नई दिल्ली : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष जे ए जयलाल ने आयुर्वेद के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर उनके खिलाफ दायर मुकदमे को एलोपैथिक डॉक्टरों को परेशान करने के लिए एक विस्तृत डिजाइन बताया है.
उन्होंने कहा कि याचिका, जिसमें आयुर्वेदिक पर भरोसा रखने वालों की भावनाओं को आहत करने के लिए सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी, उन्हें संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का प्रयोग करने से रोकती है.
जयलाल ने आईएमए और उसके महासचिव जयेश लेले के मुकदमे पर दिए 212 पृष्ठों के जवाब में कहा, यह शिकायत एलोपैथिक चिकित्सकों को प्रताड़ित करने और उनके अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए लोगों के एक खास वर्ग की विस्तृत योजना का हिस्सा है.
चिकित्सा संघ ने 30 जुलाई को अपने जवाब में आरोपों को बकवास, अप्रमाणित और कानून के सामने न टिकने वाला बताया. जयलाल, आईएमए, लेले, राष्ट्रीय चिकित्सक संघ और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैण्डर्डस मामले में बचावकर्ता हैं.
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तीस हजारी अदालत की दीवानी न्यायाधीश दीक्षा राव ने बाकी के बचावकर्ताओं को 29 सितंबर तक मुकदमे पर अपना जवाब देने का निर्देश दिया है.
राजेंद्र सिंह राजपूत नामक शख्स ने यह मुकदमा दर्ज कराया है जिसमें जयलाल तथा अन्य को आयुर्वेद के इलाज के खिलाफ अपमानजनक बयान न देने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है और आयुर्वेद में विश्वास रखने वाले लोगों की भावनाएं आहत करने के लिए इनसे माफी मांगने का अनुरोध भी किया गया है.
(एजेंसी इनपुट)