपा को लेकर आक्रामक नहीं है और सीधे-सीधे आक्रमण करने से बच रहे है.

"हमारे नेता नीतीश कुमार सभी धर्म का सम्मान करते हैं. अयोध्या शिलान्यास कार्यक्रम में जाने को लेकर भी हम लोग चर्चा करेंगे. हम इंडिया गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं और हमारे नेता उसके शिल्पकार हैं."- हिमराज राम,जदयू प्रवक्ता

तीसरा इंडिकेटर: वहीं जदयू ने कांग्रेस को लेकर दिखाई तल्खी और कहा कि कांग्रेस सीट शेयरिंग और महागठबंधन को लेकर गंभीर नहीं है उसे विचार करना चाहिए. इंडिया गठबंधन में उपेक्षित नीतीश अब कांग्रेस को सबक सिखाने के मूड में हैं.

चौथा इंडिकेटर: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले नीतीश कुमार के लिए लगातार सीबीआई और ईडी का नोटिस लालू यादव और तेजस्वी यादव को मिलना असहज कर रहा है.

पांचवां इंडिकेटर: 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदला और भाजपा के साथ हो लिए. उसी दौरान सीएम तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया था. दूसरी बार जब एनडीए में नीतीश कुमार लौटे थे, तब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार थे और अब एक बार फिर नीतीश कुमार ने जदयू की कमान संभाली है.

"भाजपा अयोध्या मसले का राजनीतिकरण कर रही है और उसका राजनीतिक लाभ भी लेना चाहती है. नीतीश कुमार जाने वाले हैं. कई और नेताओं को भी निमंत्रण मिला है, वह भी जा सकते हैं. केसी त्यागी ने जो सर्वमान्य सिद्धांत है उसके बारे में कहा था."- रामानुज प्रसाद, आरजेडी प्रवक्ता

"नीतीश कुमार सॉफ्ट हिंदुत्व का लाइन लेकर भाजपा की ओर झुकते दिख रहे हैं. इसके अलावा जदयू नेता ललन सिंह को किनारे कर ये संकेत दिया गया है कि अब भाजपा में जाने के रास्ते में कोई बाधा नहीं है. अयोध्या शिलान्यास कार्यक्रम में भी हिस्सा लेकर नीतीश कुमार भाजपा से नजदीकी बढ़ा सकते हैं."- डॉक्टर संजय कुमार,राजनीतिक विश्लेषक

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Last Updated : Dec 30, 2023, 9:21 PM IST
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