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मसौढ़ी में गेहूं और मसूर की फसल को क्षति, बेमौसम बारिश से किसानों की मेहनत पर फिर गया पानी

बिहार में बेमौसम बरसात से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है. पिछले 48 घंटे से रुक-रुक कर हो रही बारिश से मसौढ़ी के विभिन्न क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ में लगी गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है. खेतों से काट कर खलिहानों में रखी गई मसूर की फसल को भी बारिश से क्षति हुई है. किसान परेशान और हताश हैं. सरकार से फसल क्षति के लिए मुआवजा की मांग कर रहे हैं. पढ़ें, विस्तार से.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 20, 2024, 4:44 PM IST

बेमौसम बारिश से फसल को क्षति.

पटना: राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों में बीते 48 घंटे से रुक-रुक कर बारिश और ओलावृष्टि हो रही है. बारिश के साथ हवा चलने की वजह से गेहूं की फसल खेतों में गिर गई है. वहीं पक कर तैयार हुई मसूर की फसल जो खलिहान में रखी थी, उसे भी क्षति पहुंची है. किसान इस बेमौसम बारिश से परेशान हैं. सरकार से फसल की क्षति के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड में 3600 हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा करीब 3000 हेक्टेयर में मसूर की खेती की जाती है.

मुआवजे की उम्मीदः मसौढ़ी के शर्मा गांव स्थित विमलेश सिंह, उदय सिंह, चितरंजन सिंह, चुनेश्वर सिंह के साथ हरबसपुर के अरुण कुमार, जगपुरा के सीताराम सिंह तमाम किसानों ने कहा कि इस बार रबी की फसल बे मौसम बरसात होने से बर्बाद हो गई. बारिश होने से हमारे सैकड़ों एकड़ में लगी गेहूं की फसल गिर गई है. मसूर की फसल बर्बाद हो गई है. अब सरकार से उम्मीद करते हैं कि जो फसल की क्षति हुई है उसका उचित मुआवजा मिले.

कर्ज लेकर की थी खेतीः सरवां गांव के विमलेश सिंह ने कहा कि बेमौसम बारिश से खलिहान में रखी हुई मसूर की फसल बर्बाद हो गई. कर्ज लेकर हमने खेती की थी. सोचा था कि इस बार कुछ आमदनी होगी लेकिन सभी मेहनत पर पानी फिर गया. अब कर्ज कैसे उतरेगा पता नहीं चल रहा है. तारेगना डीह की सुनैना देवी ने कहा कि 5 एकड़ में लगी गेहूं और तीन बीघे में लगी मसूर की फसल बर्बाद हो जाएगी. पिछले 48 घंटे से बारिश हो रही है. कैसे बचाएं समझ में नहीं आ रहा है.

मायूस हैं किसानः बता दें कि मसौढ़ी प्रखंड में 3600 हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा करीब 3000 हेक्टेयर में मसूर की खेती की जाती है. किसानों की उम्मीद थी कि इस बार अच्छा उत्पादन होगा. अबतक खेतों में फसल अच्छी दिख रही थी. लेकिन, बेमौसम हुई बारिश ने इनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. लगातार पिछले 48 घंटे से रुक-रुक कर बारिश हो रही से गेहूं के पौधे जमीन पर गिर गए.

इसे भी पढ़ेंः Wheat Procurement : इन राज्यों के किसानों को सरकार ने दी राहत, गेहूं खरीद के लिए क्वालिटी नियमों में मिली ढील

इसे भी पढ़ेंः मंगरैल की खेती से मालामाल हो रहे किसान, कम लागत में दोगुना मुनाफा

बेमौसम बारिश से फसल को क्षति.

पटना: राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों में बीते 48 घंटे से रुक-रुक कर बारिश और ओलावृष्टि हो रही है. बारिश के साथ हवा चलने की वजह से गेहूं की फसल खेतों में गिर गई है. वहीं पक कर तैयार हुई मसूर की फसल जो खलिहान में रखी थी, उसे भी क्षति पहुंची है. किसान इस बेमौसम बारिश से परेशान हैं. सरकार से फसल की क्षति के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड में 3600 हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा करीब 3000 हेक्टेयर में मसूर की खेती की जाती है.

मुआवजे की उम्मीदः मसौढ़ी के शर्मा गांव स्थित विमलेश सिंह, उदय सिंह, चितरंजन सिंह, चुनेश्वर सिंह के साथ हरबसपुर के अरुण कुमार, जगपुरा के सीताराम सिंह तमाम किसानों ने कहा कि इस बार रबी की फसल बे मौसम बरसात होने से बर्बाद हो गई. बारिश होने से हमारे सैकड़ों एकड़ में लगी गेहूं की फसल गिर गई है. मसूर की फसल बर्बाद हो गई है. अब सरकार से उम्मीद करते हैं कि जो फसल की क्षति हुई है उसका उचित मुआवजा मिले.

कर्ज लेकर की थी खेतीः सरवां गांव के विमलेश सिंह ने कहा कि बेमौसम बारिश से खलिहान में रखी हुई मसूर की फसल बर्बाद हो गई. कर्ज लेकर हमने खेती की थी. सोचा था कि इस बार कुछ आमदनी होगी लेकिन सभी मेहनत पर पानी फिर गया. अब कर्ज कैसे उतरेगा पता नहीं चल रहा है. तारेगना डीह की सुनैना देवी ने कहा कि 5 एकड़ में लगी गेहूं और तीन बीघे में लगी मसूर की फसल बर्बाद हो जाएगी. पिछले 48 घंटे से बारिश हो रही है. कैसे बचाएं समझ में नहीं आ रहा है.

मायूस हैं किसानः बता दें कि मसौढ़ी प्रखंड में 3600 हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जाती है. इसके अलावा करीब 3000 हेक्टेयर में मसूर की खेती की जाती है. किसानों की उम्मीद थी कि इस बार अच्छा उत्पादन होगा. अबतक खेतों में फसल अच्छी दिख रही थी. लेकिन, बेमौसम हुई बारिश ने इनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. लगातार पिछले 48 घंटे से रुक-रुक कर बारिश हो रही से गेहूं के पौधे जमीन पर गिर गए.

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