सरगुजा : छत्तीसगढ़ राज्य के 24वें स्थापना दिवस के मौके पर सरगुजा में भी राज्योत्सव समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान आयोजन स्थल पर कई सरकारी विभागों ने अपनी सफलता को प्रदर्शित करने के लिए स्टाल लगाए. इनमें जहां हार्टिकल्चर विभाग के बनाए गए प्रदेश का नक्शा आकर्षण का केंद्र रहा. वहीं नेशनल लाइवलीहुड मिशन के स्टाल में महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का मॉडल देखने को मिला.
महिला सशक्तिकरण की दिखी झलक : सरगुजा के राज्योत्सव समारोह में महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की झलक देखने को मिली. जिले में महिला समूह के जरिए किस तरह महिलाओं का जीवन बदला, यहां साफ तौर पर देखने को मिला. नेशनल लाइवलीहुड मिशन के स्टाल में महिलाओं के बनाए उत्पाद बेचे जा रहे थे. ग्रामीण आदिवासी महिलाओं द्वारा निर्मित खूबसूरत मोमबत्ती, मोबाइल हैंगर, कार एसेसरीज समारोह में आकर्षण का केंद्र रही.
यहां मौजूद सभी उत्पाद अलग अलग समूह की महिलाओं ने बनाया है. ऐसा नहीं है कि ये सब एक जगह ही बनाया गया हो. अलग अलग महिलाएं ये समान बनाती हैं. कोई मोमबत्ती, कोई मसाला बनाती हैं और वो सब समान एक जगह पर बिकते हैं. मार्केटिंग के लिये सी मार्ट, बिहान बाजार और जगह जगह स्टाल लगाकर बिक्री की जाती है. : ममता सरकार, सदस्य, महिला समूह
हम लोग गोदना आर्ट का काम करते हैं इसके लिए हम लोग बाजार से साड़ी खरीदते हैं, और फिर उसमें गोदना आर्ट से डिजाइन बनाते हैं, प्लेन साड़ी डिजाइन बनने के बाद अच्छे दाम में बिकती है, इससे महिलाओं का जीवन बदला है. : लक्ष्मी पैकरा, गोदना आर्टिस्ट
महिला समूह के बनाए प्रोडक्ट की रही डिमांड : महिला समूह बनाकर उनको स्वरोजगार से जोड़ने का कारवां सरगुजा में ऐसा चला कि आज कई समूह का एक क्लस्टर बनकर वह बिहान महिला प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन चुका है. एनआरएलएम के स्टाल में महिला समूहों ने अपने बनाए प्रोडक्ट रखे थे. जिसमें राशन, तेल, मसाला के अलावा कमल के फूल की आकृति में बनी मोमबत्तियां, कार के फ्रंट मिरर में लटकाने वाला शो पीस, मोबाइल चार्जिंग हैंगर समेत कई तरह की चीजें देखने को मिली, जो महिलाओं ने अपने हाथों से बनाए हैं.
बिहान महिला प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की डायरेक्टर शांति बताती है कि हम लोगों का जीवन बिहान से बदल गया है. आज हम बड़े बड़े मंच पर जा रहे हैं, बिजनेस कर रहे हैं. दिल्ली तक हमें बुलाकर सम्मानित किया गया. पैसे कमा कर आत्मनिर्भर बन चुके हैं. ये बिहान से ही संभव हुआ है. नहीं तो हम लोग गांव में ही खेती बाड़ी और घर के काम में लगे रह जाते.