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कामिका एकादशी कब है, 30 या 31 जुलाई को, जानिए इसका महत्व और पूजा का विधि विधान - Kamika Ekadashi 2024 - KAMIKA EKADASHI 2024

Kamika Ekadashi 2024 : सावन का महीना चल रहा है जो भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. इस महीने में जहां भगवान भोलेनाथ की आराधना की जाती है तो उसके साथ-साथ अन्य व्रत और त्योहारों का भी महत्व बढ़ जाता है. वहीं इस महीने में आने वाली एकादशी का महत्व श्रावण के महीने के चलते और भी ज्यादा शुभ फल देने वाला माना जाता है. श्रावण के महीने में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना की जाती है. जो भी इंसान एकादशी का व्रत करता है, उसके घर में सुख समृद्धि आती है और उसके सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं. आईए जानते हैं कि इस बार कामिका एकादशी कब आ रही है और उसके व्रत का क्या महत्व है. साथ ही कामिका एकादशी में पूजा का क्या विधि विधान है ?

When is Kamika Ekadashi on 30th or 31st July know its importance and rituals of worship
कामिका एकादशी कब है ? जानिए महत्व और पूजा का विधि विधान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 24, 2024, 10:29 PM IST

करनाल : सावन माह में भक्त भोलेनाश शिव शंकर की आराधना करते हैं और इस दौरान बाकी व्रत और त्योहारों का भी महत्व बढ़ जाता है. ऐसे में इस माह आ रही है कामिका एकादशी जो काफी ज्यादा फलदायी है. आइए जानते हैं कि कामिका एकादशी कब आ रही है और उसके व्रत का क्या महत्व है.

कब है कामिक एकादशी ? : पंडित कर्मपाल शर्मा ने बताया कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है. कामिका एकादशी की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 30 जुलाई को शाम के 4:44 मिनट पर हो रही है, जबकि इसका समापन 31 जुलाई को दोपहर 3:55 मिनट पर होगा. कुछ लोगों में इसे लेकर असमंजस की स्थिति है कि इस बार कामिका एकादशी का व्रत 30 जुलाई को रखें या 31 जुलाई को लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि सनातन धर्म में प्रत्येक त्योहार उदय तिथि के साथ मनाया जाता है इसलिए कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई के दिन रखा जाएगा.

कामिका एकादशी व्रत का महत्व : पंडित शर्मा ने बताया कि वैसे तो सभी एकादशी का अपने आप में विशेष महत्व होता है लेकिन कामिका एकादशी का महत्व सभी एकादशियों से ज्यादा होता है, क्योंकि ये एकादशी भगवान भोलेनाथ के प्रिय महीने सावन में आती है और इस एकादशी के दिन जहां भगवान विष्णु के लिए पूजा अर्चना की जाती है तो इसके साथ-साथ भगवान भोलेनाथ को भी प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है. वहीं भगवान विष्णु के निद्रा अवस्था में जाने के बाद ये पहली एकादशी होती है. इसलिए इसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान विधिवत रूप से भगवान विष्णु और भोलेनाथ की आराधना करता है, उसके सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है. कामिका एकादशी का व्रत करने से जन्मों-जन्मों के पापों से छुटकारा मिल जाता है.

व्रत और पूजा का विधि-विधान : पंडितजी ने बताया कि एकादशी के व्रत को करने और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का सबसे ज्यादा महत्व होता है. जो भी इंसान एकादशी का व्रत करना चाहता है, वो एकादशी से एक दिन पहले शाम के समय भोजन ग्रहण न करें, एकादशी के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. साफ कपड़े पहनकर अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं. कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना की जाती है क्योंकि ये सावन के महीने में आती है. इसलिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना करें. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें तो वहीं भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भांग, धतूरा और फूल अर्पित करें. जो भी इंसान एकादशी का व्रत रखता है, उसे दिन में विष्णु पुराण और शिव पुराण पढ़ना चाहिए. साथ ही इस दिन एकादशी की कथा भी जरूर पढ़ें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और उनको प्रसाद का भोग लगाए. साथ ही ब्राह्मण और जरूरतमंद गरीबों, गायों को भोजन कराकर अपने व्रत का पालन कर लें. ब्राह्मण और गरीबों को अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें. माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से जन्मों- जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तो वहीं गरीब और ब्राह्मण को भोजन करवाने से घर में सुख समृद्धि आती है और आर्थिक दोष दूर होते हैं.

करनाल : सावन माह में भक्त भोलेनाश शिव शंकर की आराधना करते हैं और इस दौरान बाकी व्रत और त्योहारों का भी महत्व बढ़ जाता है. ऐसे में इस माह आ रही है कामिका एकादशी जो काफी ज्यादा फलदायी है. आइए जानते हैं कि कामिका एकादशी कब आ रही है और उसके व्रत का क्या महत्व है.

कब है कामिक एकादशी ? : पंडित कर्मपाल शर्मा ने बताया कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है. कामिका एकादशी की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 30 जुलाई को शाम के 4:44 मिनट पर हो रही है, जबकि इसका समापन 31 जुलाई को दोपहर 3:55 मिनट पर होगा. कुछ लोगों में इसे लेकर असमंजस की स्थिति है कि इस बार कामिका एकादशी का व्रत 30 जुलाई को रखें या 31 जुलाई को लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि सनातन धर्म में प्रत्येक त्योहार उदय तिथि के साथ मनाया जाता है इसलिए कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई के दिन रखा जाएगा.

कामिका एकादशी व्रत का महत्व : पंडित शर्मा ने बताया कि वैसे तो सभी एकादशी का अपने आप में विशेष महत्व होता है लेकिन कामिका एकादशी का महत्व सभी एकादशियों से ज्यादा होता है, क्योंकि ये एकादशी भगवान भोलेनाथ के प्रिय महीने सावन में आती है और इस एकादशी के दिन जहां भगवान विष्णु के लिए पूजा अर्चना की जाती है तो इसके साथ-साथ भगवान भोलेनाथ को भी प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष तौर पर पूजा अर्चना की जाती है. वहीं भगवान विष्णु के निद्रा अवस्था में जाने के बाद ये पहली एकादशी होती है. इसलिए इसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान विधिवत रूप से भगवान विष्णु और भोलेनाथ की आराधना करता है, उसके सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है. कामिका एकादशी का व्रत करने से जन्मों-जन्मों के पापों से छुटकारा मिल जाता है.

व्रत और पूजा का विधि-विधान : पंडितजी ने बताया कि एकादशी के व्रत को करने और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का सबसे ज्यादा महत्व होता है. जो भी इंसान एकादशी का व्रत करना चाहता है, वो एकादशी से एक दिन पहले शाम के समय भोजन ग्रहण न करें, एकादशी के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. साफ कपड़े पहनकर अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं. कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना की जाती है क्योंकि ये सावन के महीने में आती है. इसलिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना करें. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें तो वहीं भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भांग, धतूरा और फूल अर्पित करें. जो भी इंसान एकादशी का व्रत रखता है, उसे दिन में विष्णु पुराण और शिव पुराण पढ़ना चाहिए. साथ ही इस दिन एकादशी की कथा भी जरूर पढ़ें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और उनको प्रसाद का भोग लगाए. साथ ही ब्राह्मण और जरूरतमंद गरीबों, गायों को भोजन कराकर अपने व्रत का पालन कर लें. ब्राह्मण और गरीबों को अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें. माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से जन्मों- जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तो वहीं गरीब और ब्राह्मण को भोजन करवाने से घर में सुख समृद्धि आती है और आर्थिक दोष दूर होते हैं.

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