ETV Bharat / bharat

हिन्दी दिवस विशेष: भाषा अगर मां है तो मौसी हैं बोलियां

हिंदी दिवस के मौके पर देखिए ETV BHARAT की विशेष प्रस्तुती....

हिन्दी दिवस
author img

By

Published : Sep 14, 2019, 1:16 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 1:57 PM IST

रायपुर : आज हिन्दी दिवस है. हिन्दी दिवस हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है. 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह फैसला लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी. इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है.

भाषा और बोली ही भारत को एक-दूसरे से बांधे रखती हैं. कहते हैं भाषा मां है तो बोली मौसी.

इस रिश्ते के बारे में क्या कहते हैं भाषाविद चितरंजन कर
जब भाषा को शब्दों की कमी पड़ती है या उसे नए शब्द लेने होते हैं तो वो बोलियों के पास जाती हैं और उनसे शब्द उधार लेती हैं. ये कहना है हिंदी के जाने-माने साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का. वे कहते हैं कि, 'हिंदी इतनी समृद्धता और विविधता लिए हुए है तो इसके पीछे कहीं न कहीं अपनी बहनों जिसे हम बोलियां कहते हैं, उनका अहम योगदान है.'

हिन्दी दिवस पर विशेष

विनोद कुमार शुक्ल कहते हैं कि, 'अलग-अलग क्षेत्रों में हमारे यहां कई तरह की बोलियां मौजूद हैं. इनमें अवधि, भोजपुरी, ब्रज, छत्तीसगढ़ी, बुंदेली, बघेली, मालवी, मेवाती,पहाड़ी जैसी कई बोलियां हैं. ये सभी हिंदी पट्टी में बोली जाने वाली प्रमुख बोलियां हैं. इन्हीं बोलियां की बदौलत हिंदी के पास समृद्ध भाषा कोष है. हिंदी को समझने वालों की तादाद बढ़ती है.'

पढ़ें-ये है हिन्दी की पहली कहानी है, जानें किसने लिखी थी पहली हिंदी कहानी

हिंदी पर बोलियों का असर
हिंदी बोलने वाले अलग-अलग राज्यों में इसके बोलने के ढंग में काफी अंतर देखने को मिलता है. दरअसल ये अंतर किसी क्षेत्र विशेष में बोले जानी वाली बोलियों के चलते बनता है. भाषाविद् भी मानते हैं कि पहले बोलियों का जन्म हुआ फिर भाषा ने एक आकार लिया. बोलियां सहज हैं भाषा उसका परिष्कृत रूप है. ये हिंदी का सौभाग्य है कि उसके पास उसे समृद्ध करने वाली बोलियों का बड़ा समूह मौजूद है. ये सहूलियत दुनिया में किसी और भाषा के पास नहीं.

हिंदी पर बोलियों ही नहीं अन्य भाषाओं का भी असर
हिंदी एक ऐसी भाषा है जिस पर कई अन्य भाषाओं की परछाई साफतौर पर नजर आती है. खासतौर पर संस्कृत की. कुछ जानकार तो इसे संस्कृत की बेटी भी कहते हैं. इसके अलावा फारसी, पाली, प्राकृत अरबी, पुर्तगाली, अंग्रेजी सभी का प्रभाव इस पर नजर आता है.

पश्चिम के एक भाषाविद् ने कहा है कि 'भाषा का आभार जिसने हमें इंसान बनाया'. दुनिया में मनुष्यों के पास भाषा को व्यक्त करने की क्षमता है. और हम खुद को अपनी हिंदी मां के जरिए अभिव्यक्त कर रहे है…और इसमें स्थानीय बोलियों का भी बड़ा योगदान है.

रायपुर : आज हिन्दी दिवस है. हिन्दी दिवस हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है. 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह फैसला लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी. इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है.

भाषा और बोली ही भारत को एक-दूसरे से बांधे रखती हैं. कहते हैं भाषा मां है तो बोली मौसी.

इस रिश्ते के बारे में क्या कहते हैं भाषाविद चितरंजन कर
जब भाषा को शब्दों की कमी पड़ती है या उसे नए शब्द लेने होते हैं तो वो बोलियों के पास जाती हैं और उनसे शब्द उधार लेती हैं. ये कहना है हिंदी के जाने-माने साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का. वे कहते हैं कि, 'हिंदी इतनी समृद्धता और विविधता लिए हुए है तो इसके पीछे कहीं न कहीं अपनी बहनों जिसे हम बोलियां कहते हैं, उनका अहम योगदान है.'

हिन्दी दिवस पर विशेष

विनोद कुमार शुक्ल कहते हैं कि, 'अलग-अलग क्षेत्रों में हमारे यहां कई तरह की बोलियां मौजूद हैं. इनमें अवधि, भोजपुरी, ब्रज, छत्तीसगढ़ी, बुंदेली, बघेली, मालवी, मेवाती,पहाड़ी जैसी कई बोलियां हैं. ये सभी हिंदी पट्टी में बोली जाने वाली प्रमुख बोलियां हैं. इन्हीं बोलियां की बदौलत हिंदी के पास समृद्ध भाषा कोष है. हिंदी को समझने वालों की तादाद बढ़ती है.'

पढ़ें-ये है हिन्दी की पहली कहानी है, जानें किसने लिखी थी पहली हिंदी कहानी

हिंदी पर बोलियों का असर
हिंदी बोलने वाले अलग-अलग राज्यों में इसके बोलने के ढंग में काफी अंतर देखने को मिलता है. दरअसल ये अंतर किसी क्षेत्र विशेष में बोले जानी वाली बोलियों के चलते बनता है. भाषाविद् भी मानते हैं कि पहले बोलियों का जन्म हुआ फिर भाषा ने एक आकार लिया. बोलियां सहज हैं भाषा उसका परिष्कृत रूप है. ये हिंदी का सौभाग्य है कि उसके पास उसे समृद्ध करने वाली बोलियों का बड़ा समूह मौजूद है. ये सहूलियत दुनिया में किसी और भाषा के पास नहीं.

हिंदी पर बोलियों ही नहीं अन्य भाषाओं का भी असर
हिंदी एक ऐसी भाषा है जिस पर कई अन्य भाषाओं की परछाई साफतौर पर नजर आती है. खासतौर पर संस्कृत की. कुछ जानकार तो इसे संस्कृत की बेटी भी कहते हैं. इसके अलावा फारसी, पाली, प्राकृत अरबी, पुर्तगाली, अंग्रेजी सभी का प्रभाव इस पर नजर आता है.

पश्चिम के एक भाषाविद् ने कहा है कि 'भाषा का आभार जिसने हमें इंसान बनाया'. दुनिया में मनुष्यों के पास भाषा को व्यक्त करने की क्षमता है. और हम खुद को अपनी हिंदी मां के जरिए अभिव्यक्त कर रहे है…और इसमें स्थानीय बोलियों का भी बड़ा योगदान है.

Last Updated : Sep 30, 2019, 1:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.