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हिमालय का दुर्लभ पेड़ भोजपत्र बना आय का जरिया, चमोली में कई उत्पाद बनाकर महिलाएं चला रही आजीविका

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 18, 2024, 1:31 PM IST

Updated : Feb 18, 2024, 5:08 PM IST

Bhojpatra Products in Chamoli उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भोजपत्र पेड़ की छाल का बड़ा पौराणिक और धार्मिक महत्व है. पारंपरिक रूप से भोजपत्र का इस्तेमाल धर्म ग्रंथों और पवित्र ग्रंथों को लिखने के लिए कागज के तौर पर किया जाता रहा है, लेकिन अब इससे कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं. जो महिलाओं के लिए आय का जरिया साबित हो रही है. जानिए किस तरह से महिलाओं के आजीविका बन रहा भोजपत्र...

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र से आय
भोजपत्र बना आय का जरिया

चमोली: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाला वृक्ष भोजपत्र लोगों की आजीविका के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस भोजपत्र से चमोली में तमाम प्रकार से उत्पाद बनाए जा रहे हैं. नीति माणा की महिलाओं की ओर से शुरू की गई यह पहल अब विस्तार ले रहा है. वैदिक काल से लेखन कार्य, पूजा पाठ समेत तमाम कार्यों में इस्तेमाल होने वाला भोजपत्र की अब बाजार में मांग बढ़ने लगी है. जिसका सीधा लाभ महिलाओं को मिल रहा है.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र का वृक्ष

जोशीमठ में तैयार की जा रही भोजपत्र की 3 नर्सरी: भोजपत्र से कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं. जिसके तहत महिलाएं समूहों से जुड़कर स्टिंग आर्ट तैयार कर रही हैं. जिसे वो बाजार में 1000 से 2000 रुपए में बेचकर मुनाफा कमा रही हैं. सोविनियर की बढ़ती मांग को देखते हुए जिला प्रशासन ने महिलाओं को ट्रेनिंग दी थी, जिसमें महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 8 दिवसीय कैलीग्राफी और स्ट्रिंग आर्ट का एडवांस प्रशिक्षण लिया था.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र से महिलाओं को मिला स्वरोजगार

वहीं, महिलाएं प्रशिक्षण लेने के बाद सोविनियर तैयार कर बेच रही हैं. खासकर नीति माणा की महिलाएं भोजपत्र से कई प्रकार के कलाकृति बना रहे हैं. भोजपत्र से मालाएं भी बनाई जा रही है. जिसकी बाजार में डिमांड बढ़ने लगी है, जिससे महिलाओं की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है. वहीं, जोशीमठ में अब भोजपत्र की 3 नर्सरियां तैयार की जा रही है.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र की छाल पर कलाकृति

चारधाम मार्ग पर भी होगी भोजपत्र बिक्री: बीडीओ मोहन प्रसाद जोशी ने बताया कि भोजपत्र पर लिखित सोविनियर की डिमांड को देखते हुए आने वाले समय में इसे यात्रा सीजन में चारधाम मार्ग पर लगा दिया जाएगा. इससे महिलाओं की आजीविका और आर्थिकी बढ़ेगी. वहीं, उत्तराखंड आने वाले यात्री भी देवभूमि की दुर्लभ सौगात को अपने साथ ले जा सकेंगे.

पीएम मोदी को महिलाओं ने भेंट किया था भोजपत्र पर लिखा अभिनंदन पत्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अक्टूबर 2022 में जब माणा पहुंचे थे. तब उस समय वहां की जनजातीय महिलाओं ने उन्हें भोजपत्र पर लिखा अभिनंदन पत्र भेंट किया था. जिस पर पीएम मोदी ने कहा था कि भोजपत्र का काफी महत्व है. यह भविष्य में यहां की महिलाओं के लिए आर्थिकी का जरिया बनेगा.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र से बने उत्पाद

पीएम मोदी कर चुके तारीफ: वहीं, 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति माणा की महिलाओं का जिक्र कर चुके हैं. जिसमें उन्होंने कहा था कि भोजपत्र की प्राचीन विरासत उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशहाली के रंग भर रही है. यह बेहद संतोष की बात है कि भोजपत्र से बनी अनूठी कलाकृति न सिर्फ हमारी परंपरा और संस्कृति को संजोए रखने का माध्यम बन रही है. बल्कि, इससे आर्थिक तरक्की के द्वार भी खुल रहे हैं.

क्या होता है भोजपत्र: बता दें कि भोजपत्र उच्च हिमालय में करीब 3500 से 4500 मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है. भोजपत्र ठंडे वातावरण में उगने वाला पर्णपाती पेड़ है, जिसकी ऊंचाई करीब 20 मीटर तक हो सकती है. दुनिया में कागज की खोज से पहले लेखन के लिए भोजपत्र की छाल का इस्तेमाल किया जाता था.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र बना आय का जरिया

सर्दियों के मौसम में भोजपत्र की छाल पतली-पतली परतों के रूप में निकलती है. जिन्हें कागज की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इस पर लिखा हुआ शब्द कई सालों तक संरक्षित रहता है. इस वृक्ष को काफी पवित्र भी माना जाता है. इसी भोजपत्र पर पुराण और प्राचीन अभिलेख लिखे जाते थे. जिसकी वजह से यह दुर्लभ माना जाता है.

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भोजपत्र बना आय का जरिया

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Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र का वृक्ष

जोशीमठ में तैयार की जा रही भोजपत्र की 3 नर्सरी: भोजपत्र से कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं. जिसके तहत महिलाएं समूहों से जुड़कर स्टिंग आर्ट तैयार कर रही हैं. जिसे वो बाजार में 1000 से 2000 रुपए में बेचकर मुनाफा कमा रही हैं. सोविनियर की बढ़ती मांग को देखते हुए जिला प्रशासन ने महिलाओं को ट्रेनिंग दी थी, जिसमें महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 8 दिवसीय कैलीग्राफी और स्ट्रिंग आर्ट का एडवांस प्रशिक्षण लिया था.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र से महिलाओं को मिला स्वरोजगार

वहीं, महिलाएं प्रशिक्षण लेने के बाद सोविनियर तैयार कर बेच रही हैं. खासकर नीति माणा की महिलाएं भोजपत्र से कई प्रकार के कलाकृति बना रहे हैं. भोजपत्र से मालाएं भी बनाई जा रही है. जिसकी बाजार में डिमांड बढ़ने लगी है, जिससे महिलाओं की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है. वहीं, जोशीमठ में अब भोजपत्र की 3 नर्सरियां तैयार की जा रही है.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र की छाल पर कलाकृति

चारधाम मार्ग पर भी होगी भोजपत्र बिक्री: बीडीओ मोहन प्रसाद जोशी ने बताया कि भोजपत्र पर लिखित सोविनियर की डिमांड को देखते हुए आने वाले समय में इसे यात्रा सीजन में चारधाम मार्ग पर लगा दिया जाएगा. इससे महिलाओं की आजीविका और आर्थिकी बढ़ेगी. वहीं, उत्तराखंड आने वाले यात्री भी देवभूमि की दुर्लभ सौगात को अपने साथ ले जा सकेंगे.

पीएम मोदी को महिलाओं ने भेंट किया था भोजपत्र पर लिखा अभिनंदन पत्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अक्टूबर 2022 में जब माणा पहुंचे थे. तब उस समय वहां की जनजातीय महिलाओं ने उन्हें भोजपत्र पर लिखा अभिनंदन पत्र भेंट किया था. जिस पर पीएम मोदी ने कहा था कि भोजपत्र का काफी महत्व है. यह भविष्य में यहां की महिलाओं के लिए आर्थिकी का जरिया बनेगा.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र से बने उत्पाद

पीएम मोदी कर चुके तारीफ: वहीं, 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति माणा की महिलाओं का जिक्र कर चुके हैं. जिसमें उन्होंने कहा था कि भोजपत्र की प्राचीन विरासत उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशहाली के रंग भर रही है. यह बेहद संतोष की बात है कि भोजपत्र से बनी अनूठी कलाकृति न सिर्फ हमारी परंपरा और संस्कृति को संजोए रखने का माध्यम बन रही है. बल्कि, इससे आर्थिक तरक्की के द्वार भी खुल रहे हैं.

क्या होता है भोजपत्र: बता दें कि भोजपत्र उच्च हिमालय में करीब 3500 से 4500 मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है. भोजपत्र ठंडे वातावरण में उगने वाला पर्णपाती पेड़ है, जिसकी ऊंचाई करीब 20 मीटर तक हो सकती है. दुनिया में कागज की खोज से पहले लेखन के लिए भोजपत्र की छाल का इस्तेमाल किया जाता था.

Bhojpatra Products in Chamoli
भोजपत्र बना आय का जरिया

सर्दियों के मौसम में भोजपत्र की छाल पतली-पतली परतों के रूप में निकलती है. जिन्हें कागज की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इस पर लिखा हुआ शब्द कई सालों तक संरक्षित रहता है. इस वृक्ष को काफी पवित्र भी माना जाता है. इसी भोजपत्र पर पुराण और प्राचीन अभिलेख लिखे जाते थे. जिसकी वजह से यह दुर्लभ माना जाता है.

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Last Updated : Feb 18, 2024, 5:08 PM IST
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