जयपुर: राजस्थान के सिरोही में पहले एक विधवा महिला के साथ दुष्कर्म और फिर जोधपुर में 3 साल की मासूम से हुए दुष्कर्म से आहत एनएसयूआई छात्रों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. बुधवार को छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस जाब्ता भी तैनात रहा, जिन्होंने छात्रों को विश्वविद्यालय कैंपस से बाहर नहीं आने दिया. वहीं, एनएसयूआई के इकाई अध्यक्ष किशोर चौधरी ने प्रदेश की बीजेपी सरकार को पर्ची सरकार बताते हुए कहा कि प्रदेश में महिलाओं पर दिनों दिन अत्याचार और दुष्कर्म के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. उसी के विरोध में प्रदर्शन किया गया.
उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों पर सीएम को खुद दखल देते हुए नकेल कसनी चाहिए, जबकि वो मौन धारण कर बैठे हैं, लेकिन प्रदेश की जनता और छात्र शक्ति अब सरकार को उपचुनाव में आइना दिखाने का काम करेगी. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासनकाल के आंकड़े उठाकर के देखें और वर्तमान बीजेपी की सरकार के आंकड़ों से तुलना करें तो महिला उत्पीड़न के मामले बढ़े ही हैं. जोधपुर में एक 3 साल की मासूम के साथ दरिंदगी की जाती है. सिरोही में विधवा महिला को हैवानियत का शिकार बनाया जाता है. ये घटनाएं शर्मसार करने वाली हैं, फिर भी सरकार चुप है.
वहीं, एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश भाटी ने कहा कि महिला सुरक्षा का मुद्दा केवल एक शहर या राज्य तक सीमित नहीं, बल्कि ये देश का मुद्दा है. आज सरकार के खिलाफ राजस्थान विद्यालय की इकाई ने प्रदर्शन किया है और आने वाले समय में इस तरह के आंदोलन पूरे प्रदेश में चलाए जाएंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि आज महिला उत्पीड़न के मामलों में राजस्थान पहले पायदान पर आ गया है, जो मुख्यमंत्री की नाकामी है. ऐसे में या तो मुख्यमंत्री कानून व्यवस्था को संभाले या फिर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें.
एनएसयूआई के इस प्रोटेस्ट में शामिल हुई एकमात्र महिला कार्यकर्ता रितु बराला ने राज्य सरकार से सवाल पूछा कि प्रदेश की उपमुख्यमंत्री भी एक महिला हैं, लेकिन वो भी इस तरह के मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहीं. प्रदेश में कहीं मासूम तो कहीं विधवा को शिकार बनाया जा रहा है, तो फिर कैसे बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की बात करते हैं. एनएसयूआई छात्रों ने चेताया कि यदि महिलाओं पर उत्पीड़न बंद नहीं हुआ तो एनएसयूआई पूरे प्रदेश में सड़कों पर उतरकर उग्र प्रदर्शन करेगी. हालांकि, महिलाओं को लेकर हुए एनएसयूआई के इस प्रदर्शन में महज एक महिला कार्यकर्ता मौजूद रही.