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आदिम जनजातियों की पुकार, योजनाओं का लाभ पहुंचाने वाली हो सरकार - Lok Sabha Election 2024

Primitive Tribes of Latehar. लोकसभा चुनाव को लेकर शहर से लेकर गांव तक मनपसंद सरकार की चर्चा जोर-जोर से हो रही है. चुनाव के इस महापर्व से जंगल-पहाड़ के बीच रहने वाले आदिम जनजाति समुदाय के लोग भी अछूते नहीं हैं. आदिम जनजातियों की इच्छा है कि सरकार इस बार चुनाव के बाद एक ऐसी प्लानिंग तैयार करें, जिससे जो योजनाएं उनके लिए बनाई जा रही हो उसका लाभ भी आदिम जातियों को मिल सके.

Primitive Tribes of Latehar
लातेहार के आदिम जनजाति (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 10, 2024, 11:56 AM IST

लातेहार के लोगों के चुनावी मुद्दे (ईटीवी भारत)

लातेहार: आदिम जनजाति समुदाय के लोग शहर के भीड़ से दूर एकांत स्थान पर जंगल पहाड़ों के आसपास प्रकृति के बीच रहना ज्यादा पसंद करते हैं. सरकार के द्वारा आदमी जनजातियों को विलुप्तप्राय मानते हुए इनके संरक्षण के लिए कई प्रकार की योजनाएं भी चलाई जा रही है. हालांकि उन योजनाओं का लाभ आदिम जनजातियों को मिल पाता है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी और कर्मी ज्यादा सक्रिय नहीं रहते. ईटीवी भारत ने जब चुनावी मुद्दों को लेकर आदिम जनजातियों तथा उनके हितों के लिए कार्य करने वाले लोगों से बातचीत की तो एक बात खुलकर सामने आई कि योजनाओं की मॉनिटरिंग कमेटी से आदिम जनजाति के लोग खुश नहीं है.

सिर्फ कागजों में बनती है योजनाएं

आदिम जनजाति असुर अगरिया समुदाय के नेता सकेन्द्र अगरिया ने कहा कि सरकार के द्वारा जो योजनाएं बनती हैं. वह सिर्फ कागज की ही शोभा बढ़ाने के लिए होती है. उन्होंने कहा कि सरकारी प्रावधान है कि आदिम जनजाति समुदाय के युवा यदि मैट्रिक पास हो जाए तो उन्हें सरकारी सेवा में सीधी नियुक्ति दी जानी है. इसके अलावे आदिम जनजातियों के लिए दो प्रतिशत अलग से आरक्षण की भी व्यवस्था की गई है. परंतु आज आदिम जनजाति समाज के सैकड़ों युवा बीए, एमए पास कर चुके हैं. परंतु सरकारी सेवा में उनकी नियुक्ति के लिए कोई पूछने वाला भी नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार किसी की भी बने परंतु उनकी एक मांग यही है कि सरकार ऐसी प्लानिंग करे जिससे आदिम जनजातियों के लिए जो योजनाएं बन रही है, उसका लाभ भी उन्हें मिल सके.

योजनाओं की हो बेहतर मॉनिटरिंग

आदिम जनजातियों के अलावे आम लोगों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले शहीद नीलांबर पीतांबर के वंशज कोमल सिंह का कहना है कि सरकार योजनाएं तो बनाती है, परंतु अधिकांश योजनाएं कागज में ही सिमट कर रह जाती है. सरकार को ऐसी योजनाएं बनाने के साथ-साथ मॉनिटरिंग कमेटी भी बनानी चाहिए, जो लगातार योजनाओं की मॉनिटरिंग करे. ताकि योजनाओं का लाभ सही लाभुक तक पहुंच सके. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार के द्वारा योजनाओं की सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं की जाएगी तब तक सिर्फ योजनाएं बनती रहेंगी और कागज की शोभा बढ़ती रहेगी. धरातल पर योजनाओं का लाभ सही लाभुक तक पहुंचना मुश्किल होगा.

विकास हो विनाश नहीं

आदिम जनजाति परहिया समुदाय के नेता चमन परहिया ने कहा कि सरकार ऐसी होनी चाहिए जो विकास करे. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के लोग चुनाव जीतने तक ही लोगों के बीच रहते हैं. चुनाव जीतने के बाद फिर आम जनता को भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी होनी चाहिए जो आम लोगों के साथ-साथ समाज का भी विकास करें. पर्यावरण को संरक्षित करें ताकि हमारा समाज विनाश से बच सके.


लातेहार जिले में आदिम जनजातियों की संख्या काफी कम है. जिले में परहिया, बिरहोर, बृजिया, असुर/अगरिया समुदाय के लोग निवास करते हैं. इनकी कुल जनसंख्या 10000 से भी कम है.

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लातेहार के लोगों के चुनावी मुद्दे (ईटीवी भारत)

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सिर्फ कागजों में बनती है योजनाएं

आदिम जनजाति असुर अगरिया समुदाय के नेता सकेन्द्र अगरिया ने कहा कि सरकार के द्वारा जो योजनाएं बनती हैं. वह सिर्फ कागज की ही शोभा बढ़ाने के लिए होती है. उन्होंने कहा कि सरकारी प्रावधान है कि आदिम जनजाति समुदाय के युवा यदि मैट्रिक पास हो जाए तो उन्हें सरकारी सेवा में सीधी नियुक्ति दी जानी है. इसके अलावे आदिम जनजातियों के लिए दो प्रतिशत अलग से आरक्षण की भी व्यवस्था की गई है. परंतु आज आदिम जनजाति समाज के सैकड़ों युवा बीए, एमए पास कर चुके हैं. परंतु सरकारी सेवा में उनकी नियुक्ति के लिए कोई पूछने वाला भी नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार किसी की भी बने परंतु उनकी एक मांग यही है कि सरकार ऐसी प्लानिंग करे जिससे आदिम जनजातियों के लिए जो योजनाएं बन रही है, उसका लाभ भी उन्हें मिल सके.

योजनाओं की हो बेहतर मॉनिटरिंग

आदिम जनजातियों के अलावे आम लोगों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले शहीद नीलांबर पीतांबर के वंशज कोमल सिंह का कहना है कि सरकार योजनाएं तो बनाती है, परंतु अधिकांश योजनाएं कागज में ही सिमट कर रह जाती है. सरकार को ऐसी योजनाएं बनाने के साथ-साथ मॉनिटरिंग कमेटी भी बनानी चाहिए, जो लगातार योजनाओं की मॉनिटरिंग करे. ताकि योजनाओं का लाभ सही लाभुक तक पहुंच सके. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार के द्वारा योजनाओं की सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं की जाएगी तब तक सिर्फ योजनाएं बनती रहेंगी और कागज की शोभा बढ़ती रहेगी. धरातल पर योजनाओं का लाभ सही लाभुक तक पहुंचना मुश्किल होगा.

विकास हो विनाश नहीं

आदिम जनजाति परहिया समुदाय के नेता चमन परहिया ने कहा कि सरकार ऐसी होनी चाहिए जो विकास करे. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के लोग चुनाव जीतने तक ही लोगों के बीच रहते हैं. चुनाव जीतने के बाद फिर आम जनता को भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी होनी चाहिए जो आम लोगों के साथ-साथ समाज का भी विकास करें. पर्यावरण को संरक्षित करें ताकि हमारा समाज विनाश से बच सके.


लातेहार जिले में आदिम जनजातियों की संख्या काफी कम है. जिले में परहिया, बिरहोर, बृजिया, असुर/अगरिया समुदाय के लोग निवास करते हैं. इनकी कुल जनसंख्या 10000 से भी कम है.

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