जयपुर. दो मीठे बोल किसी भी दर्द को कम करने के लिए काफी होते हैं और जब जिक्र कैंसर जैसे गंभीर बीमारी की हो तो शायद इससे बेहतर और कोई दवा हो ही नहीं सकती है. आज विश्व कैंसर दिवस है और हम एक ऐसी महिला से बात करेंगे, जिन्होंने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को एक बार नहीं, बल्कि दो बार मात दी और वर्तमान में कैंसर से ग्रसित मरीजों का हौसला बढ़ाने का काम कर रही हैं. जयपुर निवासी प्रेमलता सांड की जिंदगी को कैंसर ने एकदम से बदल दिया, लेकिन वो हिम्मत नहीं हारीं. अपने मजबूत इरादों के बूते उन्होंने दो बार कैंसर को मात दी और पिछले 15 सालों से हजारों कैंसर पीड़ितों की मदद कर रही हैं. वो कैंसर ग्रसित मरीजों को प्रेरित करने का काम करती हैं, ताकि वो इस जानलेवा बीमारी से न हारें. उनके इस काम और सेवा भाव को देखते हुए कई बड़े मंचों पर उन्हें सम्मानित किया जा चुका है.
कैंसर बढ़ता है डिप्रेशन : प्रेमलता सांड बताती है, ''कैंसर जिसे होता है, वो एकदम से डिप्रेशन में आ जाता है. उसे लगता है कि अब वो नहीं बचेगा. जिंदगी निराशा से भर जाती है. उसे लगता है कि उसके बाद उसके परिवार का क्या होगा? बच्चे और फैमिली के बारे में सोचने लगता है. ऊपर से आर्थिक समस्या होनी आम बात है. डिप्रेशन इतना होता है कि मरीज जीने की आस तक छोड़ देता है. ऐसे में उन्हें सपोर्ट की सख्त जरूरत होती है. अगर कोई उनकी हिम्मत बढ़ाए तो हिम्मत और जज्बे के बूते कैंसर को पराजित किया जा सकता है.''
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मां से कहा- दर्द सहन नहीं होता, जहर ही दे दो : प्रेमलता खुद का उदाहरण देते हुए कहती हैं, ''मैं खुद कैंसर सर्वाइवर हूं. मुझे दो बार कैंसर हो चुका है, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और आज आप के सामने हूं. पिछले 15 साल से भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल के साथ जुड़कर सोशल वर्कर कर रही हूं. वहीं, 2001 की बात है जब मुझे पहली बार कैंसर डिटेक्ट हुआ था. उस वक्त पहली बार जब कीमोथेरेपी हुई तो मुझे बहुत दर्द हुआ. मैंने मां से कहा-आप मुझे जहर दे दीजिए. मैं जिंदा नहीं रहना चाहती हूं. मुझे इतना दर्द होता था कि मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर पाती थी, लेकिन उस वक्त मेरी मां ने मुझे हिम्मत दी. उन्होंने कहा- तुझे जीना है. अपने बच्चों के लिए जीना है. मां के उन्ही शब्दों ने मुझे जीने की प्रेरणा दी और आज में पिछले 15 साल से कैंसर पीड़ितों को उन्ही शब्दों के साथ अपना उदाहरण देते हुए हिम्मत देती हूं.''
आत्मविश्वास के दम पर हम कैंसर को दे सकते हैं मात : प्रेमलता सांड बताती हैं, ''कैंसर में दवा और दुआ के साथ ही आत्मविश्वास भी जरूरी है. डॉक्टर अपना काम करते हैं. दवाएं बहुत जरूरी है, लेकिन पीड़ित को हिम्मत देना और उसमें आत्मविश्वास जगाना उससे भी अधिक जरूरी है, जो काम हम करते हैं. हम पॉजिटिव थिंकिंग देते हैं और कहते हैं कि नहीं आप चिंता मत करो, आप बिल्कुल ठीक हो जाओगे. पिछले 15 साल से यह काम मैं कर रही हूं.
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डॉक्टर ने कहा- बस एक सप्ताह शेष है : प्रेमलता अपना उदाहरण देते हुए कहती हैं, ''2019 में मुझे दूसरी बार कैंसर डिटेक्ट हुआ. डॉक्टर ने कहा कि कैंसर फोर्थ स्टेज में है. एक सप्ताह से ज्यादा नहीं बचूंगी, लेकिन आज मैं आप के साथ बात कर रही हूं. इसका सिर्फ और सिर्फ एक कारण है कि मैंने हिम्मत के साथ मुकाबला किया.''
डॉक्टर्स ने मेरा नाम 'आयरन लेडी' रखा : उन्होंने आगे बताया, ''कैंसर की फोर्थ स्टेज के बारे में उन्हें एक साल बाद पता चला, जब वो किसी अन्य कैंसर पीड़ित के केस को लेकर डॉक्टर के पास गई थी. इस बीच जब उन्होंने डॉक्टर से अपने बारे में पूछा तो डॉक्टर ने कहा कि आप को भी फोर्थ स्टेज है, लेकिन आप हिम्मत और आत्मविश्वास के दम पर स्वस्थ हो. आपने मौत पर विजय प्राप्त कर लिया है. आप तो हमारे लिए एक उदाहरण हैं, जितने भी हॉस्पिटल वाले हैं वो डॉक्टर हो या फिर स्टाफ सभी ने मेरा नाम 'आयरन लेडी' रख दिया है.''
खौफ के खात्मे को दिया ये संदेश : विश्व कैंसर दिवस पर खास संदेश देते हुए प्रेमलता ने कहा, ''आज 4 फरवरी है. इस दिन को कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है. साथ ही कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. ऐसे में मैं भी सभी कैंसर पीड़ितों से यही कहूंगी कि आप हिम्मत रखिए, पॉजिटिव थिंकिंग के साथ आगे बढ़िए, जो भी रूल्स व डॉक्टर दवा देते हैं उसका सेवन कीजिए. साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रखिए कि जो भी आप इलाज लेते हैं वो एक ही लीजिए. कभी हम एलोपैथी भी ले रहे होते हैं तो कभी होम्योपैथी की तरफ रूख करते हैं या फिर आयुर्वेदिक भी लेना शुरू कर देते हैं. ऐसा मत करिए. इससे आपको पता नहीं लगेगा कि आप किस दवा से ठीक हो रहे है या कौन सी दवा साइड इफेक्ट कर रही है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि आप डॉक्टर पर विश्वास कीजिए और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़िए. आप जरूर इस जंग को जीतेंगे.