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फारुख अब्दुल्ला का पीएम मोदी पर बड़ा हमला, 'दिल जीतने की नहीं की कोशिश'

नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर के नेताओं के साथ 24 जून को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद अब तक जमीनी स्तर पर दिल जीतने की कोई कोई कोशिश नहीं हुई. ये बयान रविवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने दिया.

Farooq Abdullah, PM Modi
फारुख अब्दुल्ला
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Published : Jul 25, 2021, 7:21 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के एक महीने बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने रविवार को बड़ा हमला बोला. कहा कि सर्वदलीय बैठक के बाद अब तक जमीनी स्तर पर दिल जीतने की कोई कोई कोशिश नहीं हुई.

अब्दुल्ला ने ये बयान नई दिल्ली में 24 जून को हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री (PM Modi) की टिप्पणी के संदर्भ में दिया. उन्होंने कहा कि इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir News) के लोगों का दिल जीतना चाहते हैं और 'दिल्ली की दूरी' के साथ 'दिल की दूरी' मिटाना चाहते हैं.'

पूर्व में तीन बार मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने आगे कहा कि लोगों को हिरासत में लेना जारी है और असहमति को बर्दाश्त नहीं किया जा रहा. हम जमीन पर बदलाव होते हुए देखना चाहते हैं, अपने राज्य के टुकड़े होने, एक ही झटके में उसका विशेष दर्जा छीन लिए जाने के आघात से गुजरे लोगों को वापस जीतने की दिख सकने वाली कोशिश.

एक महीने बाद भी हम बैठक के आगे के परिणाम देखने का इंतजार कर रहे हैं. विश्वास में दोनों ही पक्ष (दिल्ली और श्रीनगर) की तरफ से कमी है. एक के बाद एक प्रधानमंत्रियों- जवाहरलाल नेहरू, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी तक ने वादे किए, लेकिन विश्वास की कमी बनी रही.

बैठक के पहले से नहीं थी कोई खास उम्मीद

तिरासी वर्षीय नेता ने कहा कि वह और उनकी पार्टी दिल्ली की बैठक में इसलिए शामिल हुई, क्योंकि यह प्रधानमंत्री से मिला निमंत्रण था. हालांकि, उन्हें इससे कोई उम्मीद नहीं थी. इसके बावजूद, उन्होंने लोगों के दिलो-दिमाग जीतने के कदम की आशा की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

पढ़ें:मोदी सरकार की योजनाओं का ज्यादा फायदा मुसलमानों को हुआ : जमाल सिद्दीकी

अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू और कश्मीर को 'पूर्ण व निर्विवाद' राज्य का दर्जा उसकी विधानसभा के चुनाव से पहले बहाल किया जाना चाहिए. सभी प्रमुख दलों ने मांग की है और केंद्र को उस पर सहमति जताकर अपनी प्रामाणिकता साबित करनी चाहिए.

जब बिगुल बजेगा तब फैसला करेंगे

यह पूछने पर कि अगर चुनाव से पहले राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता है तो उनकी पार्टी चुनावों में भाग लेगी, नेकां अध्यक्ष ने कहा कि जब बिगुल फूंका जाएगा हम तब इसका फैसला करेंगे. तब हम विचार करेंगे कि हमें क्या करना चाहिए. नेकां और उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी पीडीपी सहित मुख्यधारा के छह राजनीतिक दलों का समूह, गुपकर गठबंधन (पीएजीडी) के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि गठबंधन बरकरार है और 'हम साथ हैं...सभी हैं. हम उससे अलग नहीं हुए हैं. जब पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त कर दिया गया था तब हमने जल्दबाजी में गठबंधन बनाया था.

समान विचार वाले लोग

कहा कि हम सभी समान विचार वाले लोग हैं, जो एक साथ मिलकर दर्जा बहाल करने के लिए काम करने के लिए एकजुट हुए, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि इस सरकार के तहत इसे बहाल नहीं किया जा सकेगा. लेकिन हम लोकतांत्रिक एवं कानूनी तरीके से लड़ते रहेंगे. हमारे बाद भी लोग खड़े होंगे और इसको बहाल करने के लिए काम करेंगे.

इस महीने की शुरुआत में परिसीमन आयोग जम्मू-कश्मीर आया था और संसद के किसी भी सदस्य, जो इसके सहयोगी सदस्य हैं, को कार्यवाही देखने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था. वर्तमान में संसद में श्रीनगर का प्रतिनिधित्व करने वाले अबदुल्ला ने राष्ट्रीय विपक्षी राजनीतिक दलों से उनकी योजनाएं एवं विचारधाराओं को 'भूलने' और लोकतंत्र के स्तंभ को और अधिक मजबूती से स्थापित करने के लिए एकजुट होने की अपील की क्योंकि 'समय समाप्त हो रहा है'.

(पीटीआई-भाषा)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के एक महीने बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने रविवार को बड़ा हमला बोला. कहा कि सर्वदलीय बैठक के बाद अब तक जमीनी स्तर पर दिल जीतने की कोई कोई कोशिश नहीं हुई.

अब्दुल्ला ने ये बयान नई दिल्ली में 24 जून को हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री (PM Modi) की टिप्पणी के संदर्भ में दिया. उन्होंने कहा कि इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir News) के लोगों का दिल जीतना चाहते हैं और 'दिल्ली की दूरी' के साथ 'दिल की दूरी' मिटाना चाहते हैं.'

पूर्व में तीन बार मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने आगे कहा कि लोगों को हिरासत में लेना जारी है और असहमति को बर्दाश्त नहीं किया जा रहा. हम जमीन पर बदलाव होते हुए देखना चाहते हैं, अपने राज्य के टुकड़े होने, एक ही झटके में उसका विशेष दर्जा छीन लिए जाने के आघात से गुजरे लोगों को वापस जीतने की दिख सकने वाली कोशिश.

एक महीने बाद भी हम बैठक के आगे के परिणाम देखने का इंतजार कर रहे हैं. विश्वास में दोनों ही पक्ष (दिल्ली और श्रीनगर) की तरफ से कमी है. एक के बाद एक प्रधानमंत्रियों- जवाहरलाल नेहरू, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी तक ने वादे किए, लेकिन विश्वास की कमी बनी रही.

बैठक के पहले से नहीं थी कोई खास उम्मीद

तिरासी वर्षीय नेता ने कहा कि वह और उनकी पार्टी दिल्ली की बैठक में इसलिए शामिल हुई, क्योंकि यह प्रधानमंत्री से मिला निमंत्रण था. हालांकि, उन्हें इससे कोई उम्मीद नहीं थी. इसके बावजूद, उन्होंने लोगों के दिलो-दिमाग जीतने के कदम की आशा की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

पढ़ें:मोदी सरकार की योजनाओं का ज्यादा फायदा मुसलमानों को हुआ : जमाल सिद्दीकी

अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू और कश्मीर को 'पूर्ण व निर्विवाद' राज्य का दर्जा उसकी विधानसभा के चुनाव से पहले बहाल किया जाना चाहिए. सभी प्रमुख दलों ने मांग की है और केंद्र को उस पर सहमति जताकर अपनी प्रामाणिकता साबित करनी चाहिए.

जब बिगुल बजेगा तब फैसला करेंगे

यह पूछने पर कि अगर चुनाव से पहले राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता है तो उनकी पार्टी चुनावों में भाग लेगी, नेकां अध्यक्ष ने कहा कि जब बिगुल फूंका जाएगा हम तब इसका फैसला करेंगे. तब हम विचार करेंगे कि हमें क्या करना चाहिए. नेकां और उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी पीडीपी सहित मुख्यधारा के छह राजनीतिक दलों का समूह, गुपकर गठबंधन (पीएजीडी) के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि गठबंधन बरकरार है और 'हम साथ हैं...सभी हैं. हम उससे अलग नहीं हुए हैं. जब पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त कर दिया गया था तब हमने जल्दबाजी में गठबंधन बनाया था.

समान विचार वाले लोग

कहा कि हम सभी समान विचार वाले लोग हैं, जो एक साथ मिलकर दर्जा बहाल करने के लिए काम करने के लिए एकजुट हुए, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि इस सरकार के तहत इसे बहाल नहीं किया जा सकेगा. लेकिन हम लोकतांत्रिक एवं कानूनी तरीके से लड़ते रहेंगे. हमारे बाद भी लोग खड़े होंगे और इसको बहाल करने के लिए काम करेंगे.

इस महीने की शुरुआत में परिसीमन आयोग जम्मू-कश्मीर आया था और संसद के किसी भी सदस्य, जो इसके सहयोगी सदस्य हैं, को कार्यवाही देखने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था. वर्तमान में संसद में श्रीनगर का प्रतिनिधित्व करने वाले अबदुल्ला ने राष्ट्रीय विपक्षी राजनीतिक दलों से उनकी योजनाएं एवं विचारधाराओं को 'भूलने' और लोकतंत्र के स्तंभ को और अधिक मजबूती से स्थापित करने के लिए एकजुट होने की अपील की क्योंकि 'समय समाप्त हो रहा है'.

(पीटीआई-भाषा)

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