रांची: 2019 में जब झारखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे थे, तब उस समय के नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झामुमो ने कई लोक लुभावने वादे किए. जनता ने इन वादों पर भरोसा किया और झारखंड सरकार की बागडोर हेमंत सोरेन को सौंप दी. हेमंत सोरेन करीब चार सालों से ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहे. इस दौरान उन्होंने कई वादे पूरे भी किए. लेकिन कई वादे अधूरे भी रह गए. जो वादे अधूरे रहे, उनमें कई ऐसे वादे हैं, जिनके पूरे होने की उम्मीद लोग सालों से कर रहे हैं. जब रघुवर दास की सरकार में लोगों के ये वादे पूरे नहीं हुए तो उन्होंने हेमंत सोरेन पर भरोसा जताया था. लेकिन अब हेमंत भी सीएम की कुर्सी से उतर चुके हैं, लेकिन वे वादे अभी भी अधूरे हैं. ऐसे में अब नई सरकार और नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पर इन वादों को पूरा करने का दबाव आ गया है.
चंपई सोरेन सरकार पर क्यों है दबाव?
दरअसल, अगले महीने से लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो जाएगी. इस दौरान सरकार के हाथ बंधे रहेंगे. साथ ही लोकसभा चुनाव संपन्न होने के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. ऐसे में चंपई सोरेन की सरकार के पास हेमंत सोरेन द्वारा जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए बहुत कम समय बचा है और जनता की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या चंपई सोरेन हेमंत सोरेन पार्ट 2 की तरह काम करेंगे और क्या इन अधूरे वादों को पूरा करने में सफल होंगे?
मौजूदा सरकार में शामिल पार्टियों द्वारा किए गए वादों को लेकर जब इन पार्टियों के नेताओं से सवाल पूछे गए तो उनका यही जवाब था कि बचे हुए वादे पूरे कर लिए जाएंगे. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे और कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा का कहना है कि झामुमो और कांग्रेस के घोषणापत्र में जो वादे किेए गए थे, उनमें से कई वादे महागठबंधन सरकार ने पूरे कर दिये हैं. वही जो वादे बाकी रह गए हैं, उन्हें भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. उनका कहना है कि केंद्र की भाजपा सरकार चाहे जितने भी खलल डाले, सरकार वादा पूरा करेगी. फिलहाल, हम ये जानते हैं कि 2019 में हेमंत सोरेन द्वारा किए कौन से अधूरे वादे हैं, जिन्हें पूरा करने का दबाव अब चंपई सरकार पर है.
हेमंत सोरेन द्वारा किए गए प्रमुख अधूरे वादे
- अनुबंध कर्मियों को स्थायी करने का वादा
- पारा शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतनमान का वादा
- ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं को नौकरी देने और नौकरी न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता देने का वादा
- केरल की तर्ज पर झारखंड में सब्जियों का एमएसपी तय करने का वादा
- राज्य में सरकारी चिकित्सा और शिक्षा को मॉडल बनाने का वादा
- पंचायत स्वयंसेवकों की सेवा स्थायी करने और सेवा स्थायी होने तक उन्हें मानदेय देने का वादा
- राज्य के 14 हजार से ज्यादा किसान मित्रों को सम्मान राशि देने का वादा
- हटाए गए होम गार्ड जवानों को एकमुश्त नामांकन के आधार पर नियुक्ति देने का वादा
- पत्रकारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू करने का वादा
- इसके अलावा राज्य में 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने का वादा
- ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का वादा
- अलग सरना धर्म कोड का वादा
'लोकलुभावन वादे कर हेमंत सोरेन ने दिया जनता को धोखा दिया'
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार महागठबंधन दलों के वादों को पूरा कर पाएगी इसमें संदेह है. उन्होंने कहा कि 2019 में वोट पाने के लिए हेमंत सोरेन ने बड़े-बड़े वादे कर जनता को धोखा देने की कोशिश की थी. उनकी मंशा सिर्फ वोट लेकर सत्ता हासिल करने की थी, इसलिए न तो उन्होंने अपने वादे पूरे किये और न ही अब कोई उम्मीद है.
हेमंत सोरेन द्वारा पूरे किए गए वादे
हेमंत सोरेन की सरकार ने जनता से जो महत्वपूर्ण वादे किये थे, उनमें कुछ वादों को पूरा भी किया गया. जो वादे पूरे किये गये या शुरू किये गये उनमें 100 यूनिट मुफ्त बिजली, अबूआ आवास, यूनिवर्सल पेंशन, कुछ तकनीकी दिक्कतों के बावजूद पुरानी पेंशन योजना, निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण की नीति, मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय, सरकारी नौकरियों में राज्य स्तरीय खिलाड़ियों की सीधी बहाली, विदेश में शिक्षा योजना, गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना शामिल हैं. इसके अलावा सरकार ने सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण और 1932 आधारित स्थानीयता विधेयक को विधानसभा से पारित कराया है.
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