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फैटी लीवर बन रहा भारतीयों की परेशानी, बच्चे भी आ रहे हैं चपेट में - World Liver Day 2024 - WORLD LIVER DAY 2024

World Liver Day 2024, शरीर के महत्वपूर्ण ऑर्गन लिवर का ख्याल रखना भी जरूरी है. आज दुनिया के ज्यादातर लोग फैटी लिवर के शिकार हो रहे हैं. ये बाद में डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का कारण भी बन जाता है. आइए जानते हैं कि फैटी लिवर क्या है और कैसे इससे निजात पाया जा सकता है...

World Liver Day 2024
World Liver Day 2024
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 19, 2024, 6:32 AM IST

सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी

जोधपुर. यूं तो मनुष्य के शरीर में सबसे महत्वपूर्ण ऑर्गन हृदय होता है, लेकिन हार्ट के बाद या हार्ट के साथ सबसे महत्वपूर्ण ऑर्गन लिवर ही होता है, जो शरीर को डिटॉक्स करता है. साथ में इम्युनिटी भी मजबूत करता है. हमारे शरीर में लिवर के बहुत सारे काम होते हैं. ऐसे में लिवर का दुरुस्त रहना भी उतना ही जरूरी है जितना की हृदय को, लेकिन बदलती जीवन शैली और खान पान के तरीके इसे प्रभावित कर रहे हैं. भारतीयों में लिवर की अन्य बीमारियों से ज्यादा फैटी लिवर की परेशानी बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है. जोधपुर के सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी ने बताया कि वर्तमान में देश में 36 से 40 फीसदी लोग फैटी लिवर की चपेट में हैं. इससे भी ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि करीब 34 प्रतिशत बच्चों में भी फैटी लिवर पाया जाने लगा है.

क्या होता है फैटी लिवर : फैटी लिवर में लिवर के उपर चर्बी जमा होने लगती है. इसकी वजह से लिवर की क्षमता प्रभावित होती है. किसी समय में यह समस्या सिर्फ अत्याधिक शराब या अफीम के सेवन से होती थी, लेकिन अब यह समस्या मुख्यतः खानपान और बदलती लाइफ स्टाइल की वजह से हो रही है. इसे मेटाबॉलिक एसोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज (MAFLD) कहा जाता है. अल्कोहलिक फैटी लिवर में सूजन होने से जल्दी पता चलता है, जबकि MAFLD में सूजन नहीं होती है, जिसके चलते जानकारी के अभाव में लोग इसे बढ़ाते रहते हैं. ये बाद में डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का कारण भी बन जाता है.

पढ़ें. Utility News : जिद्दी पेट की चर्बी से हैं परेशान ? इन नुस्खों को अपनाकर पाएं छुटकारा

ओवरवेट बच्चों का रखें विशेष ध्यान : डॉ. गांधी बताते हैं कि भारत में भी पश्चिमी देशों की तरह बच्चों में ओबेसिटी की समस्या बढ़ रही है. यह बड़ा चिंता का विषय है. जिन पेरेंट्स के बच्चे ओवरवेट हैं, उन्हें बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उनकी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं, फास्ट फूड खाने पर नियंत्रण रखें. उन्हें हरी सब्जी, सलाद, फल जरूर खिलाएं, जिससे उनका मेटाबॉलिज्म नियंत्रित किया जा सकेगा. अगर समय रहते ओबेसिटी कम होती है तो फायदा मिलता है.

ये हैं लक्षण :

  1. कमर और कॉलर साइज : पुरुष और महिला की कमर की आदर्श स्थिति 36 और 32 इंच होती है. इससे ज्यादा होने का मतलब लिवर में फैट है. कमर की चर्बी सीधे लिवर में एकत्र होती है. इसी तरह से पुरुषों का कॉलर साइज 37 सेंटीमीटर और महिलाओं की 33 सेमी से ज्यादा होना भी फैटी लिवर का संकेत है.
  2. व्यस्क पुरुषों की लंबाई सेमी में काउंट करके, उसमें से 100 कम करने पर जो संख्या आती है वह वजन की आदर्श स्थिति है, जबकि महिलाओं की लंबाई में 105 से 110 सेमी कम करनी चाहिए. इसमें अगर माता पिता को डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल है तो पांच और कम कर सकते हैं.

यह हैं कारगर उपाय :

  1. फास्टफूड पर नियंत्रण करें. 15 दिन या महिने में एक बार ही बाहर का खाएं. चिकनाइ कम खाएं.
  2. आदर्श भोजन की स्थिति के अनुसार थाली में भोजन का आधा हिस्सा बिना पका हुआ होना चाहिए यानी की आधी डाइट में सलाद, फल, स्प्राउटस सहित अन्य सामग्री खाएं. यह लिवर को डिटॉक्स करते हैं और पाचन भी सुधारते हैं.
  3. फैटी लिवर को नियंत्रित करने के लिए जब एक्सरसाइज करें तो यह ध्यान रखें कि पसीना आते ही रुकना नहीं है. पसीना शुरू होने के बाद कम से कम आधा घंटा और एक्सरसाइज करें.

सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी

जोधपुर. यूं तो मनुष्य के शरीर में सबसे महत्वपूर्ण ऑर्गन हृदय होता है, लेकिन हार्ट के बाद या हार्ट के साथ सबसे महत्वपूर्ण ऑर्गन लिवर ही होता है, जो शरीर को डिटॉक्स करता है. साथ में इम्युनिटी भी मजबूत करता है. हमारे शरीर में लिवर के बहुत सारे काम होते हैं. ऐसे में लिवर का दुरुस्त रहना भी उतना ही जरूरी है जितना की हृदय को, लेकिन बदलती जीवन शैली और खान पान के तरीके इसे प्रभावित कर रहे हैं. भारतीयों में लिवर की अन्य बीमारियों से ज्यादा फैटी लिवर की परेशानी बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है. जोधपुर के सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. गौरव गांधी ने बताया कि वर्तमान में देश में 36 से 40 फीसदी लोग फैटी लिवर की चपेट में हैं. इससे भी ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि करीब 34 प्रतिशत बच्चों में भी फैटी लिवर पाया जाने लगा है.

क्या होता है फैटी लिवर : फैटी लिवर में लिवर के उपर चर्बी जमा होने लगती है. इसकी वजह से लिवर की क्षमता प्रभावित होती है. किसी समय में यह समस्या सिर्फ अत्याधिक शराब या अफीम के सेवन से होती थी, लेकिन अब यह समस्या मुख्यतः खानपान और बदलती लाइफ स्टाइल की वजह से हो रही है. इसे मेटाबॉलिक एसोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज (MAFLD) कहा जाता है. अल्कोहलिक फैटी लिवर में सूजन होने से जल्दी पता चलता है, जबकि MAFLD में सूजन नहीं होती है, जिसके चलते जानकारी के अभाव में लोग इसे बढ़ाते रहते हैं. ये बाद में डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का कारण भी बन जाता है.

पढ़ें. Utility News : जिद्दी पेट की चर्बी से हैं परेशान ? इन नुस्खों को अपनाकर पाएं छुटकारा

ओवरवेट बच्चों का रखें विशेष ध्यान : डॉ. गांधी बताते हैं कि भारत में भी पश्चिमी देशों की तरह बच्चों में ओबेसिटी की समस्या बढ़ रही है. यह बड़ा चिंता का विषय है. जिन पेरेंट्स के बच्चे ओवरवेट हैं, उन्हें बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उनकी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं, फास्ट फूड खाने पर नियंत्रण रखें. उन्हें हरी सब्जी, सलाद, फल जरूर खिलाएं, जिससे उनका मेटाबॉलिज्म नियंत्रित किया जा सकेगा. अगर समय रहते ओबेसिटी कम होती है तो फायदा मिलता है.

ये हैं लक्षण :

  1. कमर और कॉलर साइज : पुरुष और महिला की कमर की आदर्श स्थिति 36 और 32 इंच होती है. इससे ज्यादा होने का मतलब लिवर में फैट है. कमर की चर्बी सीधे लिवर में एकत्र होती है. इसी तरह से पुरुषों का कॉलर साइज 37 सेंटीमीटर और महिलाओं की 33 सेमी से ज्यादा होना भी फैटी लिवर का संकेत है.
  2. व्यस्क पुरुषों की लंबाई सेमी में काउंट करके, उसमें से 100 कम करने पर जो संख्या आती है वह वजन की आदर्श स्थिति है, जबकि महिलाओं की लंबाई में 105 से 110 सेमी कम करनी चाहिए. इसमें अगर माता पिता को डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल है तो पांच और कम कर सकते हैं.

यह हैं कारगर उपाय :

  1. फास्टफूड पर नियंत्रण करें. 15 दिन या महिने में एक बार ही बाहर का खाएं. चिकनाइ कम खाएं.
  2. आदर्श भोजन की स्थिति के अनुसार थाली में भोजन का आधा हिस्सा बिना पका हुआ होना चाहिए यानी की आधी डाइट में सलाद, फल, स्प्राउटस सहित अन्य सामग्री खाएं. यह लिवर को डिटॉक्स करते हैं और पाचन भी सुधारते हैं.
  3. फैटी लिवर को नियंत्रित करने के लिए जब एक्सरसाइज करें तो यह ध्यान रखें कि पसीना आते ही रुकना नहीं है. पसीना शुरू होने के बाद कम से कम आधा घंटा और एक्सरसाइज करें.
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