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वर्ल्ड लेटर राइटिंग डे पर जानिए लेखन के लिए कौन सा ग्रह होता है प्रभावी - World Letter Writing Day 2024

ज्योतिष में लेखन का ग्रह से क्या संबंध होता है. कौन से ग्रह का भाव लेखक या कवि की लेखन क्षमता को प्रभावित करता है. लेख लिखने वाले जातक की कुंडली में ग्रह भाव का आकलन कैसे किया जाता है. इन तमाम सवालों के जवाब आपको यहां मिल जाएंगे.

World Letter Writing Day 2024
वर्ल्ड लेटर राइटिंग डे (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 31, 2024, 7:51 PM IST

रायपुर: जब भी कोई लेखक किसी रचना का लिखता है या फिर लिखने का विचार बनाता है, तब लेखक के पर्सनालिटी पर ग्रहों का खास संयोग बनता है. ग्रहों का ये खास संयोग लिखने वाले की सोच पर प्रभावित करता है. जातक की मूल कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर यह आकलन किया जा सकता है कि ''जातक का लेखन किस प्रकार होगा, कितना बौद्धिक चिंतन वाला होगा, कितना मनोरंजक होगा, कितना सरस होगा, कितना चिंतन वाला होगा, कितनी नई दिशा दिखाएगा. ये सब कुछ ग्रहों पर निर्भर करता है.

वर्ल्ड लेटर राइटिंग डे (ETV Bharat)

लेखन को प्रभावित करने वाले ग्रह: ज्योतिष एवम वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि " लेखन के लिए सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु नवग्रह जातक को प्रेरित करते हैं. जातक की कुंडली में पंचम भाव में जिस ग्रह का प्रभाव अधिक होगा व्यक्ति का लेखन उसी से संबंधित होगा. पंचम भाव को देखने वाले ग्रहों पर पड़ने वाले अन्य ग्रहों का प्रभाव लेखन का विषय निर्धारण करता है. यह ग्रह उसकी लेखनी को मनोरंजन, रसमय, तीखा, प्रहारक, आनंददायक बनाते हैं.''

विरासत में जातक को क्या मिला: ज्योतिष एवम वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर मानते हैं कि ''पंचम भाव के अतिरिक्त दूसरे भाव को भी देखा जाना उचित है. दूसरा भाव वाणी का भाव है, संचय का भाव है. पूर्वजों की संपत्ति और खुद से बनाई संपत्ति को दूसरे भाव से देखा जाता है. जिनके माता-पिता या पूर्वज लेखक हैं, अपनी विरासत में जातक को कितनी बौद्धिक एवं लेखकीय क्षमता दी है, यह द्वितीय भाव से निश्चित होता है. चौथा भाव सुख का भाव है. निज निवास का भाव है. माता का भाव है. पांचवा स्थान लेखक के लेखन का मूल भाव है.

भाग्य में कितनी सफलता मिली: दूसरे भाव का संबंध लेखन से है और शिक्षा से भी है. चौथे भाव का संबंध शिक्षा से प्राप्त सुख का है. अतः लेखन से जो सुख प्राप्त होता है. वह भी चौथे स्थान से ही निर्धारित किया जाएगा. नवमा स्थान पंचम का पंचम भाव है और भाग्य स्थान भी है. पांचवें और नवमें भाव का संबंध तथा दूसरे भाव का संबंध लेखन के स्थायित्व लेखक की प्रसिद्ध लेखक की उपलब्धियां को दर्शाता है कि इस उपलब्धि में भाग्य का कितना सहयोग है.

'लेखक को मिलता है आनंद': 11वां भाव पांचवें भाव का सप्तम स्थान है, जिसे मारक भी कहा जाता है. सप्तम स्थान पत्नी का भी स्थान होता है. अतः लेखक का सृजन उसकी पत्नी का स्थान है. जहां उसका लेखन जन्म लेता है और उसके जन्म के बाद लेखक को आनंद देता है.

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विरासत में जातक को क्या मिला: ज्योतिष एवम वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर मानते हैं कि ''पंचम भाव के अतिरिक्त दूसरे भाव को भी देखा जाना उचित है. दूसरा भाव वाणी का भाव है, संचय का भाव है. पूर्वजों की संपत्ति और खुद से बनाई संपत्ति को दूसरे भाव से देखा जाता है. जिनके माता-पिता या पूर्वज लेखक हैं, अपनी विरासत में जातक को कितनी बौद्धिक एवं लेखकीय क्षमता दी है, यह द्वितीय भाव से निश्चित होता है. चौथा भाव सुख का भाव है. निज निवास का भाव है. माता का भाव है. पांचवा स्थान लेखक के लेखन का मूल भाव है.

भाग्य में कितनी सफलता मिली: दूसरे भाव का संबंध लेखन से है और शिक्षा से भी है. चौथे भाव का संबंध शिक्षा से प्राप्त सुख का है. अतः लेखन से जो सुख प्राप्त होता है. वह भी चौथे स्थान से ही निर्धारित किया जाएगा. नवमा स्थान पंचम का पंचम भाव है और भाग्य स्थान भी है. पांचवें और नवमें भाव का संबंध तथा दूसरे भाव का संबंध लेखन के स्थायित्व लेखक की प्रसिद्ध लेखक की उपलब्धियां को दर्शाता है कि इस उपलब्धि में भाग्य का कितना सहयोग है.

'लेखक को मिलता है आनंद': 11वां भाव पांचवें भाव का सप्तम स्थान है, जिसे मारक भी कहा जाता है. सप्तम स्थान पत्नी का भी स्थान होता है. अतः लेखक का सृजन उसकी पत्नी का स्थान है. जहां उसका लेखन जन्म लेता है और उसके जन्म के बाद लेखक को आनंद देता है.

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