नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर की में हवा में घुल रहा प्रदूषण का जहर विकराल रूप ले रहा है. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) इन दिनों 'बेहद खराब' या 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है. जहां दिल्ली सबसे अधिक प्रदूषित है, वहीं गाजियाबाद और नोएडा में भी हवा की गुणवत्ता ठीक नहीं है. आलम यह है कि प्रदूषण की रोकथाम को लेकर किया जा रहे तमाम दावे धरातल पर फेल साबित हो रहे हैं. दिल्ली एनसीआर में कई इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 पार कर चुका है. अस्पतालों में बढ़ रही मरीजों की संख्या बता रही है कि प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा अटैक कर रहा है.
गंभीर बीमारियों के मरीजों की बढ़ी परेशानी: गाजियाबाद के जिला एमएमजी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आलोक रंजन के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण के चलते गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही सामान्य लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है. जिला एमएमजी अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, एयर क्वालिटी इंडेक्स में हुए इजाफे के बाद अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है. अस्पताल में हर दिन 100 से 130 के बीच सांस के मरीज पहुंच रहे हैं. करीब 50 से अधिक ऐसे मरीज भी अस्पताल में आ रहे हैं, जिन्हें प्रदूषण के चलते स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो रही है.
चिड़चिड़ापन और अधिक नींद की बढ़ी समस्या: वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीपी त्यागी के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण के चलते युवाओं को स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं हो रही हैं. ओपीडी में कई ऐसे मरीज आ रहे हैं जो कि प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी के बाद स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे हैं. मरीजों में सुस्ती, चिड़चिड़ापन और अधिक नींद की समस्या देखने को मिल रही है. बढ़ते प्रदूषण के चलते शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है.
जल्दी महसूस हो रही थकान: वहीं पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के चलते लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए प्रदूषण खतरनाक साबित हो रहा है. शरीर में ऑक्सीजन लेवल गिरने से थोड़ी बहुत देर काम करने पर ही थकान महसूस हो रही है.
प्रदूषित हवा में रहने के चलते आंखों में हो रही जलन: उन्होंने बताया कि, लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने के चलते प्रदूषण के कण आंखों पहुंचते हैं, जिसके चलते आंखों में होती है. ऐसे में नॉर्मल पानी से आंखों को धोना चाहिए. वहीं जो लोग लंबे समय तक खुले में काम करते हैं उनके लिए जरूरी है कि वह कॉटन के बने चार लेयर के मास्क लगाएं, जिससे कि सांस के रास्ते प्रदूषण के कारण फेफड़ों तक न पहुंच सके. साथ ही समय-समय पर मास्क को धोते रहे. प्रदूषण के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखें.
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