हैदराबाद: महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन ने 19वीं सदी में बल्ब का आविष्कार किया था. हालांकि नई तकनीक के साथ बल्ब के डिजाइन और प्रकार में बड़े बदलाव हुए हैं. रोशनी के लिए लोग घरों में अब एलईडी और सीएफएल का इस्तेमाल करते हैं और पीले वाले बल्ब का इस्तेमाल धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है. इसकी बड़ी वजह बिजली की खपत है.
दरअसल, साधारण बल्ब की तुलना में एलईडी और सीएफएल में कम बिजली की खपत होती है. बिजली महंगी होने के कारण लोग आधुनिक बल्ब का इस्तेमाल करते हैं. सवाल यह है कि साधारण बल्ब, सीएफएल और एलईडी तीनों में से किसमें बिजली की खपत सबसे कम होती है. तीनों बल्ब को बनाने की प्रक्रिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है.
एलईडी लाइट को बनाने में डायोड का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक नेगेटिव और एक पॉजिटिव प्लेट होती है, जिसमें एक तरफ होल्स और दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉन्स होते हैं और इनके बीच खाली जगह रखी जाती है. जब बिजली होल्स और इलेक्ट्रॉन्स से होकर गुजरती है तो वे आपस में फैलना शुरू हो जाते हैं, जिसकी वजह से खाली जगह से रोशनी निकलनी शुरू हो जाती है. एलईडी का प्रोसेस काफी किफायती है और रोशनी पैदा करने का काम इसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन्स कर देते हैं.
वहीं, सीएफएल लाइट के अंदर फ्लोरोसेंट की कोटिंग की जाती है. जब बिजली इसमें दौड़ती है तो मर्करी और ऑर्गन से टकराकर यूवी किरणें उत्पन्न करती हैं, जिससे रोशनी निकलती है. यूवी किरणें उत्पन्न होने की वजह से सीएफएल में बिजली का खर्च कम होता है.
अगर साधारण बल्ब की बात करें तो इसमें फिलामेंट का इस्तेमाल किया जाता है. जब इसमें बिजली का प्रवाह होता है तो लाइट जलती है. फिलामेंट के पूरी तरह गर्म होने पर ही बल्ब जलता है. जिस कारण यह बिजली की खपत ज्यादा करता है.
इस तरह देखा जाए तो एलईडी लाइट में बिजली की खपत सबसे कम होती है. साधारण बल्ब पूरी तरफ हीट पर निर्भर रहने के कारण इसमें सबसे ज्यादा बिजली की खपत होती है.
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