नई दिल्ली/गाजियाबाद: 26 नवंबर, 2020 को गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था. तीन कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर किसान दिल्ली जाना चाहते थे, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया गया था. शुरुआती दिनों में गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या काफी कम रही, लेकिन धीरे-धीरे हजारों की संख्या में किसान बॉर्डर पर जुटने लगे. इसके बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन शुरू हुआ.
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के गाजियाबाद जिलाध्यक्ष विजेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि किसान आंदोलन की यादें किसानों को आज भी रुलाती हैं. हमारे किसान साथी ऐसे थे जो आंदोलन में हमारे साथ गांव से गाजीपुर बॉर्डर तो गए, लेकिन घर वापस ना लौट सके. जिन किसानों के साथ हम अपने गांव में दिन-रात साथ बैठा करते थे, कई ऐसे किसानों को हमने किसान आंदोलन में खोया है. 750 से अधिक किसान, आंदोलन में शहीद हुए राकेश टिकैत समेत भारतीय किसान यूनियन के तमाम सिपाही किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के घर लगातार जाते हैं, उनके परिवार का ख्याल रखते हैं. जब भी किसान आंदोलन की याद आती है आंखें नम हो जाती हैं.
किसानों पर लगाए गए आरोप: उन्होंने आगे बताया, किसान हर एक का सम्मान करना जानता है. जहां भी किसान रहता है, वहां हमेशा प्यार बांटता है. गाजीपुर बॉर्डर पर हमारा एक छोटा सा गांव बस गया था. सब एकजुट होकर एक साथ रहते थे. हमारी एकजुटता के कारण सरकार को झुकना पड़ा और तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े. किसानों पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए. 13 महीने किसान आंदोलन चला, लेकिन आंदोलन के दौरान कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई. शांतिपूर्ण तरीके से किसानों ने अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया. हर साल 2 अक्टूबर को किसान गाजीपुर बॉर्डर पर हवन करते हैं और किसान आंदोलन के संघर्ष में अपना सब कुछ दांव पर लगा देने वाले किसानों को याद करते हैं.
वादे आज भी अधूरे: वहीं भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश उपाध्यक्ष, रामकुमार ने कहा कि 13 महीने तक किसानों के प्रति सरकार का कठोर रवैया देखने को मिला. रास्ते में कीलें बिछा दी गई, बिजली काट दी गई, लेकिन किसानों ने कभी सीमा नहीं लांघी और हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात को सरकार पहुंचाया. कृषि कानून वापस हुए आंदोलन समाप्त हुआ. सरकार ने किसानों से वादे किए, लेकिन आंदोलन समाप्ति के बाद भी आज तक सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं. गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन कल 378 दिन तक चला था. 11 दिसंबर 2021 को किसान आंदोलन समाप्त हुआ था. किसान नेता राकेश टिकैत काफिले के साथ गाजीपुर बॉर्डर से तमाम किसानों को अपने साथ लेकर निकले थे. जिसके बाद गाजीपुर बॉर्डर खाली कर दिया गया था.
ट्रॉलियों में लगाए गए टेंट: गाजीपुर बॉर्डर पर मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों ने आंदोलन किया था. इस दौरान एनएच 9 पर किसान धरने पर थे. चंद दिनों में ही गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का एक छोटा सा गांव बस गया था और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में किसानों ने अपने टेंट लगा दिए थे. किसान यूनियन की गाजियाबाद इकाई के नेतृत्व में किसान आंदोलन की तमाम व्यवस्था रही.
यह भी पढ़ें: किसानों ने की महापंचायत, राकेश टिकैत ने कहा- किसानों को खत्म करना चाहता है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण