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यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल परकोटे से कटा टूरिस्ट, वजह सामने लेकिन समाधान नहीं - World Heritage Parkota Plight - WORLD HERITAGE PARKOTA PLIGHT

Parkota Area of Jaipur आज वर्ल्ड टूरिज्म डे है. जयपुर में आने वाला पर्यटक परकोटे से निराश होता है. सैलानी यूनेस्को से विरासत का तमगा प्राप्त आमेर, जंतर- मंतर और परकोटे में विजिट करते हैं, लेकिन चारदीवारी से निराश लौटते हैं.

World Tourism Day 2024
World Tourism Day 2024 (photo etv bharat gfx)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 27, 2024, 10:30 AM IST

जयपुर. यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 2010 में 18वीं सदी में बने जंतर-मंतर, इसके बाद 2013 में 15वीं सदी में बने आमेर के किले और फिर 1727 में बने परकोटे को शामिल किया गया था. साल दर साल आमेर और जंतर-मंतर में टूरिस्ट का फुटफॉल बढ़ रहा है. और समय के साथ-साथ इन दोनों ही टूरिस्ट प्लेस की मेंटेनेंस भी की जाती है. लेकिन जयपुर में आने वाला पर्यटक परकोटे से निराश होता है. यहां विश्व विरासत में शामिल दीवार पर अतिक्रमण चढ़ बैठा है. दीवारें बदरंग हो गई हैं. हेरिटेज वॉक वे के कोबल स्टोन उखड़ चुके हैं. हेरिटेज लाइट गायब हो चुकी है, और तो और जिन पब्लिक स्ट्रीट का नायाब उदाहरण बरामदों में अतिक्रमण फिर पसर चुका है. मेट्रो ने चौपड़ों का स्वरूप बदल दिया है. यही नहीं बिगड़ी हुई सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है.

हालात जस के तस : जयपुर के परकोटे को संजोने और संवारने के लिए 4 साल पहले हेरिटेज नगर निगम बनाया गया था. यहां एक अलग हेरिटेज सेल भी गठित की गई. परकोटे की 23 किलोमीटर लंबी दीवार का जीर्णोद्धार करने के लिए डीपीआर भी तैयार की गई. अतिक्रमण हटाने के लिए ड्रोन से सर्वे भी किया गया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. पर्यटन सीजन में जयपुर में करीब 45 हजार से 50 हजार पर्यटक हर दिन पहुंचते हैं जो यूनेस्को से विरासत का तमगा प्राप्त आमेर, जंतर- मंतर और परकोटे में विजिट करते हैं, लेकिन चारदीवारी से निराश लौटते हैं.

पढ़ें: विश्व पर्यटन दिवस पर छूट, जानिए राजधानी में कहां फ्री घूम सकेंगे सैलानी - World Tourism Day 2024

जयपुर के हेरिटेज बाजार त्रिपोलिया के अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि जब से जयपुर के परकोटे को हेरिटेज का तमगा मिला है. उसके बाद से मानो हम सो गए हैं. हेरिटेज का लुक बड़ी चौपड़ से शुरू होता है. वहां हवा महल, जंतर मंतर है. यहां तो सब ठीक नजर आता है. लेकिन वर्ष 2000 में पब्लिक स्ट्रीट के नाम पर सारे बरामदे खाली कराए गए थे जिनमें आज फिर अतिक्रमण पसर रहा है. स्मार्ट सिटी ने बरामदों की रिपेयरिंग की थी, उनका प्लास्टर नीचे गिर रहा है. बरामदों में तो लाइट भी नहीं है. उन्होंने कहा कि पर्यटक यहां पर पिंक सिटी देखने आते हैं लेकिन यहां परकोटे की दीवार पर हुए रंग पर काई जमा हो गई है. ये देख पर्यटक यही कहते हैं क्या ये पिंक सिटी है.

वहीं स्थानीय निवासी मनीष ने कहा कि हेरिटेज वॉक वे विकसित करने के बाद भी टूरिस्ट वहां जाना पसंद नहीं करता. वहां इतनी गंदगी पसरी हुई रहती है कि मुंह पर रुमाल रखना पड़ता है. वहां लगी हुई है हेरिटेज लाइट्स चोरी हो चुकी है, कोबल पत्थर उखड़ गए हैं, पेंट उतरा हुआ है. जो हजारों किलोमीटर दूर से यहां आ रहा है, उसे हम क्या इंप्रेशन देना चाह रहे हैं. स्थानीय हनुमान गुर्जर और मनोज अग्रवाल ने कहा कि यहां पहुंचने वाले टूरिस्ट के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहां की बिगड़ी हुई ट्रैफिक व्यवस्था है. यहां तक कि प्रॉपर पार्किंग तक नहीं मिलती. हालात ये बने हुए की कई बार तो टूरिस्ट की गाड़ी तक यातायात पुलिस टो करके ले जाती है. ऐसे में वो अपने क्षेत्र में जाकर बुराई के सिवा और कुछ नहीं बोलेंगे.

वजह सामने लेकिन समाधान नहीं
वजह सामने लेकिन समाधान नहीं (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें: वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त परकोटे के अंदर 150 से ज्यादा जर्जर मकान, निगम की कार्रवाई सिर्फ नोटिस तक सीमित! - Parkota Area of Jaipur

सारा शहर खूबसूरत सुंदर और सुगंधित होगा: हालांकि भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने इसका ठीकरा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर फोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस काल में पूरा शहर खुदा हुआ, टूटा हुआ, खंडहर पड़ा था. शहर की दुर्दशा हो रही थीय जाम से बुरा हाल था, पर्यटक आना पसंद नहीं करता था. हालांकि पिछले कुछ महीनों में मेहनत की गई है. जिससे शहर का पर्यटन, व्यापार बड़ा है और जाम की समस्या कम हुई है. जहां तक बात खूबसूरती का है तो परकोटे की जो दुर्दशा हो गई थी, उसे सुधारने का संकल्प है. प्राचीन इमारत, मंदिर, बावड़ी, कुआं और प्राचीन इतिहास को संजोने का जिम्मा है और अगले वर्ष से पहले-पहले सारा शहर खूबसूरत सुंदर और सुगंधित होगा.

परकोटे से कटा टूरिस्ट
परकोटे से कटा टूरिस्ट (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

नया परकोटा दिखाई देगा : वहीं विधायक गोपाल शर्मा परकोटे की दुर्दशा के लिए तुष्टिकरण को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि परकोटा विश्व धरोहर केवल इसलिए नहीं कि यूनेस्को ने घोषित कर दिया. बल्कि दुनिया के किसी भी देश में चले जाएं, इस तरह का परकोटा दूसरा नहीं है. सरकार ने 100 करोड़ का प्रावधान किया है, उस पर वर्क होगा. उन्होंने कहा कि जब फ्रांस के राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परकोटे में लेकर के आए और साइड में चादर लगानी पड़ी थी तो आंखों में आंसू आ गए थे. लक्ष्य ही है कि 2027 में जब जयपुर को 300 साल पूरे होंगे, तब सौंदर्यता के आधार पर नया परकोटा दिखाई देगा.

दीवारें बदरंग
दीवारें बदरंग (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें: अपनों की उपेक्षा पर आंसू बहा रही विश्व धरोहर, बेतरतीब इमारतों की किचपिच में दम तोड़ रहा परकोटा - World Heritage Parkota Plight

जयपुर के वैभव को दोबारा प्राप्त करेंगे : वहीं जयपुर के प्रभारी मंत्री जोगाराम पटेल में कहा कि यूनेस्को की तीन साइट में से आमेर, जंतर-मंतर तो देशी विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं. परकोटे में भी पर्यटक पहले की तरह बड़ी संख्या में आए और यहां की विरासत का लुत्फ उठाए, यहां हेरिटेज का वैभव दोबारा लौटे इसके प्रयास किए जा रहे हैं. यहां जो भी अतिक्रमण है, ड्रेनेज सिस्टम की कमी, सफाई व्यवस्था की कमी, ट्रैफिक व्यवस्था के हालात इन सभी विषयों को सुधारने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. अब निगम, जिला प्रशासन और सरकार मिलकर के जयपुर के वैभव को दोबारा प्राप्त करेंगे.

बिगड़ी हुई सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था
बिगड़ी हुई सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

बहरहाल, आज वर्ल्ड टूरिज्म डे है और अगले महीने से जयपुर में नए पर्यटन सीजन भी शुरू हो रहा है. इसके बाद दिसंबर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट और फिर मार्च में आईफा जैसा बड़ा आयोजन जयपुर में होना है. इससे पहले बदरंग और बेतरतीब परकोटे की दशा सुधारनी होगी ताकि जयपुर की छवि पर कोई दाग न लगे.

जयपुर. यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 2010 में 18वीं सदी में बने जंतर-मंतर, इसके बाद 2013 में 15वीं सदी में बने आमेर के किले और फिर 1727 में बने परकोटे को शामिल किया गया था. साल दर साल आमेर और जंतर-मंतर में टूरिस्ट का फुटफॉल बढ़ रहा है. और समय के साथ-साथ इन दोनों ही टूरिस्ट प्लेस की मेंटेनेंस भी की जाती है. लेकिन जयपुर में आने वाला पर्यटक परकोटे से निराश होता है. यहां विश्व विरासत में शामिल दीवार पर अतिक्रमण चढ़ बैठा है. दीवारें बदरंग हो गई हैं. हेरिटेज वॉक वे के कोबल स्टोन उखड़ चुके हैं. हेरिटेज लाइट गायब हो चुकी है, और तो और जिन पब्लिक स्ट्रीट का नायाब उदाहरण बरामदों में अतिक्रमण फिर पसर चुका है. मेट्रो ने चौपड़ों का स्वरूप बदल दिया है. यही नहीं बिगड़ी हुई सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है.

हालात जस के तस : जयपुर के परकोटे को संजोने और संवारने के लिए 4 साल पहले हेरिटेज नगर निगम बनाया गया था. यहां एक अलग हेरिटेज सेल भी गठित की गई. परकोटे की 23 किलोमीटर लंबी दीवार का जीर्णोद्धार करने के लिए डीपीआर भी तैयार की गई. अतिक्रमण हटाने के लिए ड्रोन से सर्वे भी किया गया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. पर्यटन सीजन में जयपुर में करीब 45 हजार से 50 हजार पर्यटक हर दिन पहुंचते हैं जो यूनेस्को से विरासत का तमगा प्राप्त आमेर, जंतर- मंतर और परकोटे में विजिट करते हैं, लेकिन चारदीवारी से निराश लौटते हैं.

पढ़ें: विश्व पर्यटन दिवस पर छूट, जानिए राजधानी में कहां फ्री घूम सकेंगे सैलानी - World Tourism Day 2024

जयपुर के हेरिटेज बाजार त्रिपोलिया के अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि जब से जयपुर के परकोटे को हेरिटेज का तमगा मिला है. उसके बाद से मानो हम सो गए हैं. हेरिटेज का लुक बड़ी चौपड़ से शुरू होता है. वहां हवा महल, जंतर मंतर है. यहां तो सब ठीक नजर आता है. लेकिन वर्ष 2000 में पब्लिक स्ट्रीट के नाम पर सारे बरामदे खाली कराए गए थे जिनमें आज फिर अतिक्रमण पसर रहा है. स्मार्ट सिटी ने बरामदों की रिपेयरिंग की थी, उनका प्लास्टर नीचे गिर रहा है. बरामदों में तो लाइट भी नहीं है. उन्होंने कहा कि पर्यटक यहां पर पिंक सिटी देखने आते हैं लेकिन यहां परकोटे की दीवार पर हुए रंग पर काई जमा हो गई है. ये देख पर्यटक यही कहते हैं क्या ये पिंक सिटी है.

वहीं स्थानीय निवासी मनीष ने कहा कि हेरिटेज वॉक वे विकसित करने के बाद भी टूरिस्ट वहां जाना पसंद नहीं करता. वहां इतनी गंदगी पसरी हुई रहती है कि मुंह पर रुमाल रखना पड़ता है. वहां लगी हुई है हेरिटेज लाइट्स चोरी हो चुकी है, कोबल पत्थर उखड़ गए हैं, पेंट उतरा हुआ है. जो हजारों किलोमीटर दूर से यहां आ रहा है, उसे हम क्या इंप्रेशन देना चाह रहे हैं. स्थानीय हनुमान गुर्जर और मनोज अग्रवाल ने कहा कि यहां पहुंचने वाले टूरिस्ट के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहां की बिगड़ी हुई ट्रैफिक व्यवस्था है. यहां तक कि प्रॉपर पार्किंग तक नहीं मिलती. हालात ये बने हुए की कई बार तो टूरिस्ट की गाड़ी तक यातायात पुलिस टो करके ले जाती है. ऐसे में वो अपने क्षेत्र में जाकर बुराई के सिवा और कुछ नहीं बोलेंगे.

वजह सामने लेकिन समाधान नहीं
वजह सामने लेकिन समाधान नहीं (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें: वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त परकोटे के अंदर 150 से ज्यादा जर्जर मकान, निगम की कार्रवाई सिर्फ नोटिस तक सीमित! - Parkota Area of Jaipur

सारा शहर खूबसूरत सुंदर और सुगंधित होगा: हालांकि भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने इसका ठीकरा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर फोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस काल में पूरा शहर खुदा हुआ, टूटा हुआ, खंडहर पड़ा था. शहर की दुर्दशा हो रही थीय जाम से बुरा हाल था, पर्यटक आना पसंद नहीं करता था. हालांकि पिछले कुछ महीनों में मेहनत की गई है. जिससे शहर का पर्यटन, व्यापार बड़ा है और जाम की समस्या कम हुई है. जहां तक बात खूबसूरती का है तो परकोटे की जो दुर्दशा हो गई थी, उसे सुधारने का संकल्प है. प्राचीन इमारत, मंदिर, बावड़ी, कुआं और प्राचीन इतिहास को संजोने का जिम्मा है और अगले वर्ष से पहले-पहले सारा शहर खूबसूरत सुंदर और सुगंधित होगा.

परकोटे से कटा टूरिस्ट
परकोटे से कटा टूरिस्ट (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

नया परकोटा दिखाई देगा : वहीं विधायक गोपाल शर्मा परकोटे की दुर्दशा के लिए तुष्टिकरण को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि परकोटा विश्व धरोहर केवल इसलिए नहीं कि यूनेस्को ने घोषित कर दिया. बल्कि दुनिया के किसी भी देश में चले जाएं, इस तरह का परकोटा दूसरा नहीं है. सरकार ने 100 करोड़ का प्रावधान किया है, उस पर वर्क होगा. उन्होंने कहा कि जब फ्रांस के राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परकोटे में लेकर के आए और साइड में चादर लगानी पड़ी थी तो आंखों में आंसू आ गए थे. लक्ष्य ही है कि 2027 में जब जयपुर को 300 साल पूरे होंगे, तब सौंदर्यता के आधार पर नया परकोटा दिखाई देगा.

दीवारें बदरंग
दीवारें बदरंग (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें: अपनों की उपेक्षा पर आंसू बहा रही विश्व धरोहर, बेतरतीब इमारतों की किचपिच में दम तोड़ रहा परकोटा - World Heritage Parkota Plight

जयपुर के वैभव को दोबारा प्राप्त करेंगे : वहीं जयपुर के प्रभारी मंत्री जोगाराम पटेल में कहा कि यूनेस्को की तीन साइट में से आमेर, जंतर-मंतर तो देशी विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं. परकोटे में भी पर्यटक पहले की तरह बड़ी संख्या में आए और यहां की विरासत का लुत्फ उठाए, यहां हेरिटेज का वैभव दोबारा लौटे इसके प्रयास किए जा रहे हैं. यहां जो भी अतिक्रमण है, ड्रेनेज सिस्टम की कमी, सफाई व्यवस्था की कमी, ट्रैफिक व्यवस्था के हालात इन सभी विषयों को सुधारने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. अब निगम, जिला प्रशासन और सरकार मिलकर के जयपुर के वैभव को दोबारा प्राप्त करेंगे.

बिगड़ी हुई सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था
बिगड़ी हुई सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

बहरहाल, आज वर्ल्ड टूरिज्म डे है और अगले महीने से जयपुर में नए पर्यटन सीजन भी शुरू हो रहा है. इसके बाद दिसंबर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट और फिर मार्च में आईफा जैसा बड़ा आयोजन जयपुर में होना है. इससे पहले बदरंग और बेतरतीब परकोटे की दशा सुधारनी होगी ताकि जयपुर की छवि पर कोई दाग न लगे.

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