पटना: बिहार के सत्ताधारी दल जदयू की ओर से 10 करोड़ इलेक्टोरल बॉन्ड बेनामी होने की जानकारी चुनाव आयोग को दी गई थी. जेडीयू ने चुनाव आयोग को बताया कि 3 अप्रैल 2019 को पटना जेडीयू कार्यालय में 10 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड आया था. हालांकि चंदा किसने दिया था इसकी कोई जानकारी पार्टी के पास नहीं है. इस पर सियासत गरमाने के बाद जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने सफाई दी है.
"एसबीआई ने 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक का डाटा जारी नहीं किया है. ADR ने 2019-20 में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जो डाटा जारी किया था उसमें 13 करोड़ जदयू को मिला है. एसबीआई ने जो जानकारी दी है उसमें केवल 3 करोड़ इलेक्टोरल बॉन्ड मिलने की बात कही है. एसबीआई जब 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक का डाटा जारी करेगा तो सब स्पष्ट हो जाएगा."- नीरज कुमार, जदयू मुख्य प्रवक्ता
कुछ भी छुपाने की बात नहींः नीरज कुमार ने कहा कि हम लोगों ने तो पहले ही कहा है कि जदयू को 3 अप्रैल 2019 को एक-एक करोड़ का 10 इलेक्टोरल बॉन्ड मिला है. लेकिन कोई बेनामी नहीं है. एसबीआई की ओर से जब डाटा जारी कर दिया जाएगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है तो सब कुछ साफ हो जाएगा. कहीं से कोई छुपाने की बात नहीं है. जेडीयू को मिले ज्यादातर इलेक्टोरल बॉन्ड हैदराबाद, कोलकाता और पटना स्थित एसबीआई ब्रांच से जारी किए गए थे.
जेडीयू के पास डोनर की जानकारी नहीं: चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में जेडीयू ने कहा कोई शख्स 3 अप्रैल 2019 को पटना में उनके कार्यालय में आया और एक सीलबंद लिफाफा सौंप दिया. जब इसे खोला गया तो 1 करोड़ रुपये के 10 चुनावी बॉन्ड मिले थे. जेडीयू ने 10 अप्रैल 2019 को ही 10 करोड़ के बॉन्ड को पटना के मुख्य एसबीआई ब्रांच में जमा कर दिया. हालांकि जब डोनर के बारे में जानकारी मांगी गई, तब जेडीयू ने कहा कि इसे देने में वह असमर्थ है.
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