शिमला: 1 दिसंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड एड्स डे के तौर पर मनाया जाता है. हिमाचल प्रदेश में एड्स के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसका खुलासा एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से जारी आंकड़ों से हुआ है. एड्स कंट्रोल सोसाइटी के जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में प्रदेशभर में 5534 लोग संक्रमित थे, जिनकी संख्या 31 अक्टूबर 2024 तक बढ़कर 5897 हो गई है.
कांगड़ा में सबसे ज्यादा HIV संक्रमित
हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कांगड़ा में लोग HIV पॉजिटिव हैं. यहां पर 1576 महिला-पुरुष HIV से संक्रमित हैं. जबकि प्रदेश में सबसे कम मामले लाहौल-स्पीति में है, यहां HIV संक्रमित लोगों की संख्या 10 हैं. ऐसे ही शिमला में 307 HIV पॉजिटिव केस हैं. वहीं, बिलासपुर में 442, चंबा में 167, हमीरपुर में 1035, किन्नौर में 24, कुल्लू में 236, मंडी में 749, सिरमौर में 127, सोलन में 291, ऊना में 679 और गैर हिमाचली में 254 लोग HIV पॉजिटिव हैं. इस साल अक्टूबर तक हिमाचल में एड्स के 303 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं.
HIV संक्रमित मरीजों में पुरुषों की संख्या ज्यादा
एड्स कंट्रोल सोसाइटी के जारी आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में एड्स मरीजों की कुल संख्या 5897 है. जिनमें से पुरुषों की संख्या 3187 है, जो कि कुल मामलों का 54 फीसदी है. महिलाओं की संख्या 2705 है, जो कि कुल मामलों का 45.8 फीसदी है. जबकि ट्रांसजेंडर की संख्या 5 है. एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि 0-15 आयु वर्ग के 5.1 फीसदी बच्चे HIV से संक्रमित हैं. 16 से 30 आयु वर्ग के 21.9 फीसदी, 31 से 45 आयु वर्ग के 49.4 फीसदी, 46 से 60 आयु वर्ग के 21.2 फीसदी और 60 वर्ष से ज्यादा 2.4 फीसदी मरीज HIV संक्रमित हैं.
हिमाचल में कब आया था एड्स का पहला मामला?
हिमाचल प्रदेश में साल 1986 में एड्स का पहला मामला हमीरपुर जिला में सामने आया था. इसके बाद धीरे-धीरे प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी एड्स फैलता चला गया. इसके बाद ही एड्स कंट्रोल सोसाइटी अस्तित्व में आई. इन दिनों युवा नशे की चपेट में आते जा रहे हैं. युवा वर्ग सीरिंज के जरिए तरह-तरह के नशे का प्रयोग कर रहे हैं. इससे एड्स फैलने का खतरा बढ़ रहा है.
जागरूकता से एड्स की रोकथाम
एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में एड्स के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एड्स पर काबू पाने के लिए सरकार और एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. इससे हिमाचल के लोग जागरूक होकर जांच करवाने के लिए आगे आ रहे हैं. मौजूदा समय में 5870 लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं. इनमें पुरुष और महिला दोनों शामिल हैं. राजीव कुमार ने बताया, "HIV/AIDS जाने-अनजाने में किसी को भी हो सकता है. गर्भावस्था में या उसके पहले 3 महीने में गर्भवती महिला को अपनी HIV जांच जरूर करवानी चाहिए, ताकि बच्चे को HIV संक्रमण से बचाया जा सके. HIV पॉजिटिव गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान एआरटी दवा समय देने से और बच्चा पैदा होने से तुरंत बाद नवजात शिशु को दवा देने से बच्चे को HIV से बचाया जा सकता है."
एड्स को खुला न्योता दे रही नशे की लत
डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में नशे की गिरफ्त में युवा वर्ग सीरिंज का प्रयोग कर एड्स को खुला न्योता दे रहे हैं. हिमाचल में सभी तरह के लोगों में एड्स की बीमारी पाई गई है, लेकिन युवाओं में इसके लक्षण अधिक देखे गए हैं. जिसका मुख्य कारण युवाओं का नशे में संलिप्त होना है और नशे के लिए सिरिंज का इस्तेमाल करना है. प्रदेश में एड्स की बीमारी गंभीर समस्या बनी हुई है. हर आयु वर्ग के लोग एड्स की चपेट में आ रहे हैं. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों स्थित 56 सेंटर से 5897 लोग एड्स की दवाइयां ले रहे हैं.
'मां का HIV संक्रमित होना बच्चे के लिए खतरा'
डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि हिमाचल में एआरटी सेंटर में कुछ बच्चों के नाम दर्ज हुए हैं, जो HIV से संक्रमित हैं. उन्होंने बताया कि बच्चों में एड्स का मुख्य कारण मां का HIV संक्रमित होना है. अगर किसी मां को एड्स है और वो समय से अपना इलाज नहीं करवाती है तो बच्चों में एड्स होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए महिलाओं को डॉक्टर्स द्वारा ये सलाह दी जाती है कि एड्स के लक्षण दिखते ही अस्पताल में अपना चैकअप करवाएं, खासकर गर्भवती महिलाएं.
हर साल 3 लाख से ज्यादा लोगों की HIV जांच
एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया, "प्रदेश में कुल 18 से ज्यादा ब्लड बैंक काम कर रहे हैं. यहां पर हर साल रक्तदान शिविर भी लगाए जाते हैं. ब्लड बैंक द्वारा लगाए गए इन शिविरों में डोनर की काउंसलिंग की जाती है. इसके अलावा आईजीएमसी शिमला और कांगड़ा के टांडा अस्पताल में भी एड्स संक्रमण के इलाज के लिए एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी भी चल रही है. प्रदेश में हर साल लगभग 3 लाख से ज्यादा लोगों की HIV जांच की जा रही है."
एड्स मरीजों को दी जाने वाली सुविधा
स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से ऊना, बिलासपुर, मंडी, टांडा, शिमला, हमीरपुर सहित अन्य जिलों में एआरटी सेंटर खोले गए हैं. जहां पर एड्स से पीड़ित लोगों को निशुल्क दवाइयां दी जाती हैं. यहां पर सोसाइटी की ओर से एड्स मरीजों को घर से आने व जाने का खर्च भी दिया जाता है. जो कि मरीजों के लिए राहत की बात है. जिससे उन्हें इलाज पर अपनी जेब से एक रुपए भी खर्च नहीं करना पड़ेगा.
एड्स क्या है?
एड्स/ HIV मानव की रोग रोधक क्षमता को कमजोर करने वाला वायरस से होता है. जो कि शरीर की रोधक क्षमता पर प्रहार करता है, जिसका काम शरीर को छूत या संक्रामक रोगों से बचाना होता है. इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स वाले लोग भयानक छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ित हो जाते हैं.
कैसे फैलता है AIDS ?
- HIV संक्रमित व्यक्ति के स्वस्थ व्यक्ति को ब्लड डोनेट करने से
- HIV संक्रमित व्यक्ति और स्वस्थ व्यक्ति पर एक ही सिरिंज का प्रयोग करने से
- HIV संक्रमित गर्भवती मां से उसके बच्चे में
- असुरक्षित यौन संबंध बनाने से
टैटू बनाने वाले ध्यान दें
मौजूदा दौर में टैटू बनवाना फैशन बन गया है, खासकर युवाओं में. ऐसे में टैटू बनाने वाले इस बात की ओर खास ध्यान दें कि टैटू बनाने के लिए जो सीरिंज वो इस्तेमाल कर रहे हैं, वो सही है या नहीं. इसके अलावा एक ही सीरिंज अलग-अलग लोगों पर इस्तेमाल न करें. डॉक्टरों के मुताबिक अगर टैटू बनाने वाली सीरिंज ठीक नहीं है तो इससे एड्स फैलने का खतरा बढ़ जाता है. टैटू बनाने वाले काफी लोगों में एड्स के लक्षण सामने आए हैं.
एड्स के लक्षण
- ऊर्जा की कमी
- वजन घटना
- बार-बार बुखार और पसीना आना
- देर तक या बार-बार होने वाली फंगल की छूत
- देर तक रहने वाला डायरिया
- कुछ समय के लिए विस्मृति (भूलने की समस्या)
- मुंह, जननेन्द्रिय और गुर्दा में फोड़े
- खांसी और सांस फूलना
एड्स से बचने के उपाय
एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव कुमार ने बताया कि कुछ उपाय करके HIV संक्रमित होने से बचा जा सकता है.
- अपने साथी से वफादार रहे, ज्यादा व्यक्तियों के साथ यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए.
- असुरक्षित यौन संबंध से परहेज करें.
- यौन संबंध बनाने पर निरोध का प्रयोग करना चाहिए.
- अस्पताल में इंजेक्शन लगाते समय हर बार नए सिरिंज का प्रयोग करें.
- अस्पताल में अगर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ जाए तो पहले पूरी तरह स्पष्ट हो जाए कि जो खून आपको चढ़ाया जा रहा है वह किसी रोग से ग्रसित तो नहीं है.
- नशे के सेवन से दूर रहें और असुरक्षित रूप से सिरिंज का इस्तेमाल न करें.