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प्रधानमंत्री लखपति दीदी योजना ने खोला रोजगार का रास्ता, रामनगर में ऊन से खिलौने बना रही महिलाएं - PRADHAN MANTRI LAKHPATI DIDI YOJANA

ऊन से स्वेटर के साथ ही खिलौने बनाए जा रहे हैं, कार्टून करैक्टर के साथ भगवान की छवियां भी ऊन से बनाईं, लखपति दीदी योजना

PRADHAN MANTRI LAKHPATI DIDI YOJANA
NRLM के तहत रामनगर में स्वरोजगार (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 9, 2024, 11:51 AM IST

Updated : Dec 9, 2024, 12:07 PM IST

रामनगर (कैलाश सुयाल): आज तक आपने ऊनी धागों से स्वेटर बनते हुए देखे होंगे. नैनीताल जिले में पहली बार महिलाएं ऊन से स्वेटर नहीं, बल्कि तरह तरह के टॉयज के साथ ही भगवान बनाकर सरकार की लखपति दीदी योजना के तहत स्वरोजगार से जुड़ गई हैं. इन महिला समूहों के बनाये हुए ऊनी खिलौनों को कॉर्बेट पार्क आने वाले पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भी काफी पसंद कर रहे हैं.

ऊन से बना रहे टॉयज: उत्तराखंड में महिलाओं में एक से बढ़कर एक हुनर देखने को मिलते हैं. अक्सर महिलाओं को आपने ऊनी धागों से स्वेटर, मफलर बनाते देखा है. आज हम आपको नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र की ऐसी महिलाओं से मिला रहे हैं, जो पारंपरिक बुनाई से अलग अपने इस हुनर से और भी आधुनिक चीजों को बना रही हैं. रामनगर की रहने वाले महिलाएं अब प्रधानमंत्री लखपति दीदी योजना के तहत समूह से जुड़कर ऊनी धागों से क्रोशिए, मशीन और हाथों की मदद से बच्चों के खिलौने बनाने का काम कर रही हैं. इन खिलौनों को बाजार में लोगों द्वारा भी बेहद पसंद किया जाने लगा है.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं स्वरोजगार कर रही हैं (VIDEO- ETV Bharat)

कार्टून करैक्टर से लेकर भगवान तक ऊन के: राष्ट्रीय ग्रामीण योजना मिशन के तहत सोवेनियर दुकान चलाने वाली संचालिका भावना मेहरा कहती हैं कि हमारे महिला समूह की महिलाओं द्वारा टॉयज को क्रोशिया, बुनाई मशीन और हाथों से तैयार किया जा रहा है. हम ऊन से पिकाचु, मारियो, पजल, जोकर, मिस्टर बीन बना रहे हैं तो गणेश जी, राम जी और कृष्ण भगवान जी आदि के ऊनी टॉयज भी तैयार कर रहे हैं.

Pradhan Mantri Lakhpati Didi Yojana
रामनगर में लखपति दीदी योजना के तहत स्वरोजगार (PHOTO- ETV BHARAT)

एक खिलौने में लगता है इतना ऊन: भावना ने बताया कि एक टॉयज में 10 ग्राम से 100 ग्राम तक ऊन का इस्तेमाल होता है. खिलौनों के साइज के अनुसार ऊन का स्तेमाल होता है. एक टॉय को बनाने में उसकी लंबाई के अनुसार उसमें लागत आती है. जैसे 3 इंच के टॉय में 80 से 100 रुपए की लागत आती है. ऐसे ही 6 इंच के टॉयज बनाने में 200 से 250 रुपए की लागत आती है. 8 इंच लंबाई के टॉयज में 200 से 300 रुपये की लागत आती है.

Pradhan Mantri Lakhpati Didi Yojana
महिलाएं ऊन के खिलौने तैयार कर रही हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

एक खिलौने से होती है इतनी कमाई: भावना कहती हैं कि हम महिलाएं इन टॉयज को 150 से 1500 रुपये तक में बेचती हैं. भावना बताती हैं कि एक टॉय को तैयार करने में 15 मिनट से आधा घंटे का समय लगता है. उन्होंने बताया कि ऊन के खिलौने नर्म और प्यारा स्पर्श देते हैं. ऊन के खिलौने बच्चों के लिए बेहद प्यारे और सुरक्षित होते हैं. ये न सिर्फ देखने में सुंदर होते हैं, बल्कि इनके नर्म स्पर्श से बच्चे बहुत खुश होते हैं. ऊन से बने खिलौने से बच्चों को एलर्जी होने की संभावना बहुत कम होती है. इन्हें आसानी से धो भी सकते हैं.

Pradhan Mantri Lakhpati Didi Yojana
ऊन से बने खिलौने (PHOTO- ETV BHARAT)

कला के साथ रोजगार: वहीं सोविनियर में आकर इन खिलौनों को बनाना सीख रही महिलाएं भी कहती हैं कि वह यहां से सीख कर अपना खुद का रोजगार भी करेंगी. इन खिलौनों की खरीदारी करने वाली महिलाएं कहती हैं कि उन्होंने नैनीताल जिले में पहली बार देखा कि ऊन से टॉयज बनाएं जा रहे हैं. पिकाचू, गणेश जी आदि खिलौने यह महिलाएं बना रही हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं और उनके बच्चों को यह टॉयज बहुत पसंद आए.

Pradhan Mantri Lakhpati Didi Yojana
कला के साथ रोजगार भी (PHOTO- ETV BHARAT)

प्रधानमंत्री लखपति दीदी योजना का कमाल: रामनगर ब्लॉक मिशन की प्रबंधक अधिकारी सरस्वती जोशी कहती हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihoods Mission NRLM) यह भारत सरकार का एक ऐसा मिशन है, जिसमें हम स्वयं सहायता समूह में महिला को संगठित करते हैं. सरकार की और से रोजगार करने के लिए इन महिलाओं को मदद दी जा रही है. साथ ही जो काम महिलाएं करना चाहती हैं, उसकी ट्रेनिंग महिलाओं को दी जाती है. सरस्वती जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाई गई लखपति दीदी योजना का लक्ष्य हर महिला को लखपति बनाना है. इसके तहत महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ा जा रहा है.

Pradhan Mantri Lakhpati Didi Yojana
ऊन के खिलौनों में भगवान की छवि भी (PHOTO- ETV BHARAT)

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रामनगर (कैलाश सुयाल): आज तक आपने ऊनी धागों से स्वेटर बनते हुए देखे होंगे. नैनीताल जिले में पहली बार महिलाएं ऊन से स्वेटर नहीं, बल्कि तरह तरह के टॉयज के साथ ही भगवान बनाकर सरकार की लखपति दीदी योजना के तहत स्वरोजगार से जुड़ गई हैं. इन महिला समूहों के बनाये हुए ऊनी खिलौनों को कॉर्बेट पार्क आने वाले पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भी काफी पसंद कर रहे हैं.

ऊन से बना रहे टॉयज: उत्तराखंड में महिलाओं में एक से बढ़कर एक हुनर देखने को मिलते हैं. अक्सर महिलाओं को आपने ऊनी धागों से स्वेटर, मफलर बनाते देखा है. आज हम आपको नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र की ऐसी महिलाओं से मिला रहे हैं, जो पारंपरिक बुनाई से अलग अपने इस हुनर से और भी आधुनिक चीजों को बना रही हैं. रामनगर की रहने वाले महिलाएं अब प्रधानमंत्री लखपति दीदी योजना के तहत समूह से जुड़कर ऊनी धागों से क्रोशिए, मशीन और हाथों की मदद से बच्चों के खिलौने बनाने का काम कर रही हैं. इन खिलौनों को बाजार में लोगों द्वारा भी बेहद पसंद किया जाने लगा है.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं स्वरोजगार कर रही हैं (VIDEO- ETV Bharat)

कार्टून करैक्टर से लेकर भगवान तक ऊन के: राष्ट्रीय ग्रामीण योजना मिशन के तहत सोवेनियर दुकान चलाने वाली संचालिका भावना मेहरा कहती हैं कि हमारे महिला समूह की महिलाओं द्वारा टॉयज को क्रोशिया, बुनाई मशीन और हाथों से तैयार किया जा रहा है. हम ऊन से पिकाचु, मारियो, पजल, जोकर, मिस्टर बीन बना रहे हैं तो गणेश जी, राम जी और कृष्ण भगवान जी आदि के ऊनी टॉयज भी तैयार कर रहे हैं.

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रामनगर में लखपति दीदी योजना के तहत स्वरोजगार (PHOTO- ETV BHARAT)

एक खिलौने में लगता है इतना ऊन: भावना ने बताया कि एक टॉयज में 10 ग्राम से 100 ग्राम तक ऊन का इस्तेमाल होता है. खिलौनों के साइज के अनुसार ऊन का स्तेमाल होता है. एक टॉय को बनाने में उसकी लंबाई के अनुसार उसमें लागत आती है. जैसे 3 इंच के टॉय में 80 से 100 रुपए की लागत आती है. ऐसे ही 6 इंच के टॉयज बनाने में 200 से 250 रुपए की लागत आती है. 8 इंच लंबाई के टॉयज में 200 से 300 रुपये की लागत आती है.

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महिलाएं ऊन के खिलौने तैयार कर रही हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

एक खिलौने से होती है इतनी कमाई: भावना कहती हैं कि हम महिलाएं इन टॉयज को 150 से 1500 रुपये तक में बेचती हैं. भावना बताती हैं कि एक टॉय को तैयार करने में 15 मिनट से आधा घंटे का समय लगता है. उन्होंने बताया कि ऊन के खिलौने नर्म और प्यारा स्पर्श देते हैं. ऊन के खिलौने बच्चों के लिए बेहद प्यारे और सुरक्षित होते हैं. ये न सिर्फ देखने में सुंदर होते हैं, बल्कि इनके नर्म स्पर्श से बच्चे बहुत खुश होते हैं. ऊन से बने खिलौने से बच्चों को एलर्जी होने की संभावना बहुत कम होती है. इन्हें आसानी से धो भी सकते हैं.

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ऊन से बने खिलौने (PHOTO- ETV BHARAT)

कला के साथ रोजगार: वहीं सोविनियर में आकर इन खिलौनों को बनाना सीख रही महिलाएं भी कहती हैं कि वह यहां से सीख कर अपना खुद का रोजगार भी करेंगी. इन खिलौनों की खरीदारी करने वाली महिलाएं कहती हैं कि उन्होंने नैनीताल जिले में पहली बार देखा कि ऊन से टॉयज बनाएं जा रहे हैं. पिकाचू, गणेश जी आदि खिलौने यह महिलाएं बना रही हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं और उनके बच्चों को यह टॉयज बहुत पसंद आए.

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कला के साथ रोजगार भी (PHOTO- ETV BHARAT)

प्रधानमंत्री लखपति दीदी योजना का कमाल: रामनगर ब्लॉक मिशन की प्रबंधक अधिकारी सरस्वती जोशी कहती हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihoods Mission NRLM) यह भारत सरकार का एक ऐसा मिशन है, जिसमें हम स्वयं सहायता समूह में महिला को संगठित करते हैं. सरकार की और से रोजगार करने के लिए इन महिलाओं को मदद दी जा रही है. साथ ही जो काम महिलाएं करना चाहती हैं, उसकी ट्रेनिंग महिलाओं को दी जाती है. सरस्वती जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाई गई लखपति दीदी योजना का लक्ष्य हर महिला को लखपति बनाना है. इसके तहत महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ा जा रहा है.

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ऊन के खिलौनों में भगवान की छवि भी (PHOTO- ETV BHARAT)

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Last Updated : Dec 9, 2024, 12:07 PM IST
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