नई दिल्ली : पिछले साल निपाह वायरस ने केरल में कई लोगों की जान ले ली थी. इस साल भी केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने निपाह वायरस के फिर से लौटने की बात कही है. साथ ही लोगों को इससे सावधान रहने की अपील की है. हालांकि केरल अब इस जानलेवा बीमारी का मुकाबला करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है.
ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा कि उनका मंत्रालय पूरी तरह से तैयार है. 'वैज्ञानिकों का मानना है कि निपाह अगले साल केरल फिर वापस आ सकता है.'
उन्होने कहा कि पिछले साल हम इस बीमारी से जूझ रहे थे. पिछले साल निपाह के 18 मामले देखने को मिले थे, जिसमें से सिर्फ 2 की जान बचाई जा सकी थी.
अपको बता दें, 2018 में, निपाह वायरस के प्रकोप से केरल प्रभावित हुआ था, जो चमगादड़ों से जानवरों और इंसान में फैल गया.
आमतौर पर यह जानवरों जैसे सूअर, कुत्ते, घोड़े आदि को प्रभावित करता है. अगर मनुष्यों में फैल गया, तो निपाह एक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और अगर सही उपचार ना हो तो इंसान की जान भी जा सकती है.
इस वर्ष 23 वर्षीय छात्र में निपाह वाइरस के एक नए मामले का पता चला, 'लेकिन सही उपचार से वह वो ठीक हो गया.'
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शैलजा ने कहा, 'हम पूरी तरह से तैयार हैं और अपनी स्टेट लैब के अलावा पुणे स्ठित बॉयोलाजिकल लैब भी हमारी पूरी तरह मदद कर रहा है. यह जानलेवा बीमारी भारत में कहीं भी हो सकती है, लेकिन हमें तैयार रहना चाहिए.
वर्ष 2018 में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए, शैलजा ने कहा कि उनका मंत्रालय स्पष्ट था कि क्या करना है.
उन्होंने कहा, 'उस समय हमारे पास इस बीमारी की ना तो दवाइयां थीं ना ही कोई बचाव, हालांकि हमने सामना किया इस बीमारी का, जिसमें केंद्र सरकार ने हमारी काफी मदद की, फिर हमने ऑस्ट्रेलिया से दवा भी मंगाई थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि निपाह वायरस एक गंभीर समस्या का कारण है, क्योंकि यह जानवरों मे कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है, साथ ही इंसानो के लिए भी जानलेवा बीमारी है.
मलयेशिया-सुंगई निपा के एक गांव से निपाह वायरस का नाम मिला था, यह वह गांव था, जहाँ 1998-99 में निपाह की पहली पहचान की गई थी.