पटनाः बिहार के सिवान रेलवे स्टेशन पर ग्वालियर एक्सप्रेस के डिब्बे से विस्फोटक की बरामदगी ने एक बार फिर से बिहार पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है. पटना से बम निरोधक दस्ता और एफएसएल की टीम पूरे मामले की जांच कर रही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यात्रियों के बीच से विस्फोटक ले जाने की कोशिश क्यों की जाती है. सिवान में ट्रेन से विस्फोटक बरामद (explosives recovery cases from trains) होना पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी बिहार में कई बार ट्रेन के जरिये विस्फोटक लाया गया है. पुराने मामले में यह बात भी निकलकर सामने आई है कि ट्रेन से विस्फोटक बिहार लाना सबसे आसान और सुलभ है.
2014 में नरेंद्र मोदी की सभा में विस्फोटः प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेद्र मोदी जब पटना में सभा को संबोधित कर रहे थे, उसमें भी जिन विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था वो ट्रेन के जरिये ही लाया गया था. इमरान और उसकी पूरी टीम ने सारा विस्फोटक जन शताब्दी एक्सप्रेस से लेकर आया था. इतना ही नहीं जिस समय उसके साथी गांधी मैदान में बम लगा रहे थे, इमरान ट्रेन से बम के साथ प्लेटफार्म नंबर दस पर बाथरूम में फ्रेश हो रहा था और इसी दौरान बम विस्फोट कर गया था. इस प्रकरण में सारा विस्फोटक ट्रेन के जरीये ही लाया गया था.
मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा में भी विस्फोटक की खेपः फरवरी 2023 में मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा में इमरान नामक एक शख्स के किराये के घर से विस्फोटक बरामद किया गया था. पहले इस मामले की जांच बिहार पुलिस ने की और बाद में यह मामला एनआईए के अधीन चला गया. पूछताछ के दौरान इमरान ने बताया था कि उसने ट्रेन के जरिये ही विस्फोटक मंगवाया था. इतना ही ने इमरान ने एनआईए को जो बयान दिया था उसमें उसने स्वीकार किया था कि ट्रेन के जरीये विस्फोटक ले जाना सबसे आसान है.
कटिहार मालदा पैसेंजर से विस्फोटक बरामद: वर्ष 2017 में कटिहार में कटिहार-मालदा पैसेंजर ट्रेन में आठ जिन्दा बरामद किया गया था. इस दौरान घंटों ट्रेन रुकी रही और यात्रियों को ट्रेन से निकालकर किसी तरह बम को हटाया गया. इस मामले में किसी की गिरफ्तारी तो नहीं हुई, पर जीआरपी कटिहार में अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर छानबीन जारी है.
पटना-पुणे एक्सप्रेस में विस्फोट के बाद बम बरामद: वर्ष 2006 में पुणे एक्सप्रेस में बक्सर और दानापुर के बीच चलती ट्रेन में विस्फोट के बाद अफरा तफरी मच गई थी. घटना के बाद ट्रेन की तलाशी ली गयी और कई जिन्दा बम बरामद किया गया था. बाद में पुलिस इस मामले को लूट पाट की घटना से जोड़ दी और मामला दर्ज कर छानबीन की गई.
विस्फोटक ले जाने का सुगम सवारी ट्रेन क्यों: ट्रेनों के जरिये विस्फोटक ले जाने की घटना को बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने ढीली व्यवस्था का परिचायक बताया है. उनकी नजर में अपराधियों और तस्करों को ट्रेन से ऐसे सामानों को ले जाना सबसे आसान होता है, क्योंकि इसमें पकड़े जाने की सम्भावना कम होती है. घटना के करीब 20 घंटे बाद जब सिवान में विस्फोटक मिलने को लेकर बिहार पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक जेएस गंगवार से ईटीवी भारत संवाददाता आशुतोष ने सवाल किया तो उन्होंने कोई जानकारी नहीं होने का हवाला देकर सूचना आने पर जानकारी देने की बात कही.
आसानी से हथियार और विस्फोटक लेकर ट्रेनों में चढ़ जाते हैं अपराधीः इसके अलावा हथियार और बम का इस्तेमाल कर लूटपाट के दर्जनों मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं. जब अपराधी आसानी से ट्रेन में हथियार या बम लेकर सवार हो जाते हैं और खुलेआम लूटपाट कर सकते हैं, तो विस्फोटक को सुगम तरीके से ट्रेन में क्यों नहीं लाया जा सकता. जानकरों की मानें तो नियमित रूप से चेकिंग न होना इसकी सबसे बड़ी वजह है. जब तक लचर व्यवस्था को ठीक नहीं किया जाएगा, ट्रेनों में ऐसे विस्फोटक सामग्री मिलते रहेंगे. फिलहाल बिहार पुलिस ग्वालियर एक्सप्रेस से बरामद विस्फोटक सामग्री की गुत्थी सुलझाने में जुटी है.