पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटना साहिब से बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये कैसी जातिगत जनगणना है, जिसमें मेरे घर तो सर्वे के लिए कोई आया ही नहीं. उन्होंने ये भी कहा कि ये सिर्फ मेरी शिकायत नहीं है, बल्कि कई अन्य लोगों का भी यही कहना है. उनके पास बहुत सारी शिकायतें आ रही हैं.
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जातीय गणना पर रविशंकर प्रसाद का सवाल?: पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार से पूछना चाहता हूं कि आखिर ये किस तरह का जाति-आधारित सर्वेक्षण है, जिसमें बहुत सारे लोगों को छोड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि कई समाचार चैनल भी दिखा रहे हैं कि अति पिछड़ी जाति के लोगों के मोहल्लों को छोड़ दिया गया. हमारे पास बहुत सारी शिकायतें आ रही हैं. डेटा कैसे एकत्र किया गया, यह सवाल निश्चित रूप से पूछा जाएगा.
"मेरे घर तो कोई नहीं आया. ऐसे में हम पूछना चाहते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने किस तरह का जाति आधारित सर्वेक्षण किया है? हमारे पास बहुत सारी शिकायतें आ रही हैं. डेटा कैसे एकत्र किया गया, यह सवाल निश्चित रूप से पूछा जाएगा. राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए." - रविशंकर प्रसाद, बीजेपी सांसद, पटना साहिब
बिहार में जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी: आपको बताएं कि गांधी जयंती पर बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना का डेटा जारी किया है. इसके मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है. जिनमें अनारक्षित (भूमिहार- 2.89, राजपूत- 3.45, ब्राह्मण- 3.66 और कायस्थ- 0.60%) की आबादी 15.52 प्रतिशत है. 63 फीसदी ओबीसी (24 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग), अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है.
हिंदुओं में सबसे अधिक यादव : बिहार में सबसे अधिक यादव जाति है, जिनकी आबादी 14 फीसदी है. वहीं, कुर्मी 2.8 और कुशवाहा 4.2 प्रतिशत हैं, जबकि मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसदी है. सवर्ण, धानुक और अन्य कई जातियों के लोग आंकड़े को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं.
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