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जानें क्या होती है आदर्श चुनाव आचार संहिता, विस्तार से समझिए एक क्लिक में

Model Code Of Conduct: लोकसभा चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है. आज से पूरे देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता पूरे देश में लागू हो गयी है. आखिर आदर्श चुनाव आचार संहिता क्या है? आइए समझते हैं विस्तार से

Model Code Of Conduct
जानें क्या होती है आदर्श चुनाव आचार संहिता
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 16, 2024, 3:18 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के साथ ही पूरे देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है. लोक सभा चुनाव के दौरान पूरे देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होती है, वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान सम्बन्धित राज्य में लागू होती है. आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव की पूरी प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है. आचार संहिता यह बताती है कि राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए. इससे उन्हें यह पता चल जाता है कि पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है.

क्या है आदर्श चुनाव आचार संहिता?: आम चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने में चुनाव आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव करवाना चुनाव आयोग का दायित्व है. चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की सहमति से कुछ नियम बनाता है. इन नियमों को ही आदर्श चुनाव आचार संहिता कहते हैं. इन नियमों का पालन करना सरकार, राजनीतिक दल और चुनाव में खड़े उम्मीदवारी की जिम्मेदारी होती है. ये नियम राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए मार्गदर्शक का काम करती है.

कब तक लागू रहती है आचार संहिता?: आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है. यह तब तक लागू रहती है, जब तक कि पूरी चुनाव प्रक्रिया संपन्न नहीं हो जाती है. लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू रहती है, वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान सम्बन्धित राज्य में लागू होती है.

सरकार के लिए नियम: चुनाव आचार संहिता लग जाने के बाद सरकार को कई बंदिशों के साथ काम करना पड़ता है. पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनाव के काम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर प्रतिबंध लागू हो जाता है. यदि किसी अधिकारी की स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो पहले आयोग की अनुमति ली जाएगी. चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, शिलान्यास या उद्घाटन पर प्रतिबंध लग जाता है. सरकार के खर्चे पर सत्तारुढ़ दल अपनी उपलब्धियों का प्रचार प्रसार नहीं कर सकते हैं. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में राजनीतिक दल अपने खर्चे पर प्रचार कर सकते हैं.

राजनीतिक दलों के लिए नियम: राजनीतिक दलों को अपनी रैली करने के पहले पुलिस से अनुमति लेनी आवश्यक है. किसी भी चुनावी रैली में जाति या धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगे जा सकते. चुनाव आयोग के अनुसार, कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो धार्मिक या भाषायी जातियों और समुदायों के बीच परस्पर घृणा या तनाव उत्पन्न करे. दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी पर वाद विवाद नहीं करना होगा. तोड़-मरोड़ कर या असत्यापित आरोपों के आधार पर एक दूसरे की आलोचना नहीं करनी होगी. धार्मिक स्थलों को चुनाव प्रचार के मंच के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. मतदान के दिन मतदान केन्द्र से 100 मीटर तक किसी भी तरह की प्रचार सामग्री के प्रदर्शन की मनाही होगी. सभी दल और प्रत्याशी ऐसी सभी गतिविधियों से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण और अपराध हैं. ये गतिविधियां हैं, मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, हमशक्ल मतदाता से मतदान करवाना, मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन की व्यवस्था करना आदि.

चुनाव प्रचार के लिए नियम: राजनीतिक पार्टी और प्रत्याशी की जिम्मेदारी होगी कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके समर्थक दूसरे दलों की बैठकों या जुलूसों या रैली में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे. एक दल उस जगह पर बैठक या रैली नहीं करेगा जहां दूसरे दल की रैली या बैठक हो रही है. एक दल के पोस्टर, बैनर को दूसरे दल के कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं हटाया जाएगा. सार्वजनिक संपत्ति पर उम्मीदवार या पार्टी के द्वारा प्रचार सामग्री का प्रदर्शन नही किया जाएगा. राजनीतिक दलों की जनसभा सुबह छह बजे और रात दस बजे के बीच ही आयोजित की जा सकती है और इसी दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है. चुनाव प्रचार की अवधि समाप्त हो जाने के बाद क्षेत्र विशेष के बाहर से आए राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को बाहर जाना होगा.

ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024: हरियाणा में करीब 2 करोड़ मतदाता, 10 हजार से अधिक मतदाताओं की उम्र 100 से 120 साल के बीच

चंडीगढ़: हरियाणा के साथ ही पूरे देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है. लोक सभा चुनाव के दौरान पूरे देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होती है, वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान सम्बन्धित राज्य में लागू होती है. आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव की पूरी प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है. आचार संहिता यह बताती है कि राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए. इससे उन्हें यह पता चल जाता है कि पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है.

क्या है आदर्श चुनाव आचार संहिता?: आम चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने में चुनाव आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव करवाना चुनाव आयोग का दायित्व है. चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की सहमति से कुछ नियम बनाता है. इन नियमों को ही आदर्श चुनाव आचार संहिता कहते हैं. इन नियमों का पालन करना सरकार, राजनीतिक दल और चुनाव में खड़े उम्मीदवारी की जिम्मेदारी होती है. ये नियम राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए मार्गदर्शक का काम करती है.

कब तक लागू रहती है आचार संहिता?: आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है. यह तब तक लागू रहती है, जब तक कि पूरी चुनाव प्रक्रिया संपन्न नहीं हो जाती है. लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू रहती है, वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान सम्बन्धित राज्य में लागू होती है.

सरकार के लिए नियम: चुनाव आचार संहिता लग जाने के बाद सरकार को कई बंदिशों के साथ काम करना पड़ता है. पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनाव के काम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर प्रतिबंध लागू हो जाता है. यदि किसी अधिकारी की स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो पहले आयोग की अनुमति ली जाएगी. चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, शिलान्यास या उद्घाटन पर प्रतिबंध लग जाता है. सरकार के खर्चे पर सत्तारुढ़ दल अपनी उपलब्धियों का प्रचार प्रसार नहीं कर सकते हैं. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में राजनीतिक दल अपने खर्चे पर प्रचार कर सकते हैं.

राजनीतिक दलों के लिए नियम: राजनीतिक दलों को अपनी रैली करने के पहले पुलिस से अनुमति लेनी आवश्यक है. किसी भी चुनावी रैली में जाति या धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगे जा सकते. चुनाव आयोग के अनुसार, कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो धार्मिक या भाषायी जातियों और समुदायों के बीच परस्पर घृणा या तनाव उत्पन्न करे. दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी पर वाद विवाद नहीं करना होगा. तोड़-मरोड़ कर या असत्यापित आरोपों के आधार पर एक दूसरे की आलोचना नहीं करनी होगी. धार्मिक स्थलों को चुनाव प्रचार के मंच के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. मतदान के दिन मतदान केन्द्र से 100 मीटर तक किसी भी तरह की प्रचार सामग्री के प्रदर्शन की मनाही होगी. सभी दल और प्रत्याशी ऐसी सभी गतिविधियों से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण और अपराध हैं. ये गतिविधियां हैं, मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, हमशक्ल मतदाता से मतदान करवाना, मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन की व्यवस्था करना आदि.

चुनाव प्रचार के लिए नियम: राजनीतिक पार्टी और प्रत्याशी की जिम्मेदारी होगी कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके समर्थक दूसरे दलों की बैठकों या जुलूसों या रैली में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे. एक दल उस जगह पर बैठक या रैली नहीं करेगा जहां दूसरे दल की रैली या बैठक हो रही है. एक दल के पोस्टर, बैनर को दूसरे दल के कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं हटाया जाएगा. सार्वजनिक संपत्ति पर उम्मीदवार या पार्टी के द्वारा प्रचार सामग्री का प्रदर्शन नही किया जाएगा. राजनीतिक दलों की जनसभा सुबह छह बजे और रात दस बजे के बीच ही आयोजित की जा सकती है और इसी दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है. चुनाव प्रचार की अवधि समाप्त हो जाने के बाद क्षेत्र विशेष के बाहर से आए राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को बाहर जाना होगा.

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