ETV Bharat / bharat

बिहार: कालेजों और विश्वविद्यालयों में भुगतान बकाया तो कैसे मिलेगी मुफ्त शिक्षा

बिहार में लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने के बदले कॉलेज और यूनिवर्सिटी का कई साल से भुगतान बकाया है. शिक्षा विभाग (Education Department) भुगतान के नाम पर अपने कदम पीछे खींच लेता है. ऐसे में लड़कियों को मुफ्त शिक्षा कैसे मिल पाएगी. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

free education for girls, Bihar News
बिहार शिक्षा विभाग
author img

By

Published : Aug 6, 2021, 5:24 AM IST

पटना: जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सीधे लड़कियों की शिक्षा से जोड़ते हैं. मुख्यमंत्री पोस्ट ग्रेजुएट स्तर तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा भी करते हैं, लेकिन विडंबना ये कि जब मुफ्त शिक्षा के बदले भुगतान की बारी आती है तो बिहार का शिक्षा विभाग (Education Department) अपने कदम पीछे खींच लेता है.

ऐसे में सीएम नीतीश की घोषणा का क्या मतलब जब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने के बदले कॉलेज और यूनिवर्सिटीज का कई साल से भुगतान बकाया है. बिहार में लड़कियों को पढ़ाई के लिए पोस्ट ग्रेजुएट स्तर तक कोई खर्च ना करना पड़े इसके लिए सरकार ने तमाम तरह की घोषणाएं की हैं. मैट्रिक और इंटर पास करने पर लड़कियों को रकम भी मिलती है, लेकिन कॉलेज स्तर पर जब पढ़ाई की बात आती है तो लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने वाले कॉलेज और यूनिवर्सिटी सरकारी सिस्टम का दंश झेलने को मजबूर हैं.

2014 में ही बिहार सरकार ने लड़कियों की पूरी शिक्षा मुफ्त में देने की घोषणा की थी. इसमें प्राथमिक से लेकर मास्टर डिग्री तक की मुफ्त शिक्षा की बात कही गई थी. लेकिन, लंबे समय से घोषणा के बावजूद कॉलेज स्तर पर कम से कम यह योजना लागू नहीं हो पाई. लड़कियों को लगातार कॉलेज फीस देना पड़ा. ये मामला पटना हाई कोर्ट भी गया, इसे लेकर हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और आदेश दिया कि जब घोषणा है तो फिर बिहार में लड़कियों से पैसे क्यों लिए जा रहे हैं. उन्हें तुरंत फीस की रकम लौटायी जाए.

बिहार शिक्षा विभाग

''सरकार को इस बात का जवाब तो सोचना पड़ेगा कि इतनी अच्छी योजना क्यों नहीं परवान चढ़ पाई. बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा पर बिहार में खर्च होता है और बजट में इस बात की भी चर्चा है कि लड़कियों की शिक्षा पर कितना खर्च होना है, फिर आखिर क्यों शिक्षा विभाग इसे विश्वविद्यालयों को देने में आनाकानी करता है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

इस बारे में कॉलेज के प्रिंसिपल तो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए, लेकिन मुफ्त शिक्षा के नाम पर बजट का प्रावधान होने के बावजूद विश्वविद्यालयों को फंड नहीं मिल रहा है, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रास बिहारी सिंह इसके भुक्तभोगी रहे हैं. रास बिहारी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि इतनी अच्छी योजना का बिहार में बंटाधार हो गया. सरकार ने लड़कियों की शिक्षा को लेकर योजना तो अच्छी बनाई. बजट में इसके लिए प्रावधान भी कर दिया, लेकिन सरकारी सिस्टम में यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई.

पढ़ें: जातीय जनगणना मुद्दे पर पीएम से मिलने का मांगा समय -सीएम नीतिश कुमार

''हमने हर तरह से प्रयास किया, लेकिन पता नहीं क्यों शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने के प्रयास को गंभीरता से क्यों नहीं किया. पटना विश्वविद्यालय को तो कुछ फंड मिल भी गया, लेकिन अन्य विश्वविद्यालयों में अब तक लड़कियों की मुफ्त शिक्षा के मद में खर्च किया गया पैसा नहीं मिल पाया है.''- रास बिहारी सिंह, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति

उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने बताया कि लंबे समय से इस बारे में कोई निर्णय नहीं होने का एक बड़ा कारण विश्वविद्यालयों के फीस स्ट्रक्चर में भिन्नता है. एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय अलग-अलग फीस लेते हैं, जबकि इस बारे में स्पष्ट निर्देश उनके पास है कि किस कोर्स के लिए कितनी फीस लेना है. जब तक विश्वविद्यालय इस संबंध में अपने द्वारा खर्च की गई राशि और एक तय समरूप फीस के बारे में जानकारी नहीं देते तब तक निर्णय लेना मुश्किल है.

पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग अब इस बात को लेकर गंभीरता से प्रयास कर रहा है कि बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द विश्वविद्यालयों को हो जाए. लेकिन, इस बात का जवाब तो शिक्षा विभाग को सोचना पड़ेगा कि 2014 में की गई घोषणा के बाद आखिर क्यों विभाग इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ सका है.

पटना: जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सीधे लड़कियों की शिक्षा से जोड़ते हैं. मुख्यमंत्री पोस्ट ग्रेजुएट स्तर तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा भी करते हैं, लेकिन विडंबना ये कि जब मुफ्त शिक्षा के बदले भुगतान की बारी आती है तो बिहार का शिक्षा विभाग (Education Department) अपने कदम पीछे खींच लेता है.

ऐसे में सीएम नीतीश की घोषणा का क्या मतलब जब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने के बदले कॉलेज और यूनिवर्सिटीज का कई साल से भुगतान बकाया है. बिहार में लड़कियों को पढ़ाई के लिए पोस्ट ग्रेजुएट स्तर तक कोई खर्च ना करना पड़े इसके लिए सरकार ने तमाम तरह की घोषणाएं की हैं. मैट्रिक और इंटर पास करने पर लड़कियों को रकम भी मिलती है, लेकिन कॉलेज स्तर पर जब पढ़ाई की बात आती है तो लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने वाले कॉलेज और यूनिवर्सिटी सरकारी सिस्टम का दंश झेलने को मजबूर हैं.

2014 में ही बिहार सरकार ने लड़कियों की पूरी शिक्षा मुफ्त में देने की घोषणा की थी. इसमें प्राथमिक से लेकर मास्टर डिग्री तक की मुफ्त शिक्षा की बात कही गई थी. लेकिन, लंबे समय से घोषणा के बावजूद कॉलेज स्तर पर कम से कम यह योजना लागू नहीं हो पाई. लड़कियों को लगातार कॉलेज फीस देना पड़ा. ये मामला पटना हाई कोर्ट भी गया, इसे लेकर हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और आदेश दिया कि जब घोषणा है तो फिर बिहार में लड़कियों से पैसे क्यों लिए जा रहे हैं. उन्हें तुरंत फीस की रकम लौटायी जाए.

बिहार शिक्षा विभाग

''सरकार को इस बात का जवाब तो सोचना पड़ेगा कि इतनी अच्छी योजना क्यों नहीं परवान चढ़ पाई. बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा पर बिहार में खर्च होता है और बजट में इस बात की भी चर्चा है कि लड़कियों की शिक्षा पर कितना खर्च होना है, फिर आखिर क्यों शिक्षा विभाग इसे विश्वविद्यालयों को देने में आनाकानी करता है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

इस बारे में कॉलेज के प्रिंसिपल तो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए, लेकिन मुफ्त शिक्षा के नाम पर बजट का प्रावधान होने के बावजूद विश्वविद्यालयों को फंड नहीं मिल रहा है, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रास बिहारी सिंह इसके भुक्तभोगी रहे हैं. रास बिहारी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि इतनी अच्छी योजना का बिहार में बंटाधार हो गया. सरकार ने लड़कियों की शिक्षा को लेकर योजना तो अच्छी बनाई. बजट में इसके लिए प्रावधान भी कर दिया, लेकिन सरकारी सिस्टम में यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई.

पढ़ें: जातीय जनगणना मुद्दे पर पीएम से मिलने का मांगा समय -सीएम नीतिश कुमार

''हमने हर तरह से प्रयास किया, लेकिन पता नहीं क्यों शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने के प्रयास को गंभीरता से क्यों नहीं किया. पटना विश्वविद्यालय को तो कुछ फंड मिल भी गया, लेकिन अन्य विश्वविद्यालयों में अब तक लड़कियों की मुफ्त शिक्षा के मद में खर्च किया गया पैसा नहीं मिल पाया है.''- रास बिहारी सिंह, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति

उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने बताया कि लंबे समय से इस बारे में कोई निर्णय नहीं होने का एक बड़ा कारण विश्वविद्यालयों के फीस स्ट्रक्चर में भिन्नता है. एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय अलग-अलग फीस लेते हैं, जबकि इस बारे में स्पष्ट निर्देश उनके पास है कि किस कोर्स के लिए कितनी फीस लेना है. जब तक विश्वविद्यालय इस संबंध में अपने द्वारा खर्च की गई राशि और एक तय समरूप फीस के बारे में जानकारी नहीं देते तब तक निर्णय लेना मुश्किल है.

पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग अब इस बात को लेकर गंभीरता से प्रयास कर रहा है कि बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द विश्वविद्यालयों को हो जाए. लेकिन, इस बात का जवाब तो शिक्षा विभाग को सोचना पड़ेगा कि 2014 में की गई घोषणा के बाद आखिर क्यों विभाग इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ सका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.