वाराणसी: शहर वाराणसी जिसकी पहचान ही दो नदियों के बीच की है. एक तरफ वरुणा तो दूसरे तरफ अस्सी. अस्सी नदी अपने अस्तित्व को खोती जा रही है. लंबे वक्त से अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है. अस्सी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए कभी बहुजन समाज पार्टी तो कभी समाजवादी पार्टी और कभी बीजेपी ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास शुरू किया. लेकिन, आज तक इन प्रयासों को बल नहीं मिला. शायद यही वजह है. कि मामला कभी हाईकोर्ट और फिर कभी एनजीटी के पास पहुंचा. अलग-अलग न्यायालयों ने अस्सी नदी पर हुए अतिक्रमण और अस्सी नदी की बदहाली को दूर कर इसे पुनर्जीवित करने का आदेश दिया. लेकिन, अब तक हुआ कुछ नहीं.
हाईकोर्ट ने दिया था अतिक्रमण हटाने का आदेश
इस मामले में बीते दिनों 17 फरवरी 2023 को हाईकोर्ट ने अस्सी नदी से अतिक्रमण हटाकर इसे पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया. एनजीटी ने भी नवंबर 2021 में अतिक्रमण हटाने के लिए विस्तृत आदेश दिया था. इसके बाद इस नदी को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए लंबे चौड़े अभियान की प्लानिंग की गई. वाराणसी विकास प्राधिकरण ने 761 ऐसे आवासीय और व्यावसायिक भवनों की सूची तैयार की, जिनको गिराकर इस नदी को पुनर्जीवित करने का प्लान तैयार किया गया. लेकिन, यह प्लान अब तक सिर्फ कागजों में ही दौड़ रहा है. हालात यह हैं अतिक्रमण हटाने के लिए जिम्मेदार विभाग नगर निगम अब तक सिर्फ कागजों में ही कार्रवाई कर रहा है और 8 किमी लंबी नदी का अस्तित्व कब फिर से दिखने लगेगा और कब नदी पुनर्जीवित होगी यह भी भविष्य के गर्त में ही बना है.
अस्सी नदी का उद्गम स्थल है कंदवा
दरअसल, वाराणसी में अस्सी नदी का उद्गम स्थल शहर से ही कुछ दूर स्थित कंदवा को माना जाता है. यह नदी चितईपुर, करौंदी, कर्माजीतपुर, नेवादा, सराय नंदन, नरिया, साकेत नगर, भदैनी और नगवा होते हुए गंगा में जाकर मिलती है. अस्सी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए पिछले दिनों एनजीटी ने इस पर गंभीरता से विचार कर तत्काल सारे अतिक्रमण को हटाते हुए उसे अपने वास्तविक स्वरूप में लाने के निर्देश दिए थे. बता दें कि 8 किमी लंबी इस नदी, जिसकी चौड़ाई कभी 200 मीटर से अधिक हुआ करती थी, वह अतिक्रमण की वजह से सिकुड़ते-सिकुड़ते सिर्फ 8 फीट की रह गई है.
एनजीटी ने अस्सी और वरुणा को पुनर्जीवित करने का दिया था आदेश
एनजीटी ने अस्सी के साथ वरुणा को भी पुनर्जीवित करने का आदेश दिया था. इसके बाद वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इसके लिए सर्वे का काम करते हुए तत्काल इस अतिक्रमण को हटाने की प्लानिंग की. वाराणसी के जिला अधिकारी एस राज लिंगम का कहना है कि एनजीटी और हाईकोर्ट के आदेश पर अस्सी नदी को अतिक्रमण मुक्त बनाने की कार्यवाही शुरू की गई है. टीमें गठित कर दी गई हैं और अभियान भी शुरू हो गया है. जल्द ही अस्सी नदी अपने वास्तविक स्वरूप में दिखाई देगी और इसकी विस्तृत रिपोर्ट भी शासन को प्रेषित की जाएगी.
हालांकि, भले ही अधिकारी अस्सी नदी को लेकर कुछ भी कहें. लेकिन, वास्तविकता कुछ और ही है. इसे लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने अस्सी नदी के किनारे पहुंचकर इसकी हकीकत जानी तो निश्चित तौर पर चीजें चौंकाने वाली मिलीं. अस्सी नदी के किनारे इतने बड़े-बड़े मकान, अस्पताल, होटल और अपार्टमेंट प्रशासन के इन दावों को मुंह चिढ़ाने का काम कर रहे थे.
नगर निगम के अपर नगर आयुक्त का बयान
हालांकि, जब इस बारे में वाराणसी नगर निगम के अपर नगर आयुक्त राजीव राय से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि इसे लेकर कार्रवाई शुरू की गई है. टीमों को अलग-अलग बांटकर अस्सी नदी पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए लगाया जा रहा है. जल्द ही अस्सी नदी अपने वास्तविक स्वरूप में दिखाई देगी. उनका कहना है कि इसके लिए अलग-अलग विभागों को अलग-अलग टीमें बनाकर काम करना है. इसके लिए राजस्व विभाग से लेकर कई विभाग शामिल किए गए हैं. कार्रवाई से पहले समान दस्तावेज और नियम कानून भी देखे जा रहे हैं, ताकि उचित तरीके से चीजें हो सकें.
भले ही प्रशासन अपने-अपने स्तर पर दावे कर रहा हो. लेकिन, इन दावों की सच्चाई यही है कि अभी कुछ दिन पहले नगर निगम की टीम जब अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची थी, तो उसे इतना जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा कि टीम को बैरंग लौटना पड़ा. इसके कारण अतिक्रमण हटाने का काम हो ही नहीं पाया और आज भी एनजीटी समेत हाईकोर्ट के आदेश को लगभग कई महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. लेकिन, कार्रवाई अब तक सिर्फ कागजों में ही दिख रही है. हकीकत में अब तक ना अतिक्रमण हटा है और ना ही अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू हुई है. इसकी वजह से अतिक्रमण करने वाले बेखौफ होकर अभी निर्माण करते दिखाई दे रहे हैं.
ईटीवी भारत के कैमरे में भी स्पष्ट तौर पर अस्सी नदी के किनारे हो रहे निर्माण की तस्वीरें भी देखने को मिल गई हैं. जो निश्चित तौर पर यह स्पष्ट कर रहा है कि जिम्मेदार एनजीटी और हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अस्सी नदी को पुनर्जीवित करने में जरा सी भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिससे आने वाले भविष्य में यह नदी नाले के रूप में तब्दील होने के बाद सिर्फ एक पतली सी नाली ही रह जाएगी.
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