जयपुर. संगीत सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि मानव जीवन को रंगीन और आनंदमय बनाता है. संगीत का आनंद दर्शनीय होता है और यह जीवन के सभी पहलुओं को सुंदरता से चमकाता है. भारतीय संगीत विविधता में बहुत धन है, जिसमें क्लासिकल संगीत, फ़ोक संगीत, पॉप म्यूजिक, और फिल्म संगीत शामिल हैं. हर राग और ताल का अपना रस होता है और यह भावनाओं को सभी भाषाओं से अधिक सूक्ष्मता से व्यक्त करता है. संगीत न केवल आपकी मानसिकता को शांति देता है, बल्कि समृद्धि भी देता है.
संगीत के लिए न उम्र बाधा है और न ही कोई जाति धर्म. बस ये तो वो आंतरिक सुख है, जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. कई बार लोगों का बचपन से गाने शौक होता है, लेकिन मंच नहीं मिलने से वो उस उम्र को पार कर जाते हैं. बढ़ती उम्र और लोगों के नजरिए के बीच वह अपने बचपन के शौक को दबा देते हैं. ऐसे दबे हुए शौक को मंच देने का काम जयपुर में अपर्णा वाजपेयी कर रही हैं. अपर्णा ने पिछले पांच सालों में एक ऐसा मंच तैयार किया, जहां हर उम्र के संगीत प्रेमी, जिसे भले ही सुर-ताल की ज्यादा जानकारी भी नहीं हो, लेकिन उसे गाने का शौक है, वो भी वहां निशुल्क परफॉर्म कर सकता है. पांच संगीत प्रेमियों के साथ शुरू हुआ अपर्णा का ये सफर अब 500 से ज्यादा संगीत प्रेमियों का मंच बन चुका है.
संगीत दिवस का इतिहास : विश्व संगीत दिवस पहली बार फ्रांस में 1982 में मनाया गया था. फ्रांस के तत्कालीन सांस्कृतिक मंत्री जैक लैंग ने लोगों की संगीत के प्रति दीवानगी को देखते हुए इस दिन को मनाने की घोषणा की थी. उन दिनों संगीत दिवस को 'फेटे ला म्यूजिक' कहा जाता था. 1982 में मनाए गए पहले संगीत दिवस में 32 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला. इस दौरान कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसके बाद से भारत समेत इटली, ग्रीस, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, पेरू, ब्राजील, इक्वाडोर, मैक्सिको, कनाडा, जापान, चीन, मलेशिया और दुनिया के तमाम देश विश्व संगीत दिवस हर साल 21 जून को मनाते हैं.
गायिका अपर्णा वाजपेयी बताती है कि संगीत दिवस को मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरीके से लोगों को संगीत के प्रति जागरूक करना है. अलग-अलग तरीके से म्यूजिक का प्रोपेगैंडा तैयार करने के अलावा एक्सपर्ट और नए कलाकारों को इकट्ठा करके एक मंच पर लाना भी इस खास दिन का उद्देश्य है. इसी तरह के उद्देश्य को पूरा करने के लिए आस्थिका एंटरटेनमेंट की पांच साल पहले शुरुआत की. यह एक ऐसा मंच है, जहां युवाओं को नहीं बल्कि उन लोगों गाने का मौका मिलता है, जिनका बचपन से गाने का सपना रहा, लेकिन घर की जिम्मेदारियों के बीच वो अपने इस शौक को पूरा नहीं कर पाए. इस मंच पर 45 से लेकर 80 साल से अधिक उम्र के संगीत प्रेमी भी अपनी परफॉर्मेंस देते हैं.
हर उम्र के संगीत प्रेमियों को दिया मंच : अपर्णा वाजपेयी बताती है कि जब वह भोपाल से जयपुर शिफ्ट हुई, उस वक्त उन्होंने कई मंचों पर अपनी परफॉर्मेंस देने की कोशिश की, लेकिन वहां पर उन्हें मौका नहीं दिया गया. उसके पीछे कई कारण थे, लेकिन एक बड़ा कारण उम्र भी थी. उस समय ही मन मे निश्चय किया कि एक जयपुर में अपना ऐसा मंच तैयार करेंगे, जहां पर कोई भी संगीत प्रेमी आकर अपने गायकी का परफॉर्मेंस दे सके. यहां पर उनसे किसी तरह का कोई पैसा नहीं लिया जाए और ना ही उसकी उम्र को देखकर उसे मंच पर शामिल होने से रोका जाए. इसलिए आस्थिका एंटरटेनमेंट के नाम से मंच तैयार किया गया.
अपर्णा ने बताया कि मंच की जब शुरुआत हुई उस समय इसमें से पांच संगीत प्रेमी शामिल थे, लेकिन 5 सालों में इसमें आज संख्या 500 से ज्यादा हो गई है और अब तक 50 से ज्यादा अपने कार्यक्रम कर चुका है और इसमें मंच संगीत प्रेमियों के लिए ओपन होता है, जिसे भी अपनी गायकी का शौक पूरा करना है, वह आकर यहां पर कर सकता है. वाजपेई कहती हैं कि संगीत तो वह विधा है, जिस के जरिए अपने सुख-दुख को बांटा जाता है. हर व्यक्ति के मन में संगीत है. अच्छे बुरे वक्त में गुनगुनाया जाता है. गायकी के लिए कोई उम्र नहीं होती, इसलिए हम हमेशा अपने संदेश में कहते भी हैं कि किसी को गाने का शौक है, तो आइये ये मंच आपका है. यहां आप के सुर ताल को कोई जज नहीं करेगा, आप तो दिल खोल के गाइये.