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यूपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं के कब आएंगे अच्छे दिन? निगम, बोर्ड और आयोग में 100 से अधिक पद खाली, सीएम योगी की मुहर लगने का इंतजार - Vacant in boards corporation in up

उत्तर प्रदेश बीजेपी में इन दिनों सत्ता और संगठन के बीच चल रहे अघोषित टकराव की एक वजह निगम और आयोग के नये पदाधिकारी के नाम नहीं घोषित होना भी बताया जा रहा है. पार्टी की ओर से प्रस्तावित 80 नामों की घोषणा न किए जाने की वजह से भी नेताओं की बयानबाजी तेज हो गई है.

बीजेपी कार्यकर्ताओं को कब मिलेगी जिम्मेदारी
बीजेपी कार्यकर्ताओं को कब मिलेगी जिम्मेदारी (PHOTO credits ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 21, 2024, 3:56 PM IST

Updated : Jul 21, 2024, 7:36 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निगम, बोर्ड और आयोग में 100 से अधिक पद खाली हैं. यह ऐसे पद है जिसपर राजनीतिक लोग काबिज होते हैं. भारतीय जनता पार्टी से 100 ऐसे नाम प्रस्तावित होंगे जिनको माननीय का दर्जा मिलेगा. आने वाले दिनों में सरकार इन नाम की घोषणा कर सकती है. किन्नर कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष सोनम किन्नर के इस्तीफा देने के बाद एक पद और खाली हो गया है. जिसमें किन्नर समाज से जुड़े किसी भाजपा कार्यकर्ता को स्थान दिया जा सकता है. इस सारी प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुहर लगने के बाद ही मामला आगे बढ़ेगा. लंबे समय से ये पद खाली रहने से कई बार संगठन और सरकार के बीच टकराव के हालात बन चुके हैं. ऐसे में सीएम योगी बीजेपी के प्रस्ताव को आगे बढ़ा देंते हैं तो पार्टी के अनेक नेताओं को उपकृत करके संगठन को उपचुनाव के लिए तैयार किया जा सकता है.

लंबे समय से 80 नेताओं के बनी है लिस्ट
महिला आयोग, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग, सहित दर्जन भर से अधिक आयोग और निगमों में चेयरमैन, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाई हैं. बीजेपी नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ता समायोजन के लिए गणेश परिक्रमा में जुटे हुए हैं. बीजेपी प्रदेश नेतृत्व से लेकर आरएसएस तक लॉबिंग की जा रही है. काफी समय से संगठन ने 80 से अधिक नेताओं को इन आयोग और निगमों में समायोजित करने की लिस्ट तैयार की थी, लेकिन इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है. कहा जा रहा है सरकार और संगठन के बीच समन्वय न होने से सूची फंसी हुई है. जिसको लेकर कार्यकर्ताओं में भी निराशा बढ़ रही है.

राजनीतिक विश्लेषक भी नियुक्ति को बता रहे जरूरी

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि, निश्चित तौर पर सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय को लेकर इन बोर्ड और निगम में पदाधिकारी के तौर पर नेताओं की नियुक्ति जरूरी है. इससे नेताओं में ऊर्जा बढ़ती है और वह अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर पाते हैं. जिससे पार्टी को दूरगामी लाभ मिलते हैं. इसलिए निकट भविष्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इन पदों को भरने को लेकर रजामंदी दे देनी चाहिए.

इन आयोग और निगम के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी खाली

  • उप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग
  • उप्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग
  • उप्र महिला आयोग
  • उप्र राज्य खाद्य आयोग
  • उप्र गौ सेवा आयोग
  • उप्र राज्य युवा कल्याण परिषद
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद
  • उप्र आवास एवं विकास परिषद
  • उप्र भूमि उपयोग परिषद
  • उप्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड
  • उप्र गन्ना शोध परिषद
  • उप्र अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम
  • उप्र वक्फ विकास निगम
  • उप्र बीज विकास निगम
  • उप्र खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम
  • उप्र मध्य गन्ना बीज विकास निगम
  • उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम
  • उप्र महिला कल्याण निगम
  • उप्र वन निगम
  • उप्र राज्य समाज कल्याण बोर्ड
  • उप्र किन्नर कल्याण बोर्ड

ये भी पढ़ें: योगी की 'सरकार' या केशव मौर्या का 'संगठन'; अब संघ तय करेगा कौन बड़ा?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निगम, बोर्ड और आयोग में 100 से अधिक पद खाली हैं. यह ऐसे पद है जिसपर राजनीतिक लोग काबिज होते हैं. भारतीय जनता पार्टी से 100 ऐसे नाम प्रस्तावित होंगे जिनको माननीय का दर्जा मिलेगा. आने वाले दिनों में सरकार इन नाम की घोषणा कर सकती है. किन्नर कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष सोनम किन्नर के इस्तीफा देने के बाद एक पद और खाली हो गया है. जिसमें किन्नर समाज से जुड़े किसी भाजपा कार्यकर्ता को स्थान दिया जा सकता है. इस सारी प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुहर लगने के बाद ही मामला आगे बढ़ेगा. लंबे समय से ये पद खाली रहने से कई बार संगठन और सरकार के बीच टकराव के हालात बन चुके हैं. ऐसे में सीएम योगी बीजेपी के प्रस्ताव को आगे बढ़ा देंते हैं तो पार्टी के अनेक नेताओं को उपकृत करके संगठन को उपचुनाव के लिए तैयार किया जा सकता है.

लंबे समय से 80 नेताओं के बनी है लिस्ट
महिला आयोग, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग, सहित दर्जन भर से अधिक आयोग और निगमों में चेयरमैन, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाई हैं. बीजेपी नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ता समायोजन के लिए गणेश परिक्रमा में जुटे हुए हैं. बीजेपी प्रदेश नेतृत्व से लेकर आरएसएस तक लॉबिंग की जा रही है. काफी समय से संगठन ने 80 से अधिक नेताओं को इन आयोग और निगमों में समायोजित करने की लिस्ट तैयार की थी, लेकिन इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है. कहा जा रहा है सरकार और संगठन के बीच समन्वय न होने से सूची फंसी हुई है. जिसको लेकर कार्यकर्ताओं में भी निराशा बढ़ रही है.

राजनीतिक विश्लेषक भी नियुक्ति को बता रहे जरूरी

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि, निश्चित तौर पर सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय को लेकर इन बोर्ड और निगम में पदाधिकारी के तौर पर नेताओं की नियुक्ति जरूरी है. इससे नेताओं में ऊर्जा बढ़ती है और वह अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर पाते हैं. जिससे पार्टी को दूरगामी लाभ मिलते हैं. इसलिए निकट भविष्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इन पदों को भरने को लेकर रजामंदी दे देनी चाहिए.

इन आयोग और निगम के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी खाली

  • उप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग
  • उप्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग
  • उप्र महिला आयोग
  • उप्र राज्य खाद्य आयोग
  • उप्र गौ सेवा आयोग
  • उप्र राज्य युवा कल्याण परिषद
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद
  • उप्र आवास एवं विकास परिषद
  • उप्र भूमि उपयोग परिषद
  • उप्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड
  • उप्र गन्ना शोध परिषद
  • उप्र अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम
  • उप्र वक्फ विकास निगम
  • उप्र बीज विकास निगम
  • उप्र खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम
  • उप्र मध्य गन्ना बीज विकास निगम
  • उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम
  • उप्र महिला कल्याण निगम
  • उप्र वन निगम
  • उप्र राज्य समाज कल्याण बोर्ड
  • उप्र किन्नर कल्याण बोर्ड

ये भी पढ़ें: योगी की 'सरकार' या केशव मौर्या का 'संगठन'; अब संघ तय करेगा कौन बड़ा?

Last Updated : Jul 21, 2024, 7:36 PM IST
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