नई दिल्ली: मिशन 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के लिए बीजेपी (BJP) तरह-तरह की चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई है. यही नहीं, पार्टी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों का विभाजन भी शुरू कर दिया है, जिसके तहत पार्टी ऐसे चक्रव्यूह का निर्माण कर रही जिसमे कोई भी विपक्षी पार्टी सेंध न लगा पाए. इसके लिए बीजेपी ने 12 सूत्रीय एजेंडा भी लोकसभा चुनाव के लिए तैयार किया है, जिसमें एक ही लक्ष्य रखा गया है की विपक्ष के लिए इतनी बड़ी चुनौती खड़ी करो, जिससे वो इस तक पहुंच ना पाए और जनता से जुड़े किसी भी मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों को हावी ही न होने दो.
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने अलग-अलग राज्य, क्षेत्र और ब्लॉक को ध्यान में रखते हुए, रणनीति बनाना शुरू कर दिया है और इस अभियान के तहत पार्टी सबसे ज्यादा ध्यान संगठन की मजबूती पर दे रही है. इसके अलावा पार्टी के विस्तार कार्यक्रम को भी मजबूती दी जा रही है. साथ ही कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने और उनमें पार्टी के प्रति जिम्मेदारी और विश्वास का भाव बढ़ाने के लिए भी बड़े नेताओं के कार्यक्रम और ऑनलाइन कांफ्रेंसिंग की जा रही है, ताकि किसी भी तरह से कार्यकर्ता पार्टी के हक में ही काम करें.
अगर पिछले 5 सालों में किसी कार्यकर्ता की कोई शिकायत रही हो, तो उसे भी तुरंत निपटारे पर ध्यान देने के निर्देश दिए जा रहे हैं, यही नहीं वरिष्ठ नागरिक कार्यकर्ताओं को भी पार्टी से उचित सम्मान मिले और वो किसी भी तरह असंतुष्ट न रहे, इस बात का भी ख्याल रखने के लिए पार्टी के पदाधिकारियों को कहा गया है. पार्टी ने 12 सूत्री योजना मिशन तैयार किया है, जिसे 2024 से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. पार्टी में इसके लिए अलग-अलग टीम तैयार की जा रही है और ये योजना सभी जाति और धर्म को ध्यान में रखकर ही बनाई जा रही है. आइए जानते हैं क्या है बीजेपी का ये 12 पावर प्वाइंट एजेंडा...
1. योग्यता भी निष्ठा भी: इसके तहत जनप्रतिनिधि ऐसे चुने जाएं, जिनके अंतर्गत सिर्फ क्षमता नहीं बल्कि कुछ योग्यता भी हो. इमेज भी अच्छी हो और समाज में सम्मान भी हो. साथ ही पार्टी अपने पुराने और योग्य कार्यकर्ता जो हाशिए पर हैं और पार्टी के लिए निष्ठावान रहे हैं, उन्हें भी जिम्मेदारियां दी जाएंगी.
2. नई ताकत और नई चुनौती: इस लक्ष्य के तहत पार्टी नए चेहरों को ढूंढकर जो पार्टी में काबिलियत व समझ रखते और युवा भी हैं उन्हें आगे बढ़ाएगी, इसके लिए संगठन में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं.
3. विकास भी विरासत: इस एजेंडे के तहत पार्टी विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ मंदिरों के विस्तार और सनातन संस्कृति को मजबूत करने की प्रतिज्ञा भी दोहराएगी, साथ ही राम मंदिर निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, विध्यवासिनी कॉरिडोर, महाकाल मंदिर कॉरिडोर और महत्वपूर्ण मंदिरों में किए गए विकास, भव्यता और सुविधाओं को भी जन-जन तक पहुंचाएगी.
4. टेक्नोलॉजी और निष्ठा दोनों का सम्मान: अभी तक पार्टी मात्र टेक्नोलॉजी के पीछे भाग रहीं थी, जिससे कई निष्ठावान पार्टी कार्यकर्ता पीछे रह जा रहे थे. अब पार्टी उनके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाकर उनकी निष्ठा का भी इस्तेमाल और उनसे जिम्मेदारियों का निर्वहन करवाएगी.
5. सरकार के बाद अब संगठन में भी सामाजिक संतुलन बनाए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत की गई है, ताकि सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय और क्षेत्र का समन्वय बिठाया जा सके.
6. योजनाओं की तुलना: पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी सिर्फ सरकार के कार्यों का बखान ही नहीं करेंगे, बल्कि राज्य और केंद्र की सरकार और पहले की सरकारों की तुलना कर लोगों को खामियां गिनवाएंगे.
7. सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान: इसके तहत हर लोकसभा क्षेत्र में 10 हजार दलित परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही विशेष इलाकों में जनाधार और वोट बैंक के हिसाब से ही टीम तैयार की जायेगी और उसमें इस बात का ध्यान भी रखा जायेगा कि बहुलता वाली जाति का प्रतिनिधित्व हो.
8. भेदभाव वाले माहौल से इतर पार्टी संतुलन बनाने की कोशिश करेगी. इसके तहत मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत भी की जाएगी. सभी जातियों के बीच पैठ बनाने की कोशिश की जाएगी, ताकि पुरानी इमेज से पार्टी पूरी तरह बाहर निकल आए.
9. संपर्क अभियान में समानता: अब संपर्क अभियान में सांसद से लेकर एक छोटे कार्यकर्ता तक को जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि सांसद बराबर अपने क्षेत्र में बने रहें.
10. शोर कम संपर्क ज्यादा: इसके तहत चुनाव के दौरान बड़ी रैली जनसभाओं से अलग पार्टी ने यात्रा पर चर्चा की योजना तैयार की है. जिससे ट्रेन, बस, पार्क, मॉल, नुक्कड़ और सार्वजनिक जगहों पर सभी छोटे बड़े नेताओं को ड्यूटी पर लगाया जाएगा.
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11. जन संबंध बढ़ाना: इसमें पार्टी संघ का भी सहयोग ले रही है और ये बड़े स्तर पर पूरे देश में चलाया जाएगा, जिसमें सिर्फ चुनाव और वोट तक ही लोगों को जोड़ने की कोशिश नहीं, बल्कि वो हमेशा के लिए पार्टी से संबंध रखें, ऐसी कोशिश की जाएगी.
12. कमजोर क्षेत्रों में मजबूत टीम: बीजेपी ने 2020 में ही कुछ ऐसी सीटों को चिन्हित किया था, जिनमें पार्टी कुछ मतों से पीछे रह गई थी, ऐसे क्षेत्रों में दमदार नेताओं की टीम बनाकर उन्हें अपनी ताकत झोंकने के निर्देश दिए जा रहे हैं, ताकि ये सीटें बीजेपी की झोली में आ सकें.