आगरा: पुलिस कमिश्नरेट के परिवार परामर्श केंद्र में शनिवार को पति और पत्नी के विवाद का अनोखा मामला पहुंचा. जब पति ने पत्नी को मंहगी साड़ी गिफ्ट नहीं की तो पत्नी मायके में आकर रहने लगी. उसने पति के खिलाफ पुलिस से शिकायत की. जिस पर मामला परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचा. जहां पर पति और पत्नी की काउंसलिंग की गई तो काउंसलर्स भी हैरान रह गए. पत्नी ने शर्त रख दी कि, पहले पति उससे झगड़ा नहीं करने और पसंद की महंगी साड़ी दिलाने का वायदा करें. तब साथ जाऊंगी. सुलह नहीं होने पर पति और पत्नी को अगली तिथि पर बुलाया है.
बता दें कि, आगरा पुलिस कमिश्नरेट की पुलिस लाइन स्थित सभागार में हर शनिवार और रविवार को परिवार परामर्श केंद्र लगता है. जिसमें पति और पत्नी की काउंसलिंग की जाती है. शनिवार को परामर्श केंद्र में पति और पत्नी की शिकायत के 85 मामले पहुंचे. जिनकी काउंसलिंग में आठ पति और पत्नी के बीच समझौता हो गया. जिससे परिवार टूटने से बच गया. काउंसलिंग में सुलह नहीं होने पर दो मामलों में एफआईआर की संस्तुति की गई है.
दो साल पहले हुई है शादी: ताजनगरी के सदर थाना क्षेत्र की युवती ने पुलिस से शिकायत की थी. जिस पर शनिवार को पति और पत्नी को काउंसलिंग के लिए परिवार परामर्श केंद्र में बुलाया गया था. काउंसलर डॉ. सतीश खिरवार ने बताया कि, युवक और युवती की शादी 2022 में हुई है. काउंसलिंग में पत्नी का आरोप है कि, शादी के एक साल तक तो पति बिना कहे ही मुझे गिफ्ट में महंगी साड़ियां खरीद कर देते थे. अब मेरे मांगने पर भी एक साड़ी नहीं दिलाते हैं. दो माह पहले मैंने एक साड़ी दिलाने की बात कही, तो पति ने मुझे थप्पड़ मारे. तब से मैं मायके में ही हूं. इसलिए, मैं ससुराल जाना नहीं चाहती.
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पत्नी जिद्दी, समझाने पर नहीं समझती: काउंसलिंग में पति का कहना है कि, पत्नी जिद्दी है. आए दिन महंगी-महंगी साड़ियां दिलाने की जिद करती है. उसे समझाने पर समझती नहीं है. परिवार में कलह करती है. हंगामा करती है. वो अपनी जिद की वजह से मायके में रह रही है. काउंसलर डॉ. सतीष खिरवार ने बताया कि, पति और पत्नी को समझाया गया. मगर, सुलह नहीं हुई है. दोनों को अगली तारीख पर एक बार फिर समझाने की कोशिश की जाएगी.
प्रसव के बाद प्रसूता छोड गए अस्पताल में: परिवार परामर्श केंद्र में एक अन्य मामले में पत्नी का आरोप है, कि बच्चा पैदा होने के बाद ससुराल वाले उसे अस्पताल में अकेला छोड़कर चले गए. पति और ससुरालीजन नवजात बच्चा अपने साथ ले गए. जिससे मेरे मायके पक्ष ने अस्पताल का खर्चा उठाया. अब मैं मायके रह रही हूं. पति और ससुरालवाले एक बार भी उसे देखने नहीं आए हैं. काउंसलर डॉ. सतीश खिरवार ने बताया कि, ससुराल पक्ष का कहना है कि, बच्चा बीमार था. इसलिए, उसकी पहले छुट्टी करा ली थी. जब अस्पताल पहुंचे तो बहू मायके जा चुकी थी. बहू ने ससुराल आने से इनकार कर दिया. इस मामले में भी काउंसलिंग के लिए अगली तारीख दी है.
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