जयपुर. हो सकता है कि स्मोक फूड को इन दिनों बेहद पसंद कर रहे हैं, पर क्या आप जानते हैं कि इस तरह का भोजन पेट के कैंसर की संख्या में तेजी से इजाफे के लिए जिम्मेदार है. दरअसल खान-पान की गलत आदतों से दो दशकों में भारत में तेजी से कोलोरेक्टल कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ी है. ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि पारम्परिक खान-पान और उन्हें बनाने के देसी तरीकों को अपनाने का ट्रेंड फिर से शुरू होना चाहिए. जाहिर है कि जिस तरह से एक सामान्य परिवार अगर हफ्ते में एक से दो बार होटल, रेस्तरां या फिर स्ट्रीट फूड को पसंद कर रहा है, वह नहीं जानते हैं कि जाने अनजाने में ऐसे लोग अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. बाहर खाने के शौकीन अगर इसके साथ ही स्मोक और ग्रिल किया हुआ भोजन (बाब्रिक्यू) खाना पसंद करते हैं, तो यह और भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है.
भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की ओर से बीते दिनों जयपुर में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस बीएमकॉन कोर (BMCON-8) के दौरान कोयंबटूर के जीआई सर्जन डॉक्टर एस. राजपांडियन ने बाहर के खाने के साथ ही बाब्रिक्यू फूड के शौकीनों को खास हिदायत दी. इस कांफ्रेंस के दौरान देश विदेश से आए कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की.
क्या है कोलोरेक्टल कैंसर ? : कोलोरेक्टल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है, जो कोलन (बड़ी आंत) या मलाशय पर सीधा असर डालता है. इस तरह के कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है. ज़्यादातर मामलों में 50 बरस से ज्यादा उम्र के लोगों पर इसका असर दिखता है. सामान्य लक्षणों में दस्त, कब्ज, मल में खून, पेट में दर्द, बिना कारण वजन कम होना, थकान और आयरन का कम स्तर शामिल हैं. विश्व कैंसर अनुसंधान के हवाले से बताया गया है कि बीते डेढ़ दशक के दौरान 20 से 50 वर्ष की उम्र के बीच हर साल इस तरह के कैंसर पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
खानपान की इन आदतों से बढ़ता है खतरा : विश्व कैंसर अनुसंधान के मुताबिक, कुछ चीजें ऐसी हैं जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है. अगर इन चीजों का सेवन करना बंद कर दिया जाए, तो कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है. तला हुआ खाना, अधिक पका हुआ खाना, चीनी वाले और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और प्रोसेस्ड मीट के अलावा एक ड्रिंक ऐसी है, जिसे पीने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. अनहेल्दी लाइफस्टाइल कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाने में तो मदद करती ही है, ऐसे ही तले हुए खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर में कैंसर सेल्स में बढ़ोतरी हो जाती है. जब आलू या मीट जैसे खाद्य पदार्थों को उच्च तापमान पर तला जाता है, तो इससे बनने वाले एक्रिलामाइड पदार्थ से कैंसर का खतरा बनता है. इसके अलावा, तले हुए खाद्य पदार्थ शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को भी बढ़ा सकते हैं, जो कैंसर से जुड़े होते हैं.
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रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के मुताबिक रेड वाइन, व्हाइट वाइन, बीयर और शराब सहित सभी अल्कोहॉलिक ड्रिंक कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं. जो लोग जितनी अधिक अल्कोहॉलिक ड्रिंक पीता है, उतना ही कैंसर का खतरा बढ़ता है.
कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव भी है संतुलित आहार : रोजमर्रा के खानपान में अगर ध्यान दिया जाए और व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रिय हो, तो कोलन कैंसर को टाला जा सकता है. इसलिए स्मोकिंग और अल्कोहल के सेवन को सीमित किया जा सकता है. फल, सब्जी और साबुत अनाज यानी मिलेट्स की मात्रा को अपनी डाइट में ज्यादा रखा जा सकता है, वहीं एनिमल फैट और लाल मांस पर आधारित भोज पदार्थ का सेवन कम करके भी इससे बचा जा सकता है. अपनी फूड डाइट में केला, पालक और ब्रोकली जैसे फाइबर युक्त सब्जियों को इस्तेमाल करने के साथ ही अन्य पत्तेदार सब्जियां और पोषक तत्वों के साथ फाइबर से भरपूर खाने को लेकर कोलन साफ रखा जा सकता है, जिससे कैंसर का खतरा कम होता है.
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इन लक्षणों पर बरते सावधानी : आमतौर पर कोलोरेक्टल कैंसर को सामान्य रूप से नहीं पहचाना जा सकता है. परंतु फिर भी आंतों की आदतों में बदलाव जैसे दस्त, कब्ज या मल का संकुचित होना, मल के साथ रक्त स्राव होना या पेट में ऐंठन, दर्द या सूजन सामान्य रूप से कोलन का खराब होने का संकेत होता है, जिसके बाद चिकित्सा जांच अनिवार्य है. इसके अलावा अचानक वजन घटने पर भी सतर्क होना चाहिए. इसके अलावा पर्याप्त आराम के बावजूद थकान और ऊर्जा की कमी, पीलापन इस बीमारी के संकेत हैं.