हैदराबाद: भारतीय ऑटो बाजार को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है कि भारत में जल्द ही नए उत्सर्जन नियम लागू कर दिए जाएंगे. जी हां, यूरोपीय संघ की परिषद ने विवाद में फंसे हुए EURO-7 उत्सर्जन नियमों को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है. ध्यान देने वाली बात यह है कि यह एक लंबी प्रक्रिया के अंतिम चरण में है. इन नियमों को यूरोपीय संसद की सहमति प्राप्त हो चुकी है.
माना जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में इन नियमों पर अंतिम हस्ताक्षर किए जा सकते हैं. कुछ रिपोर्ट्स की माने तो यूरोपीय संसद और परिषद के अध्यक्षों द्वारा अनुमोदन और यूरोपीय संघ के आधिकारिक जर्नल में प्रकाशित होने के बाद इन नियमों को 20 दिनों के भीतर परिचालित कर दिया जाएगा. इसके बाद इन्हें लागू करने की समयसीमा निर्धारित की जाएगी.
आपको बता दें कि भारत में मौजूदा समय में BS-6 Phase-2 के उत्सर्जन नियम लागू हैं. लेकिन यूरोप के EURO-7 मानकों से प्रेरित होकर BS-7 (भारत स्टेज-7) को लागू करने पर काम किया जाएगा. EURO-7 उत्सर्जन नियमों का लक्ष्य यूरोपीय संघ में दहन इंजन चालित वाहनों की अगली-जनरेशन से प्रदूषक उत्सर्जन को सीमित करना है, लेकिन यूरोप में हाल के विकास ने इन मानकों को प्रभावित किया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग से अगली-जनरेशन के उत्सर्जन मानदंडों, यानी BS-7 की तैयारी शुरू करने का आग्रह किया था. उन्होंने ऑटो इंडस्ट्री के प्रमुख प्लेयर्स से कहा था कि 'BS-7 वाहनों के निर्माण के लिए अनुसंधान करने के लिए आपको अपने स्तर पर शुरुआत करनी चाहिए.'
क्या हैं EURO-7 उत्सर्जन मानक: यूरोपीय संघ आयोग के 2022 के प्रस्ताव के आधार पर, EURO-7 यूरोप में नए वाहनों से उत्सर्जन को कम करने के लिए नियम पेश करता है, जो वाहनों के टेलपाइप और ब्रेक उत्सर्जन दोनों को लक्षित करता है. इसके अलावा इन नियमों में इलेक्ट्रिक और प्लग-इन हाइब्रिड कारों के लिए न्यूनतम बैटरी लाइफ आवश्यकताओं को भी स्थापित करने की बात कही गई है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि नए EURO-7 नियमों में कारों और वैन के लिए, विनियमन मौजूदा EURO-6 एग्जॉस्ट उत्सर्जन सीमा को बनाए रखा गया है, हालांकि ठोस कणों के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं. ये नए स्टैंडर्ड 30 महीनों के भीतर नए प्रकार के वाहनों पर और 42 महीनों के भीतर नई कारों पर लागू होंगे.
पैसेंजर कारों और वैन पर ये नए सिस्टम, एलिमेंट्स या तकनीकी यूनिट्स की स्थापना के लिए 30 महीने की समय सीमा दी जाएगी, जबकि बसों, ट्रकों और ट्रेलरों के लिए 48 महीने की समय सीमा दी जाएगी. EURO-7 के तहत हेवी-ड्यूटी बसों और ट्रकों के लिए नाइट्रस ऑक्साइड (एन2ओ) सहित विभिन्न प्रदूषकों पर अधिक कठोर नियम लगाए जाएंगे.
इन नए प्रकार के वाहनों में इन नियमों के अनुपालन के लिए 48 महीने हैं, जबकि नई बसों और लॉरियों को 60 माह का समय दिया गया है. यूरोपीय संघ परिषद द्वारा EURO-7 को मंजूरी कार निर्माताओं और कुछ यूरोपीय देशों के विरोध के बाद दी गई, जिससे उत्सर्जन मानकों में कमी आई है.