साहिबगंज: पितृपक्ष का समय चल रहा है. लोग अपने माता-पिता सहित पूर्वजों का तर्पण करने के लिए गंगा किनारे पहुंच कर विधि-विधान के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं. झारखंड के साहिबगंज में गंगा किनारे पुरुष ही तर्पण करते हुए नजर आ रहे हैं लेकिन इस भीड़ में दो महिलाएं भी हैं जो अपने माता-पिता का तर्पण कर रही हैं.
धर्मशास्त्र में यह वर्णन है कि जिन माता-पिता का पुत्र नहीं है और अगर पुत्री अपने कर्तव्य का निर्वहन करती है वैसी स्थिति में माता-पिता को मोक्ष की प्राप्ति होती है. दोनों महिलाओं से जब बात की तब पता चला कि वे भोजपुर(बिहार) की रहने वाली हैं. साहिबगंज के बड़तल्ला मोहल्ले में शादी हुई है.
बेटियां निभा रहीं अपना धर्म
दोनों महिलाओं ने बताया कि उनका कोई भाई नहीं है. माता-पिता के गुजरने के बाद फर्ज बनता है कि पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को जल दें. ऊषा तिवारी ने कहा कि वह चार साल से तर्पण कर रही हैं. आशा देवी ने कहा कि वह दो साल से तर्पण कर रही हैं. दोनों का कहना है कि माता-पिता और पूर्वजों के आशीर्वाद से पूरा घर खुशहाल है. बेटे-बेटी अच्छे जॉब में हैं और सभी को संस्कार अच्छे हैं.
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बेटियों के जल देने से भी मिलता है मोक्ष
तर्पण करा रहे पुरोहित ने कहा कि धर्म शास्त्र के अनुसार अगर किसी को पुत्र नहीं है और पुत्री तर्पण करती है वैसे स्थिति में भी पूर्वजों को शांति मिलती है. पितृपक्ष में पूर्वज इस आस में रहते हैं कि हमारे कुल का कोई भी आकर जल दे. पूर्वजों के आशीर्वाद से लोग सुखी संपन्न होते हैं. जो लोग इस पितृपक्ष में तर्पण नहीं करते हैं वैसे लोगों को पितृ दोष लगता है. वह कभी खुशहाल नहीं रह पाते हैं. इसलिए सभी को पितृ तर्पण करना चाहिए.