कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच तकरार बढ़ती ही जा रही है. हालांकि ये कोई नई बात नहीं है, जब राज्य सरकार और जगदीप धनखड़ के बीच हुई आपसी कलह जगजाहिर न हुई हो. वहीं, माना जा रहा था कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजे घोषित होने और राज्य सरकार द्वारा पुन: कार्यभार संभालने के साथ ही यह विवाद भी शांत हो जाएगा, लेकिन इसके उलट मामला बिगड़ता ही चला जा रहा है, जो अब जगजाहिर है.
बता दें कि ममता बनर्जी ने पांच मई को तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उन्हें शपथ लिए हुए अभी 10 दिन ही पूरे हुए हैं और राज्यपाल जगदीप धनकड़ के साथ उनकी तनातनी एक बार फिर शुरू हो गई. बीते बुधवार (15 मई) राज्यपाल धनकड़ और सीएम ममता बनर्जी को लेकर पूरा दिन 'लेटर वॉर' चलता रहा है.
लोगों को इस बात की उम्मीद थी कि पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सरकार बनने के बाद चल रहा विवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन इन सभी उम्मीदों पर चल रहे विवाद ने पानी फेर दिया. निरंतर चल रहे विवाद को देखकर तो लगता है कि अब युद्धविराम की कोई संभावना नहीं है. राज्य के विभिन्न स्थानों से चुनाव के बाद की हिंसा की खबरों के बाद से राज्यपाल ने हिंसा की कड़ी निंदा कर आवाज उठाई है. स्वाभाविक रूप से सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस भी आगबबूला हो रहा है.
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राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार के विरोध के बावजूद गुरुवार को कूचबिहार जिले में चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा किया. राज्यपाल यहां के माथाभंगा, शीतलकूची, सिताई और दिनहाटा में उन्होंने हिंसा से पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका दर्द साझा किया एवं स्थिति की जानकारी ली.
शीतलकूची में राज्यपाल को कथित रूप से तृणमूल कांग्रेस समर्थित नागरिक मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं ने काले झंडे भी दिखाए. कूचबिहार में मीडिया बात करते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जबरदस्त हमला बोला. उन्होंने कहा कि चार राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुआ, लेकिन हिंसा केवल बंगाल में ही क्यों हुई? सरकारी तंत्र ने मुझे जानकारी नहीं दी. मैंने निर्णय किया कि मैं हरसंभव कदम उठाऊंगा, जिससे लोगों का हौसला बढ़े. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक आदेश का हवाला देकर उन्हें संवैधानिक कर्तव्य के पालन से रोकने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वह अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते रहेंगे.
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा, हिंसा के बाद लोगों ने अपने घर छोड़ दिए हैं और जंगलों में रह रहे हैं. महिलाएं मुझे बताती हैं, कि वे (गुंडे) एक बार फिर वहां आएंगे. राज्यपाल के सामने सुरक्षा की ऐसी विफलता है. मैं इस पर हैरान हूं. मैं कल्पना कर सकता हूं कि यहां के लोगों पर क्या बीत रही है.
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राज्यपाल के दौरे पर सियासत भी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री ने बुधवार को उन्हें पत्र लिखकर दावा किया कि चुना के बाद की हिंसा से प्रभावित कूचबिहार जिले का उनका दौरा नियमों का उल्लंघन करता है, जबकि धनखड़ ने यह कहते हुए पलटवार किया कि वह संविधान के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं.
मीडिया से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा, भारत के संविधान की रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है. राज्य में कानून और व्यवस्था की हालत बहुत खराब है. बंगाल में संविधान की मर्यादाएं टूट रही हैं. डायमंड हार्बर में नड्डा के काफिल पर हमला हमला. ममता बनर्जी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. ममता बनर्जी को संविधान का पालन करना होगा.
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे राज्यपाल पर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता लगातार हमलावर हैं. सांसद शुभेंदु शेखर रॉय ने कहा है कि सड़क पर उतरकर राज्यपाल माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वह अपराधियों को बढ़ावा दे रहे हैं.
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असम में राहत शिविरों में रह रहे पश्चिम बंगाल के परिवारों से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने कहा कि बंगाल में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. मौत के डर से लोग राज्य छोड़कर जा रहे हैं. इस पर सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि नौ मई के बाद राज्य भर में हिंसा को रोक दिया गया है और हाईकोर्ट ने राज्य की भूमिका की सराहना की है. इस बीच राजभवन में रहने वाले दिल्ली के एजेंट सीतलकुची जैसे हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सेंट्रल फोर्स की फायरिंग में जो लोग मारे गए थे, उनके परिवार से राज्यपाल ने मुलाकात नहीं की. यहां तक कि भाजपा के अपराधियों के हाथों तृणमूल के जिन कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारा गया था, उनसे भी मुलाकात नहीं की. थाना प्रभारी को धमकी दे रहे हैं. सच्चाई है कि जगदीप धनखड़ राज्यपाल पद के योग्य नहीं हैं. उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए.