बेतिया: जाको राखे साईंया मार सके ना कोय, यह बात एक बार फिर से बेतिया में साबित हुई है. एक बच्ची को तीन मंजिला से नीचे फेंक दिया गया था, इसके बावजूद बच्ची की जान बच गई. फिलहाल नवजात का नरकटियागंज अनुमंडल अस्पताल में इलाज चल रहा है.
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तीन मंजिल से नवजात को फेंका: बताया जा रहा है कि बुधवार की अहले सुबह अनुमंडलीय अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड के पीछे जलजमाव के बीच बच्ची की रोने की आवाज आ रही थी. नाइट गार्ड प्रदीप गिरी ने जब बच्ची की आवाज सुनी तो अपने सहयोगियों को बुलाया और नवजात शिशु को पानी में घुस कर बाहर निकाला. लावारिस हालत में फेंकी गई नवजात बच्ची के जीवित होने पर उसने इसकी सूचना अस्पताल प्रशासन को दी. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन बच्ची के इलाज में जुट गया है.
"बच्ची की रोने की आवाज सुनकर देखने गए तो बच्ची जमीन पर पड़ी थी. चारों तरफ जलजमाव था. पानी में घुसकर बच्ची को हमने बाहर निकाला और फिर अस्पताल ले आए. डॉक्टर ने बच्ची का इलाज किया. बच्ची को तीन मंजिला से नीचे फेंक दिया गया था. लड़की अभी सुरक्षित है."- प्रदीप गिरी, नाइट गार्ड
अस्पताल कर्मी कर रहे देखभाल: बहरहाल बच्ची के माता पिता कौन और कहां है? बच्ची यहां कैसे आई? इन तमाम बिंदुओं की जांच की जा रही है. अस्पताल प्रशासन बच्ची के माता-पिता के बारे में जानकारी जुटाने में लगे हुए हैं. फिलहाल नवजात की अस्पताल के कर्मी नवजात की देखभाल कर रहे हैं. एक दिन की इस बच्ची को उसकी निर्दयी मां ने भले ही छोड़ दिया हो लेकिन अस्पताल में मौजूद महिला कर्मचारी इसकी मां बनकर बेटी की तरह इसका ध्यान रख रही हैं.
"नवजात शिशु का इलाज चल रहा हैं. वह खतरे से बाहर है."- डॉ.ब्रजकिशोर, अनुमंडलीय अस्पताल नरकटियागंज
लड़की होने की सजा!: लोगों का कहना है कि लड़की होने की सजा इस मासूम को दी गई है. आज भी संकीर्ण विचारधारा के लोग बेटियों के जन्म पर खुशी नहीं मनाते और उसे पराया धन समझा जाता है. साथ ही साथ आज भी लड़कियों को जन्म के बाद मौत के घाट उतारने का सिलसिला जारी है. लड़कियों को बचाने के लिए देश में कई ठोस कानून हैं लेकिन ऐसे मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.