रायपुर: हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं की सवारी पशु-पक्षी हैं. सभी देवी देवताओं के वाहन भी अलग-अलग होते हैं. सभी देवी-देवता अपने-अपने प्रिय वाहन में सवारी करते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में अनेक देवी देवताओं के स्वरूप और चरित्र का वर्णन किया गया है. प्रत्येक देवी और देवता का उनके स्वरूप आचरण और व्यवहार के अनुरूप ही उनका वाहन होता है. हर देवता अपने वाहन के माध्यम से प्रकृति के विशिष्ट गुण का प्रतिनिधित्व करते हैं.
इस बारे में ईटीवी भारत ने पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इन वाहनों के रूप में बहुत ही अद्भुत रहस्य और सूक्ष्म प्रेरणाएं भी छिपी हुई है. गणपति मूषक पर सवार होते हैं. तो वहीं, भोलेनाथ को बैल की सवारी पसंद है. मां दुर्गा को शेर की सवारी पसंद है. ठीक इसी तरह हर देवी देवताओं की अलग-अलग सवारी है."
गणपति की सवारी मूषक: भगवान गणेश की सवारी मूषक है. मूषक यानी चूहा का स्वभाव है कि वह प्रत्येक वस्तु चाहे वह काम की हो या बेकार सबको कुतरकर नुकसान करना है. इसी प्रकार कुतर्की लोग भी हर कार्य में अपने कुतर्कों द्वारा व्यवधान उत्पन्न करते हैं. श्री गणेश ज्ञान एवं बुद्धि के देवता माने गए हैं. कुतर्क के चूहा है जिसे गणेश जी ने अपनी सवारी बनाकर अपने नीचे दबा रखा है. इस बात से यह संदेश मिलता है कि हमें बुरे लोगों के अर्थहीन बातों को नजरअंदाज कर अपने विवेक से काम लेना चाहिए.
भगवान भोलेनाथ की सवारी बैल: भगवान भोलेनाथ की सवारी बैल है. शिव पुराण में शिव जी का वाहन नंदी को बताया गया है. आमतौर पर खामोश रहने वाले बैल का चरित्र उत्तम और समर्पण भाव वाला होता है. बल और शक्ति के प्रतीक बैल को मोह माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला प्राणी माना गया है. यह सीधा-साधा प्राणी जब क्रोधित होता है तो शेर से भी लड़ जाता है. शिव की सवारी बैल से लोगों को यह प्रेरणा मिलती है कि शक्तिशाली होने पर भी शांत और सहज रहना चाहिए. परिश्रम द्वारा जीवन में सदैव धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए.
मां दुर्गा की सवारी शेर: माता दुर्गा की सवारी शेर है. देवी भागवत के अनुसार मां दुर्गा की सवारी शेर वन में संयुक्त परिवार में रहने वाला प्राणी है. यह वन का सबसे शक्तिशाली प्राणी होता है, लेकिन अपनी शक्ति को व्यर्थ में खर्च नहीं करता. आवश्यकता पड़ने पर ही इसका उपयोग करता है. मां दुर्गा का वाहन शेर यह संदेश देता है कि घर के मुखिया को अपने परिवार को जोड़कर रखना चाहिए. व्यर्थ के कार्यों में अपनी शक्ति को न लगाकर घर को सुखी बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए.
मां लक्ष्मी उल्लू पर होती हैं सवार: माता लक्ष्मी की सवारी उल्लू को माना गया है. उल्लू क्रियाशील प्रवृत्ति का पक्षी है. वह अपना पेट भरने के लिए भोजन की तलाश में निरंतर कार्य करता रहता है. इस कार्य को वह पूरी लगन के साथ करता है. लक्ष्मी का वाहन उल्लू से यही सीखने को मिलता है कि जो व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है माता लक्ष्मी की सदैव कृपा उन पर बनी रहती है. माता लक्ष्मी हमेशा स्थाई रूप से मेहनत करने वाले लोगों के घरों पर निवास करती है.
भगवान विष्णु की सवारी गरुड़: भगवान विष्णु की सवारी गरुड़ को माना गया है. गरुड़ एक ऐसा पक्षी है, जो आकाश में बहुत ऊंचाई पर उड़कर भी पृथ्वी के छोटे-छोटे जीवों पर नजर रख सकता है. गरुड़ सांपों का शत्रु माना गया है. इस कारण कहा जाता है कि यह विश्व को खत्म करने वाला अर्थात आतंक को नष्ट करने वाला पक्षी माना गया है. ऐसे ही परम शक्तिशाली भगवान विष्णु सबका पालन करने वाले हैं. उनकी नजर प्रत्येक जीव पर होती है. विष्णु जी की सवारी से सदैव अपनी दृष्टि पैनी बनाएं रखने और जागरूक बने रहने की प्रेरणा मिलती है.
मां सरस्वती हंस पर होती हैं सवार: माता सरस्वती की सवारी हंस है. हंस पवित्र जिज्ञासु और समझदार पक्षी होने के साथ ही जीवन पर्यंत एक ही हंसिनी के साथ रहता है. परिवार में प्रेम और एकता का यह उत्तम उदाहरण है. इसके अलावा हंस के सामने दूध और पानी मिलाकर रख दे तो वह केवल दूध पी लेता है और पानी को छोड़ देता है. इसका आशय है यह है कि हंस सिर्फ गुण ग्रहण करता है. अवगुण को छोड़ देता है. हंस मोती चुनकर सर्वश्रेष्ठ को ग्रहण करने का संदेश देता है.
भगवान हनुमान की सवारी भूत-प्रत: भगवान हनुमान की सवारी भूत प्रेत या पिशाच हो अपना आसन बनाकर उन पर बैठना है. इन्हीं को अपने वाहन के रूप में प्रयोग करते हैं. भूत पिशाच या प्रेत बुराई दूसरों को कष्ट देने वाले होते हैं. इसका आशय यह है कि हमें बुराई और दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को अपने ऊपर हावी होने नहीं देना चाहिए.
सूर्य देवता रथ पर होते हैं सवार: सूर्य देवता की सवारी रथ को माना गया है. हमारी सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हें शक्ति और स्फूर्ति का प्रतीक माना गया है. भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए. तभी जीवन में सफलता मिलेगी.
मां गंगा की सवारी मगरमच्छ: माता गंगा की सवारी मगरमच्छ को माना गया है. शास्त्रों में गंगा माता का वाहन मगरमच्छ के होने का उल्लेख मिलता है. मां गंगा के सवारी से हमें यह संदेश मिलता है कि जलीय जीव जंतुओं को मारना नहीं चाहिए, क्योंकि जल में रहने वाले हर प्राणी की पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इनको मारना यानी प्रकृति के साथ छेड़खानी करना माना गया है. जिसके परिणाम बहुत भयानक होते हैं.