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हिमाचल के कर्मचारियों से जुड़ी सबसे बड़ी खबर, जानिए विधानसभा में भाजपा ने क्यों किया संशोधन बिल का विरोध - HIMACHAL GOVT EMPLOYEE NEWS

भाजपा के विरोध के बीच हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को कर्मचारियों से जुड़ा विधेयक पास हुआ था.

बीजेपी विधायक त्रिलोक जम्वाल
बीजेपी विधायक त्रिलोक जम्वाल (Himachal Assembly)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 21, 2024, 7:31 PM IST

Updated : Dec 21, 2024, 8:21 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की सियासत में सरकारी कर्मचारियों का रोल किसी से छिपा नहीं है. हिमाचल में कर्मचारियों व पेंशनर्स की संख्या चार लाख से अधिक है. ऐसे में सरकारी कर्मियों से जुड़ी कोई भी खबर जोरदार चर्चा का विषय बन जाती है. ऐसी ही चर्चा इन दिनों हिमाचल विधानसभा के विंटर सेशन में पेश एक बिल को लेकर हो रही है. आखिर ये बिल क्या है, सरकार ने इसमें क्या प्रावधान किए हैं और विपक्ष का इस बिल को लेकर क्या मत है, यहां इसकी जानकारी विधानसभा की कार्यवाही के आधार पर दी जाएगी.

शुक्रवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक, 2024 (2024 का विधेयक संख्यांक 39) पारित करने के लिए लाया. विपक्ष की तरफ से त्रिलोक जम्वाल, जेआर कटवाल, रणधीर शर्मा और डॉ. हंसराज ने विरोध जताया. आखिर, विपक्ष के तर्क क्या थे, आइये जानते हैं.

त्रिलोक जम्वाल ने विरोध में दिए ये तर्क

भाजपा सदस्य त्रिलोक जम्वाल ने बिल को कर्मचारी विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर 2003 के बाद जो भी कर्मचारी अनुबंध पर लगे हैं, उन्हें तय लाभ देने के लिए जब सरकार ने इनकार किया तो वे अदालत की शरण में गए. पूरी प्रक्रिया के बाद प्रशासनिक ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में सरकार हार गई. एग्जीक्यूशन पिटिशन फाइल हुई, उसमें भी सरकार हार गई तो अब ऐसा तुगलकी फरमान लेकर आए कि वर्ष 2003 के बाद जो भी कर्मचारी अनुबंध पर लगे हैं, लगभग बीस साल से जो काम कर रहे हैं, जिन कर्मचारियों की ये दुहाई देते थे, जो अनुबंध पर लगे हैं, उनको जो भी बेनेफिट्स मिले हैं, बिल में 8 नंबर पर जो संशोधन किया है, जैसे ही ये पास होगा, तुरंत विदड्रा हो जाएंगे.

सरकार ने जो संशोधन किया है, वो रेट्रोस्पेक्टिव है, अगर सरकार संशोधन करना ही चाहती है तो प्रॉस्पेक्टिवली करे. जम्वाल ने कहा कि तब हम भी उसका समर्थन करेंगे, उस पर विचार करेंगे. आगे जम्वाल ने कहा कि लेकिन अगर सरकार संशोधन लेकर आई है तो अब जैसे ही ये पास होगा, सारे कर्मचारियों को तुरंत इस एक्ट के खिलाफ कोर्ट में जाना पड़ेगा. सरकार ने कुछ भी नहीं सोचा कि उनकी रिजर्वेशन का क्या होगा, प्रमोशन का क्या बनेगा, पेंशनरी बेनिफिट का क्या होगा. कुछ भी नहीं सोचा.

जम्वाल ने कहा, सरकार ने कुछ नहीं सोचा और सीधे एक्ट पास कर दिया, क्योंकि कमिटमेंट्स इतनी अधिक है कि जिसकी भरपाई मुश्किल है. बिल का सेक्शन आठ पहली लाइन में क्या कहता है- हम लोकतंत्र में जीने वाले लोग हैं. हमारा लेजिस्लेचर कानून बनाता है, ज्यूडिशयरी उसे रिव्यू करती है और फिर एग्जीक्यूट किया जाता है. जम्वाल ने कहा कि जो कागज तीन प्रक्रियाओं से गुजर गया और ज्यूडिशयरी ने अपना फाइनल वर्डिक्ट दे दिया, उसके बाद प्रदेश सरकार फिर से एक नया लेजिस्लेशन ले आई है, नया संशोधन लाई है.

जमवाल ने कहा, चाहे वो कोई भी है, उसको जो लाभ कोर्ट से मिले हैं या जो सरकार ने उस कर्मचारी को पहले ही दे दिए हैं, इस संशोधन के तहत सरकार सारी रिकवरी करना चाहती है. ऐसा कौन सा ऑर्डर है, जो वर्ष 2003 रेट्रोस्पेक्टिवली 20 साल पहले कितनी सरकारें आई, चली गई पर किसी ने ऑर्डर पास नहीं किया. जम्वाल ने कहा कि आप कोर्ट में कर्मियों को इतना परेशान करोगे, अनुबंध के बंधुओं को इतना परेशान करोगे, वे सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं. आपने पोस्टें विज्ञापित की, कमीशन ने इंटरव्यू लिया, रोस्टर लगा, उसके माध्यम से सिलेक्ट हुए, उन्होंने आर्टिकल 14 के तहत पैरिटी मांगी और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पैरिटी दी. आपने आधों को लाभ दे दिए. अब ये होगा कि जब यह एक्ट कोर्ट में जाएगा तो हम नेशनल न्यूज पर मिलेंगे. यह छोटी बात नहीं है. आप अगर आज ऐसा ऑर्डर पास करेंगे कि जिन विधायकों ने 2003-04 में चुनाव जीता, उनके आज सारे लाभ विड्रॉ कर रहे हैं, सबसे रिकवरी कीजिए. यह किस प्रकार का संशोधन है?

जम्वाल ने आगे कहा-ये जो संशोधन लाए गए इसमें व्यक्ति को न तो सीनियोरिटी मिलेगी और न ही प्रमोशन, जिन्हें ये दे दी गई हैं, उनसे विदड्रा करनी पड़ेगी. जिनको एरियर मिल चुका है, उनसे रिकवरी करनी पड़ेगी. जम्वाल ने कहा, लोग कमीशन से नौकरी के लिए सिलेक्ट हुए. जब सरकार ने उनको लाभ नहीं दिए तो वे अदालत में गए, जहां से उनके फेवर में फैसला आया और सारे चैनल क्लियर हो गए. अब सरकार फिर से उसी राउंड ऑफ लिटिगेशन को बढ़ाना चाह रही है. इस एक्ट के बाद वही क्लॉक फिर से घूमेगी. आर्टिकल 309 के तहत आरएंडपी रूल्स बने, जिनके तहत नियुक्तियां दी गई. इस नोटिफिकेशन के बाद कमीशन के क्वालीफाई सारे लोग डेली वेजर्स कहलाए जाएंगे. उनका कोई राइट नहीं होगा. जब उनको सर्विस दी तो क्या वे इंप्लाई नहीं थे ? बिल में सरकार कह रही है कि अनुबंध कर्मी जब से नियमित होंगे, तब से उनको गवर्नमेंट इंप्लाई का स्टेटस मिलेगा. इसलिए ये जो संशोधन लेकर आए हैं-इट इज बैड इन दि आईज ऑफ लॉ एंड इट शुड बी विदड्रान हेयर ओनली. यह गंभीर विषय है. एसी व एसटी की रिजर्वेशन का क्या होगा, जो उनको प्रमोशन में मिलने वाली थी, यह विदड्रा हो जाएगी.

ये भी पढ़ें: अनुबंध कर्मचारियों की सीनियोरिटी से जुड़ा बिल, जानिए, सदन में क्या बोले पूर्व आईएएस व भाजपा एमएलए जेआर कटवाल

ये भी पढ़ें: भाजपा के विरोध के बीच विधानसभा में पास हुआ विधेयक, अनुबंध कर्मचारियों की सीनियोरिटी और इन्क्रीमेंट को झटका

शिमला: हिमाचल प्रदेश की सियासत में सरकारी कर्मचारियों का रोल किसी से छिपा नहीं है. हिमाचल में कर्मचारियों व पेंशनर्स की संख्या चार लाख से अधिक है. ऐसे में सरकारी कर्मियों से जुड़ी कोई भी खबर जोरदार चर्चा का विषय बन जाती है. ऐसी ही चर्चा इन दिनों हिमाचल विधानसभा के विंटर सेशन में पेश एक बिल को लेकर हो रही है. आखिर ये बिल क्या है, सरकार ने इसमें क्या प्रावधान किए हैं और विपक्ष का इस बिल को लेकर क्या मत है, यहां इसकी जानकारी विधानसभा की कार्यवाही के आधार पर दी जाएगी.

शुक्रवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक, 2024 (2024 का विधेयक संख्यांक 39) पारित करने के लिए लाया. विपक्ष की तरफ से त्रिलोक जम्वाल, जेआर कटवाल, रणधीर शर्मा और डॉ. हंसराज ने विरोध जताया. आखिर, विपक्ष के तर्क क्या थे, आइये जानते हैं.

त्रिलोक जम्वाल ने विरोध में दिए ये तर्क

भाजपा सदस्य त्रिलोक जम्वाल ने बिल को कर्मचारी विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर 2003 के बाद जो भी कर्मचारी अनुबंध पर लगे हैं, उन्हें तय लाभ देने के लिए जब सरकार ने इनकार किया तो वे अदालत की शरण में गए. पूरी प्रक्रिया के बाद प्रशासनिक ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में सरकार हार गई. एग्जीक्यूशन पिटिशन फाइल हुई, उसमें भी सरकार हार गई तो अब ऐसा तुगलकी फरमान लेकर आए कि वर्ष 2003 के बाद जो भी कर्मचारी अनुबंध पर लगे हैं, लगभग बीस साल से जो काम कर रहे हैं, जिन कर्मचारियों की ये दुहाई देते थे, जो अनुबंध पर लगे हैं, उनको जो भी बेनेफिट्स मिले हैं, बिल में 8 नंबर पर जो संशोधन किया है, जैसे ही ये पास होगा, तुरंत विदड्रा हो जाएंगे.

सरकार ने जो संशोधन किया है, वो रेट्रोस्पेक्टिव है, अगर सरकार संशोधन करना ही चाहती है तो प्रॉस्पेक्टिवली करे. जम्वाल ने कहा कि तब हम भी उसका समर्थन करेंगे, उस पर विचार करेंगे. आगे जम्वाल ने कहा कि लेकिन अगर सरकार संशोधन लेकर आई है तो अब जैसे ही ये पास होगा, सारे कर्मचारियों को तुरंत इस एक्ट के खिलाफ कोर्ट में जाना पड़ेगा. सरकार ने कुछ भी नहीं सोचा कि उनकी रिजर्वेशन का क्या होगा, प्रमोशन का क्या बनेगा, पेंशनरी बेनिफिट का क्या होगा. कुछ भी नहीं सोचा.

जम्वाल ने कहा, सरकार ने कुछ नहीं सोचा और सीधे एक्ट पास कर दिया, क्योंकि कमिटमेंट्स इतनी अधिक है कि जिसकी भरपाई मुश्किल है. बिल का सेक्शन आठ पहली लाइन में क्या कहता है- हम लोकतंत्र में जीने वाले लोग हैं. हमारा लेजिस्लेचर कानून बनाता है, ज्यूडिशयरी उसे रिव्यू करती है और फिर एग्जीक्यूट किया जाता है. जम्वाल ने कहा कि जो कागज तीन प्रक्रियाओं से गुजर गया और ज्यूडिशयरी ने अपना फाइनल वर्डिक्ट दे दिया, उसके बाद प्रदेश सरकार फिर से एक नया लेजिस्लेशन ले आई है, नया संशोधन लाई है.

जमवाल ने कहा, चाहे वो कोई भी है, उसको जो लाभ कोर्ट से मिले हैं या जो सरकार ने उस कर्मचारी को पहले ही दे दिए हैं, इस संशोधन के तहत सरकार सारी रिकवरी करना चाहती है. ऐसा कौन सा ऑर्डर है, जो वर्ष 2003 रेट्रोस्पेक्टिवली 20 साल पहले कितनी सरकारें आई, चली गई पर किसी ने ऑर्डर पास नहीं किया. जम्वाल ने कहा कि आप कोर्ट में कर्मियों को इतना परेशान करोगे, अनुबंध के बंधुओं को इतना परेशान करोगे, वे सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं. आपने पोस्टें विज्ञापित की, कमीशन ने इंटरव्यू लिया, रोस्टर लगा, उसके माध्यम से सिलेक्ट हुए, उन्होंने आर्टिकल 14 के तहत पैरिटी मांगी और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पैरिटी दी. आपने आधों को लाभ दे दिए. अब ये होगा कि जब यह एक्ट कोर्ट में जाएगा तो हम नेशनल न्यूज पर मिलेंगे. यह छोटी बात नहीं है. आप अगर आज ऐसा ऑर्डर पास करेंगे कि जिन विधायकों ने 2003-04 में चुनाव जीता, उनके आज सारे लाभ विड्रॉ कर रहे हैं, सबसे रिकवरी कीजिए. यह किस प्रकार का संशोधन है?

जम्वाल ने आगे कहा-ये जो संशोधन लाए गए इसमें व्यक्ति को न तो सीनियोरिटी मिलेगी और न ही प्रमोशन, जिन्हें ये दे दी गई हैं, उनसे विदड्रा करनी पड़ेगी. जिनको एरियर मिल चुका है, उनसे रिकवरी करनी पड़ेगी. जम्वाल ने कहा, लोग कमीशन से नौकरी के लिए सिलेक्ट हुए. जब सरकार ने उनको लाभ नहीं दिए तो वे अदालत में गए, जहां से उनके फेवर में फैसला आया और सारे चैनल क्लियर हो गए. अब सरकार फिर से उसी राउंड ऑफ लिटिगेशन को बढ़ाना चाह रही है. इस एक्ट के बाद वही क्लॉक फिर से घूमेगी. आर्टिकल 309 के तहत आरएंडपी रूल्स बने, जिनके तहत नियुक्तियां दी गई. इस नोटिफिकेशन के बाद कमीशन के क्वालीफाई सारे लोग डेली वेजर्स कहलाए जाएंगे. उनका कोई राइट नहीं होगा. जब उनको सर्विस दी तो क्या वे इंप्लाई नहीं थे ? बिल में सरकार कह रही है कि अनुबंध कर्मी जब से नियमित होंगे, तब से उनको गवर्नमेंट इंप्लाई का स्टेटस मिलेगा. इसलिए ये जो संशोधन लेकर आए हैं-इट इज बैड इन दि आईज ऑफ लॉ एंड इट शुड बी विदड्रान हेयर ओनली. यह गंभीर विषय है. एसी व एसटी की रिजर्वेशन का क्या होगा, जो उनको प्रमोशन में मिलने वाली थी, यह विदड्रा हो जाएगी.

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Last Updated : Dec 21, 2024, 8:21 PM IST
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