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मिलिए उदयपुर के रक्तवीर से, 102 बार डोनेट कर चुके बल्ड, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड - Blood Donor Family - BLOOD DONOR FAMILY

World Blood Donor Day, 'जब रक्त से बचती है अपनों की जान, तब पता चलता है क्या है रक्तदान' ये कहना है उदयपुर के रक्तवीर रविंद्रपाल सिंह कप्पू का. विश्व रक्तदाता दिवस पर जानिए कैसे 18 साल में पहली बार रक्तदान करने से लेकर 102 बार रक्तदान करने तक सफर उन्होंने तय किया...

उदयपुर का रक्तवीर परिवार
उदयपुर का रक्तवीर परिवार (Etv Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 14, 2024, 7:02 AM IST

मिलिए उदयपुर के रक्तवीर से (ETV Bharat Udaipur)

उदयपुर. विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है. रक्तदान करने और रक्तदान का महत्व बताने के लिए राजस्थान के उदयपुर में रहने वाला एक परिवार मिसाल कायम कर चुका है. अब लोग इन्हें रक्त वीर परिवार के नाम से भी जानते हैं. परिवार के मुखिया रक्तदान करके शतक लगा चुके हैं. वहीं, उनकी पत्नी और बेटे भी रक्तदान में अर्ध शतक के नजदीक पहुंच चुके हैं. इस परिवार की कहानी सुनेंगे तो आप भी कहेंगे रक्तदान ही महादान है.

102 बार कर चुके रक्तदान : दरअसल, आज भी रक्तदान को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम हैं. वहीं, लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करने के साथ ही 102 बार रक्तदान कर चुके रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू एक मिसाल हैं. उन्होंने 18 साल की उम्र में रक्तदान करना शुरू किया और आज 58 साल की उम्र तक 102 बार रक्तदान कर चुके हैं. रविंद्रपाल ने बताया कि वो उस समय कॉलेज में बैठे थे. अचानक नाना आए और जल्दबाजी में हॉस्पिटल ले गया. हॉस्पिटल पहुंचा तो मौसी भर्ती थीं. उन्हें फ्रेश ब्लड चाहिए था. उस समय पहली बार ब्लड डोनेट किया. इससे मौसी की जान बच गई. इसके बाद से सोच लिया था कि ब्लड डोनेट करना है. दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी ग्रामीण इलाके में रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 250 से ज्यादा कैंप लगाकर 50 हजार लोगों को जागरूक कर चुके हैं.

पढ़ें. विश्व थैलेसीमिया डे, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से अब थैलेसीमिया का इलाज हुआ संभव

18 साल की उम्र में पहली बार किया रक्तदान : रविंद्रपाल सिंह ने पहली बार 18 वर्ष की उम्र में रक्तदान किया था. इसके साथ ही वे 50 हजार से ज्यादा लोगों को इसके लिए प्रेरित कर चुके हैं. अपना जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या फिर हो कोई इमरजेंसी, कप्पू हमेशा इस काम में आगे रहते हैं. रविंद्र ने बताया कि किसी भी काम की शुरुआत अपने घर से करनी चाहिए. उन्होंने रक्तदान की शुरुआत अपने परिवार से की और रक्तदान के लिए हर किसी के लिए तैयार रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे भी उनके साथ लगातार रक्तदान करते हैं. रक्तदान करने से व्यक्ति खुद स्वस्थ रहता है साथ ही कई जान भी बचा सकता है. उन्होंने कहा कि यह महान और पुण्य काम है, जितना व्यक्ति रक्तदान करेगा उतना स्वस्थ रहेगा. पहली बार रक्तदान करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. खून की वजह से किसी व्यक्ति की जान न जाए इसको लेकर उन्होंने प्रण लिया और ब्लड डोनेशन का अभियान चलाया है.

पढ़ें. इन्हें है थैलेसीमिया होने का ज्यादा खतरा, शादी से पहले कराएं ये जांच ताकि बच्चे को न हो ये बीमारी

लोगों को इस तरह करते हैं मोटिवेट : रविंद्रपाल ने बताया कि वो शादी समारोह या जन्मदिन पर लोगों को ब्लड डोनेशन को लेकर प्रेरित करते हैं. इसके साथ ही बताते हैं कि ब्लड डोनेट करने से व्यक्ति कितना स्वस्थ होता है. एक बार ब्लड डोनेशन करने से हार्ट की प्रॉब्लम, कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निजात मिलती है. इसके अलावा जब व्यक्ति का पुराना ब्लड निकलता है और नया ब्लड चढ़ता है तो बीमारियों से भी निजात मिलती है. उन्होंने कहा कि गर्व होता है जब बाहर जाने पर लोग रक्तवीर या ब्लड डोनर के नाम से पुकारते हैं.

वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं : उदयपुर के रविंद्र ने पिछले दिनों एक साथ 100 लोगों से ब्लड डोनेट करवा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया है. उन्होंने 99 लोगों के साथ एक ही समय पर ब्लड डोनेट किया था. लंदन बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज किया गया. इसके अलावा उन्हें अनगिनत अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने रक्तदाता दिवस पर लोगों से अपील की है कि जब खून से अपनों की जान बचती है तब पता लगता है क्या होता है रक्तदान. उन्होंने आम लोगों से कहा कि रक्तदान को लेकर डर नहीं होना चाहिए. यह मनुष्य एक दूसरे को ही बचाने के लिए देता है.

रक्त दान करते रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू
रक्त दान करते रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू (ETV Bharat Udaipur)

मिलिए उदयपुर के रक्तवीर से (ETV Bharat Udaipur)

उदयपुर. विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है. रक्तदान करने और रक्तदान का महत्व बताने के लिए राजस्थान के उदयपुर में रहने वाला एक परिवार मिसाल कायम कर चुका है. अब लोग इन्हें रक्त वीर परिवार के नाम से भी जानते हैं. परिवार के मुखिया रक्तदान करके शतक लगा चुके हैं. वहीं, उनकी पत्नी और बेटे भी रक्तदान में अर्ध शतक के नजदीक पहुंच चुके हैं. इस परिवार की कहानी सुनेंगे तो आप भी कहेंगे रक्तदान ही महादान है.

102 बार कर चुके रक्तदान : दरअसल, आज भी रक्तदान को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम हैं. वहीं, लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करने के साथ ही 102 बार रक्तदान कर चुके रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू एक मिसाल हैं. उन्होंने 18 साल की उम्र में रक्तदान करना शुरू किया और आज 58 साल की उम्र तक 102 बार रक्तदान कर चुके हैं. रविंद्रपाल ने बताया कि वो उस समय कॉलेज में बैठे थे. अचानक नाना आए और जल्दबाजी में हॉस्पिटल ले गया. हॉस्पिटल पहुंचा तो मौसी भर्ती थीं. उन्हें फ्रेश ब्लड चाहिए था. उस समय पहली बार ब्लड डोनेट किया. इससे मौसी की जान बच गई. इसके बाद से सोच लिया था कि ब्लड डोनेट करना है. दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी ग्रामीण इलाके में रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 250 से ज्यादा कैंप लगाकर 50 हजार लोगों को जागरूक कर चुके हैं.

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18 साल की उम्र में पहली बार किया रक्तदान : रविंद्रपाल सिंह ने पहली बार 18 वर्ष की उम्र में रक्तदान किया था. इसके साथ ही वे 50 हजार से ज्यादा लोगों को इसके लिए प्रेरित कर चुके हैं. अपना जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या फिर हो कोई इमरजेंसी, कप्पू हमेशा इस काम में आगे रहते हैं. रविंद्र ने बताया कि किसी भी काम की शुरुआत अपने घर से करनी चाहिए. उन्होंने रक्तदान की शुरुआत अपने परिवार से की और रक्तदान के लिए हर किसी के लिए तैयार रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे भी उनके साथ लगातार रक्तदान करते हैं. रक्तदान करने से व्यक्ति खुद स्वस्थ रहता है साथ ही कई जान भी बचा सकता है. उन्होंने कहा कि यह महान और पुण्य काम है, जितना व्यक्ति रक्तदान करेगा उतना स्वस्थ रहेगा. पहली बार रक्तदान करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. खून की वजह से किसी व्यक्ति की जान न जाए इसको लेकर उन्होंने प्रण लिया और ब्लड डोनेशन का अभियान चलाया है.

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लोगों को इस तरह करते हैं मोटिवेट : रविंद्रपाल ने बताया कि वो शादी समारोह या जन्मदिन पर लोगों को ब्लड डोनेशन को लेकर प्रेरित करते हैं. इसके साथ ही बताते हैं कि ब्लड डोनेट करने से व्यक्ति कितना स्वस्थ होता है. एक बार ब्लड डोनेशन करने से हार्ट की प्रॉब्लम, कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निजात मिलती है. इसके अलावा जब व्यक्ति का पुराना ब्लड निकलता है और नया ब्लड चढ़ता है तो बीमारियों से भी निजात मिलती है. उन्होंने कहा कि गर्व होता है जब बाहर जाने पर लोग रक्तवीर या ब्लड डोनर के नाम से पुकारते हैं.

वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं : उदयपुर के रविंद्र ने पिछले दिनों एक साथ 100 लोगों से ब्लड डोनेट करवा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया है. उन्होंने 99 लोगों के साथ एक ही समय पर ब्लड डोनेट किया था. लंदन बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज किया गया. इसके अलावा उन्हें अनगिनत अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने रक्तदाता दिवस पर लोगों से अपील की है कि जब खून से अपनों की जान बचती है तब पता लगता है क्या होता है रक्तदान. उन्होंने आम लोगों से कहा कि रक्तदान को लेकर डर नहीं होना चाहिए. यह मनुष्य एक दूसरे को ही बचाने के लिए देता है.

रक्त दान करते रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू
रक्त दान करते रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू (ETV Bharat Udaipur)
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