शिमला: फरवरी के आखिर में 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. इनमें हिमाचल की भी एक सीट शामिल है, जो कांग्रेस के खाते में जाना तय है लेकिन कैंडिडेट के नाम पर कांग्रेस के पास सिर्फ कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है, सॉल्यूशन के नाम पर शिमला से दिल्ल तक सिर्फ माथापच्ची हो रही है लेकिन पार्टी की ओर से अब तक नाम तय नहीं हो पाया है.
15 फरवरी नामांकन का आखिरी दिन- राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग 27 फरवरी को होनी है और इन दिनों नामांकन का दौर जारी है. 15 फरवरी को नामांकन की आखिरी तारीख है लेकिन उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस का कन्फ्यूजन जस का तस बना हुआ है. राज्य में सीएम से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक सिर्फ आलाकमान का राग अलाप रहे हैं. आखिरी मुहर दिल्ली दरबार से तो लगेगी लेकिन कब लगेगी और किसके नाम पर लगेगी, इसपर कांग्रेस के पास कोई जवाब नहीं है. सोमवार को सीएम सुक्खू ने दिल्ली में प्रियंका गांधी से मुलाकात भी की है लेकिन फैसला क्या हुआ, अब तक कोई नहीं जानता.
सोनिया और प्रियंका का नाम- दरअसल हिमाचल से मौजूदा समय में जेपी नड्डा राज्यसभा सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल खत्म हो रहा है. इस सीट पर कांग्रेस किसे उतारेगी, इस पर स्थिति क्लीयर नहीं है. लेकिन पहले दिन से ही सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है कि सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी को हिमाचल से राज्यसभा भेजा जा सकता है. प्रियंका गांधी का घर भी शिमला में है. हालांकि सियासी पंडितों के मुताबिक गांधी परिवार के सदस्य अगर राज्यसभा की रेस में आते हैं तो वो हिमाचल की बजाय कर्नाटक या तेलंगाना जैसे बड़े राज्य को चुनेंगे ताकि भविष्य में सियासी फायदा लिया जा सके.
कांग्रेस क्यों है कन्फ्यूज- दरअसल हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को एक साल से ज्यादा का वक्त हो चला है. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी राज्यसभा के लिए ऐसे उम्मीदवार को तलाश रही है जिसका फायदा चुनाव में हो सके. दरअसल 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिमाचल की चारों सीटें जीती थी और इस बार भी भाजपाई क्लीन स्वीप का दावा कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने ऐसे उम्मीदवार को तलाशना टेढ़ी खीर साबित हो रही है, जिसपर खेमों में बंटा कांग्रेस का कुनबा राजी होकर एक साथ खड़ा हो जाए.
एक अनार, सौ बीमार और अंदरूनी कलह- कांग्रेस की अंदरूनी कलह भी किसी से छिपी नहीं है. अपनों की अनदेखी को लेकर प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से ही सवाल पूछ चुकी हैं. कुछ विधायकों से लेकर पार्टी के आला चेहरे भी सरकार पर अनदेखी का आरोप लगा चुके हैं. सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा जैसे कुछ विधायक खुलकर खेल रहे हैं. कांगड़ा जैसा जिला कैबिनेट में प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग कर रहा है और कुछ नेता अपनी सरकार से पद की चाह रखे हुए हैं. ऐसे में ये स्थिति एक अनार और सौ बीमार वाली है. इस कलह से बचने के लिए पार्टी गांधी परिवार के किसी सदस्य को हिमाचल से राज्यसभा भेजना चाहती है. लेकिन इस पर अब तक फैसला नहीं हो पाया है.
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