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भाद्रपद अमावस्या 2024 पर दुर्लभ संयोग, इन जातकों के लिए बन रहे शुभ योग - bhadrapat amavasya 2024

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 31, 2024, 4:54 PM IST

Updated : Aug 31, 2024, 5:04 PM IST

Bhadrapad Amavasya 2024 : भाद्रपद अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर श्रद्धा से किए दान-पुन से लाभ होता है. तो वहीं माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है की पूजा करने से घर में आर्थिक संकट और परेशानी दूर होती है. तो आईए जानते हैं कि यह अमावस्या कब है और इसका महत्व क्या है.

Bhadrapad Amavasya 2024
Bhadrapad Amavasya 2024 (Etv Bharat)

करनाल: सनातन धर्म में हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक व्रत व त्यौहार का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. इस समय हिंदू वर्ष का भाद्रपद महिना चल रहा है. भाद्रपद के महीने में आने वाली अमावस्या को बहुत ही लाभकारी माना जाता है. इस बार भाद्रपद महीने की अमावस्या के दिन शुभ योग भी बन रहा है. यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है. इसलिए इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है और स्नान करने उपरांत दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

कब है अमावस्या: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि भाद्रपद के महीने को अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा लाभ देने वाली अमावस्या बताया गया है. भाद्रपद महीने की अमावस्या का आरंभ 2 सितंबर को सुबह 5:21 से हो रहा है. जबकि इसका समापन 3 सितंबर को सुबह 7:24 पर होगा. ऐसे में यह अमावस्या 2 सितंबर के दिन मनाई जा रही है. लेकिन 3 सितंबर को सुबह 7:24 तक भी स्नान और दान कर सकते हैं. दोनों ही दिन स्नान और दान करने का लाभ लोगों को प्राप्त होगा. क्योंकि 3 सितंबर के दिन सूर्योदय सुबह 6:00 बजे होगा. जबकि अमावस्या का समापन 7:24 पर होगा. ऐसे में मंगलवार के दिन भी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा.

दान स्नान का शुभ मुहूर्त: पंडित ने बताया कि स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय 2 सितंबर को सुबह 4:38 से सुबह 5:24 तक रहेगा. जबकि देवताओं की पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 6:09 से सुबह 7:44 तक रहेगा. वहीं, पितरों के लिए श्राद्ध करने का समय दोपहर 12:00 के बाद सूर्यास्त से पहले तक रहेगा.

अमावस्या के दिन शुभ योग का निर्माण: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि अमावस्या दो दिन होने के चलते दोनों दिन ही शुभ योग का निर्माण हो रहा है. सोमवती अमावस्या के दिन 2 सितंबर को सिद्धि योग और शिवयोग बना रहेगा. शिवयोग सुबह 6:20 तक रहेगा. जबकि सिद्धि योग शाम के 6:20 तक रहेगा. वहीं 3 सितंबर के दिन भी अमावस्या मनाई जा रही है. उस दिन भी सिद्धि योग सुबह शुरू होकर शाम के 7:05 पर समाप्त होगा. जबकि सांख्य योग शाम 7:05 से शुरू होकर अगली सुबह 8:03 तक रहेगा.

पितरों के लिए की जाती है पूजा-अर्चना: पंडित ने बताया कि भाद्रपद अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा के शांति के लिए पिंडदान किए जाते हैं. पूजा-अर्चना व श्राद्ध तर्पण की जाती है. माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. घर में उनका आशीर्वाद बना रहता है. जिससे सुख समृद्धि आती है. उन्होंने बताया कि उनके यह काम करने से उनका आशीर्वाद से वंश वृद्धि होती है. जो भी अन्य बाधा परिवार के कामों में आ रही है सभी दूर होती है.

कई राशियों के लिए बहुत लाभकारी है भाद्रपद अमावस्या: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 2 तारीख के दिन भाद्रपद अमावस्या मनाई जा रही है. जिसका प्रभाव कई राशियों पर देखने को मिल रहा है. इस अमावस्या से उनके किस्मत के सितारे बुलंद होते हुए दिखाई दे रहे हैं. उनको कई प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे. इस राशि का प्रभाव वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या,कर्क, तुला, मकर और कुंभ के लिए काफी लाभकारी है. इस अमावस्या के दिन उनके कई प्रकार की बढ़ाएं दूर होगी और वह अपने करियर में उनकी प्राप्त करेंगे. वहीं आर्थिक दृष्टि से भी वह पहले से मजबूत होंगे. परिवार में सुख समृद्धि बनी रहेगी.

अमावस्या का महत्व: भाद्रपद महीने की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस अमावस्या को पितरों के लिए समर्पित माना जाता है और उनके लिए पिंडदान और पूजा पाठ की जाती है. यह भी माना जाता है कि इस अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं. इसलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कार्य किए जाते हैं. जिसे उनका आशीर्वाद उन पर बना रहता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का महत्व होता है. जिसे उनके सभी प्रकार के दुख दोष दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है. दान करने से आर्थिक संकट दूर होता है. इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करने का महत्व होता है. जिसके परिवार में आर्थिक संकट चल रहा हो वह माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें.

सोमवती अमावस्या की पूजा की विधि: उन्होंने कहा कि अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. उसके बाद अपनी इच्छा अनुसार दान करें. भगवान सूर्य देव को गंगाजल या पानी में थोड़ा सा दूध डालकर अर्पित करें और उसमें चीनी अवश्य डालें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, वह व्रत भी कर सकते हैं. इस दिन सबसे ज्यादा दान स्नान करने का महत्व होता है. उसके साथ-साथ पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान कार्य किए जाते हैं. जिसे सुख समृद्धि उनके परिवार में बनी रहती है.

जरुर करें ये उपाय मिलेंगे शुभ संकेत: अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं. पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या सिंह राशि में है. इसलिए यह और भी ज्यादा लाभ देने वाली मानी जा रही है. जो लोग पिछले काफी समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उनके लिए यह काफी फायदा देने वाली अमावस्या मानी जा रही है. इस अमावस्या से जिन लोगों को किसी भी प्रकार के विवाद में फंसे हुए हैं या कोर्ट के चल रहा है, उनके लिए भी अच्छा लाभ देने वाली अमावस्या माना जा रही है. जिस भी दंपति की संतान नहीं है उनके लिए यह कहीं खुशी लेकर आ रही है.

ये भी पढ़ें: भाद्रपद महीने की त्रयोदशी तिथि, आज पुराने पापों के प्रायश्चित के लिए है सबसे अच्छा दिन - Aaj Ka Panchang 24 August

ये भी पढ़ें: जानें आज किन राशियों के जातकों की चमकेगी किस्मत, किनकी बढ़ेगी परेशानियां - 31 August Rashifal

करनाल: सनातन धर्म में हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक व्रत व त्यौहार का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. इस समय हिंदू वर्ष का भाद्रपद महिना चल रहा है. भाद्रपद के महीने में आने वाली अमावस्या को बहुत ही लाभकारी माना जाता है. इस बार भाद्रपद महीने की अमावस्या के दिन शुभ योग भी बन रहा है. यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है. इसलिए इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है और स्नान करने उपरांत दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

कब है अमावस्या: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि भाद्रपद के महीने को अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा लाभ देने वाली अमावस्या बताया गया है. भाद्रपद महीने की अमावस्या का आरंभ 2 सितंबर को सुबह 5:21 से हो रहा है. जबकि इसका समापन 3 सितंबर को सुबह 7:24 पर होगा. ऐसे में यह अमावस्या 2 सितंबर के दिन मनाई जा रही है. लेकिन 3 सितंबर को सुबह 7:24 तक भी स्नान और दान कर सकते हैं. दोनों ही दिन स्नान और दान करने का लाभ लोगों को प्राप्त होगा. क्योंकि 3 सितंबर के दिन सूर्योदय सुबह 6:00 बजे होगा. जबकि अमावस्या का समापन 7:24 पर होगा. ऐसे में मंगलवार के दिन भी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा.

दान स्नान का शुभ मुहूर्त: पंडित ने बताया कि स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय 2 सितंबर को सुबह 4:38 से सुबह 5:24 तक रहेगा. जबकि देवताओं की पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 6:09 से सुबह 7:44 तक रहेगा. वहीं, पितरों के लिए श्राद्ध करने का समय दोपहर 12:00 के बाद सूर्यास्त से पहले तक रहेगा.

अमावस्या के दिन शुभ योग का निर्माण: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि अमावस्या दो दिन होने के चलते दोनों दिन ही शुभ योग का निर्माण हो रहा है. सोमवती अमावस्या के दिन 2 सितंबर को सिद्धि योग और शिवयोग बना रहेगा. शिवयोग सुबह 6:20 तक रहेगा. जबकि सिद्धि योग शाम के 6:20 तक रहेगा. वहीं 3 सितंबर के दिन भी अमावस्या मनाई जा रही है. उस दिन भी सिद्धि योग सुबह शुरू होकर शाम के 7:05 पर समाप्त होगा. जबकि सांख्य योग शाम 7:05 से शुरू होकर अगली सुबह 8:03 तक रहेगा.

पितरों के लिए की जाती है पूजा-अर्चना: पंडित ने बताया कि भाद्रपद अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा के शांति के लिए पिंडदान किए जाते हैं. पूजा-अर्चना व श्राद्ध तर्पण की जाती है. माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. घर में उनका आशीर्वाद बना रहता है. जिससे सुख समृद्धि आती है. उन्होंने बताया कि उनके यह काम करने से उनका आशीर्वाद से वंश वृद्धि होती है. जो भी अन्य बाधा परिवार के कामों में आ रही है सभी दूर होती है.

कई राशियों के लिए बहुत लाभकारी है भाद्रपद अमावस्या: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 2 तारीख के दिन भाद्रपद अमावस्या मनाई जा रही है. जिसका प्रभाव कई राशियों पर देखने को मिल रहा है. इस अमावस्या से उनके किस्मत के सितारे बुलंद होते हुए दिखाई दे रहे हैं. उनको कई प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे. इस राशि का प्रभाव वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या,कर्क, तुला, मकर और कुंभ के लिए काफी लाभकारी है. इस अमावस्या के दिन उनके कई प्रकार की बढ़ाएं दूर होगी और वह अपने करियर में उनकी प्राप्त करेंगे. वहीं आर्थिक दृष्टि से भी वह पहले से मजबूत होंगे. परिवार में सुख समृद्धि बनी रहेगी.

अमावस्या का महत्व: भाद्रपद महीने की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस अमावस्या को पितरों के लिए समर्पित माना जाता है और उनके लिए पिंडदान और पूजा पाठ की जाती है. यह भी माना जाता है कि इस अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं. इसलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कार्य किए जाते हैं. जिसे उनका आशीर्वाद उन पर बना रहता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का महत्व होता है. जिसे उनके सभी प्रकार के दुख दोष दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है. दान करने से आर्थिक संकट दूर होता है. इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करने का महत्व होता है. जिसके परिवार में आर्थिक संकट चल रहा हो वह माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें.

सोमवती अमावस्या की पूजा की विधि: उन्होंने कहा कि अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. उसके बाद अपनी इच्छा अनुसार दान करें. भगवान सूर्य देव को गंगाजल या पानी में थोड़ा सा दूध डालकर अर्पित करें और उसमें चीनी अवश्य डालें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, वह व्रत भी कर सकते हैं. इस दिन सबसे ज्यादा दान स्नान करने का महत्व होता है. उसके साथ-साथ पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान कार्य किए जाते हैं. जिसे सुख समृद्धि उनके परिवार में बनी रहती है.

जरुर करें ये उपाय मिलेंगे शुभ संकेत: अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं. पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या सिंह राशि में है. इसलिए यह और भी ज्यादा लाभ देने वाली मानी जा रही है. जो लोग पिछले काफी समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उनके लिए यह काफी फायदा देने वाली अमावस्या मानी जा रही है. इस अमावस्या से जिन लोगों को किसी भी प्रकार के विवाद में फंसे हुए हैं या कोर्ट के चल रहा है, उनके लिए भी अच्छा लाभ देने वाली अमावस्या माना जा रही है. जिस भी दंपति की संतान नहीं है उनके लिए यह कहीं खुशी लेकर आ रही है.

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Last Updated : Aug 31, 2024, 5:04 PM IST
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